बंदरों की वजह से श्रद्धालुओं और भक्तों के श्रद्धा पर लग रहा ग्रहण
अमरकंटक। श्रवण उपाध्याय। मां नर्मदा जी की उद्गम स्थली / पवित्र नगरी अमरकंटक जो अपनी अद्भुत प्राकृतिक छटा,अलौकिक,आध्यात्मिक ऊर्जा और निर्मल वातावरण के लिए देश-विदेश में विख्यात है ।
अमरकंटक में प्रत्येक धार्मिक त्योहारों में श्रद्धालु , भक्त और तीर्थयात्री पहुंचते है । इन सबके साथ रोजाना घटना घटती रहती है जिसे कोई नहीं रोक पा रहा । श्रद्धालुओं या पर्यटकों के साथ आए छोटे बच्चे या महिलाओं पर ज्यादा हमला होता है साथ में रखे खाने की वस्तुओं पर ।
यह हमला यहां के बंदरों के बढ़ते आतंक का है । जिसने श्रद्धालुओं और पर्यटकों की न केवल आस्था को ठेस पहुंचा रहा है , बल्कि उनके मन में भय और असुरक्षा का बीज भी बो रहा है। भक्त तो हनुमान का रूप मानकर रहम कर ले रहे है पर उनके हमले से नाराज श्रद्धालु , पर्यटक शासन से नाराजगी व्यक्त भी करते है ।
श्री नर्मदा मंदिर परिसर, सोनमुडा़, सनराइज प्वाइंट, कपिलधारा जलप्रपात तथा अन्य प्रमुख तीर्थ स्थलों पर बंदरों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है । ये बंदर अब केवल शरारती नहीं रह गए, बल्कि आक्रामक स्वरूप में बदलते जा रहे हैं। श्रद्धालुओं के हाथों से प्रसाद, फूल-मालाएं, फल तथा अन्य पूजन सामग्री छीन लेना अब आम बात हो गई है।जिससे श्रद्धालु भयभीत और आहत हो जाते हैं साथ ही काट भी लेते है ।
यह दृश्य अत्यंत चिंताजनक है, क्योंकि अमरकंटक में आने वाले प्रत्येक श्रद्धालु और पर्यटक यहां की पवित्र वाणी, शांति, आध्यात्मिक चेतना तथा प्रकृति की गोद में एकांत शरण की कामना लेकर आता है । किंतु बंदरों के इस अप्रत्याशित व्यवहार ने उनकी यात्रा को कष्टमय बना दिया है।
अधिकतर लाल वाले बंदरों का ज्यादा आतंक है बल्कि काले मुंह वाले बंदरों का भय कम है ।
स्थानीय नागरिक, व्यापारी वर्ग और साधु-संतों का कहना है कि उन्होंने कई बार प्रशासन एवं वन विभाग को ज्ञापन सौंपे, शिकायतें दर्ज कराईं, समाचार अखबारों में छपा परंतु अभी तक कोई ठोस पहल नहीं की गई। ऐसी उदासीनता से न केवल अमरकंटक की धार्मिक गरिमा को आघात पहुंच रहा है, बल्कि पर्यटन पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
रामघाट में बना रामसेतु झूला पुल में लगे झालर लाइटो को भी बंदरों से नुकसान का भय बना रहेगा , जिससे कभी भी बड़ा खतरा पैदा होने का डर है इसलिए इस ओर भी बंदरों पर कड़ी नजर प्रशासन बनाए रखना चाहिए ।
जनमानस की प्रमुख मांगें
बंदरों को पकड़कर उन्हें अन्य जगह सुरक्षित वन क्षेत्रों में स्थानांतरित किया जाए ।
प्रमुख स्थलों पर चेतावनी संकेतक बोर्ड लगाए जाएं ।
सुरक्षा बलों और वन विभाग की गश्त बढ़ाई जाए,विशेषकर मंदिर परिसर और भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर ।
स्थानीय नगर परिषद द्वारा जागरूकता अभियान चलाया जाए ताकि लोग बंदरों को भोजन न दें और उचित दूरी बनाए रखें।
अमरकंटक की पुण्य धरा को इस संकट से उबारने के लिए जिला प्रशासन,वन विभाग एवं नगर परिषद को एक साझा और ठोस रणनीति बना कर इस ओर ठोस कदम उठानी चाहिए ताकि
श्रद्धालुओं की सुरक्षा, उनके विश्वास और अमरकंटक की आध्यात्मिक महिमा की रक्षा पर कोई दुष्प्रभाव न पड़े ।
अमरकंटक फॉरेस्ट रेंजर व्ही के श्रीवास्तव का कहना है कि अगर कोई बंदर पागल है तो उसका रेस्क्यू किया जा सकता है।