शासन को हो रहा राजस्व का नुकसान
उमरिया। देवलाल सिंह। उमरिया जिले सरकारी विभागों में टैक्सी पास की जगह पर निजी वाहन अटैच किए हुए हैं। जबकि नियम से विभाग में लगने वाले चार पहिया वाहन टैक्सी में पास होना अनिवार्य है। नियम की जानकारी सभी जिला अधिकारियों को है। इसके बावजूद शासन के निर्देशों को ताक पर रखकर अधिकारियों ने निजी वाहन कार्यालय के उपयोग के लिए लगा रखे हैं। जिसकी वजह से परिवहन विभाग को हर साल लाखों रुपए राजस्व की हानि हो रही है। जबकि टैक्सी में पास कराने के लिए लोगों को अधिक टैक्स जमा करना होता है। वहीं रजिस्ट्रेशन एवं फिटनेस की अलग से फीस जमा करनी होती है। निजी में पास कराने पर कम टैक्स लगता है, और आजीवन के लिए कोई झंझट नहीं रहता है। दूसरी ओर इन गाड़ियों से कई बार घटनाएं हो चुकी हैं..!
बता देें कि शासन ने 2014 से सभी विभागों में टैक्सी वाहन लगाने के लिए सख्त निर्देश दिए हैं। इसके बावजूद भी प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के जीएम उमेश साहू ने नियम को दरकिनार कर अपने सरकारी उपयोग के लिए निजी वाहन लगा रखे हैं। जबकि निजी वाहन अपने उपयोग में ले सकते हैं। ना कि किसी कार्यालय में लगा सकते हैं। कार्यालय में लगाना है तो उसका टैक्सी में पास होना आवश्यक होता है। अधिकारियों एवं वाहन मालिकों की साठगांठ के चलते निजी वाहनों को विभागों के कार्य के लिए लगाया गया है..!
यदि टैक्सी वाहन किसी कार्यालय में लगी है, और उसे अन्य प्रदेश में जाना है तो उसे उस प्रदेश का टैक्स वाहन मालिक को कटना होता है। जिला प्रशासन ने निजी गाड़ियों लगा रखी हैं। इसलिए उन्हें अन्य प्रदेश में जाने पर टैक्स भी नहीं कटाना पड़ता है।
वही परिवहन नियम के अनुसार यदि चार पहिया वाहन को टैक्सी में पास कराते हैं तो करीब गाड़ी की कीमत से करीब 8 से 9 प्रतिशत टैक्स जमा करना होता है। साथ ही रजिस्ट्रेशन फीस करीब 3 से 4 हजार रुपए, उसके उपरांत हर साल गाड़ी की फिटनेस करानी होती है। जिसमें करीब एक से डेढ़ हजार तक शुल्क जमा करना होता है।
सूत्रों के अनुसार जिला अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने अपने भाई या रिश्तेदार के नाम से गाडिय़ां खरीद ली हैं, और अपने कार्यालय में ही गाड़ियों को लगा रखा हैं। शासन वाहन लगाने पर 25 से 30 हजार रुपए प्रतिमाह भुगतान करता है। गाड़ी भी अधिकारी सामने रहती है, और देखरेख होती रहती है..!
*निजी वाहन से शासन को नहीं मिल पाता है राजस्व*
शासन ने निजी वाहनों पर टैक्स बहुत कम रखा है। क्योंकि वह निजी उपयोग के लिए होती है। विभाग में लगाने के लिए टैक्सी वाहन होना अनिवार्य है। इसके लिए शासन ने सभी जिला अधिकारियों को निर्देश भी दिए हैं। जिससे राजस्व भी आता है। टैक्सी वाहन पर टैक्सी भी अधिक रहता है, और उसकी हर साल फिटनेस करानी होती है। इसी कारण लोग अपने वाहन को टैक्सी परमिट में पास करवाने से बचते हैं। वही जब स्वतंत्र मत द्वारा प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के जीएम जो कटनी जिले में भी पदस्त है इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने बताया कि टैक्सी परमिट कराने के लिए बोल दिया है जल्दी ही हो जाएगा।
लेकिन सोचने वाली बात यह है कि बिना टैक्सी परमिट के गाड़ी का अनुबंध कैसे कर लिया गया है और क्या मिलीभगत से अधिकारी कटनी और उमरिया दोनों जगहों से एक ही वाहन का हर महीने भुगतान तो नही कर रहे हैं और शासन के नियमो के विपरीत प्राइवेट वाहन का अनुबंध कैसे कर लिया।