*जाने शरद पूर्णिमा का महत्व एवं तिथि पंडित श्री अखिलेश त्रिपाठी जी महाराज से*
16 अक्टूबर 2024 को शरद पूर्णिमा पूरे भारत देश में धूमधाम से मनाया जाएगा एवं यह उत्सव भारत देश में अनेक राज्यों में अनेक प्रकार से मनाया जाता है जिसकी जानकारी पंडित अखिलेश त्रिपाठी जी देते हैं और बताते हैं कि
बिहार और पश्चिम बंगाल में कोजागरा व्रत मनाया जाता है। कोजागरा का अर्थ होता है‘कौन जाग रहा है।’ इस दिन लोग रात को जागकर मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं। मान्यता है कि जो इस रात जागता है, मां लक्ष्मी उसके घर समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। इस दिन को शरद पूर्णिमा भी कहते हैं। मान्यता है कि इसी दिन मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था।
कोजागरा व्रत की रात में मां लक्ष्मी की पूजा के बाद मखाने और बताशे का प्रसाद बांटा जाता है। रात लोग कौड़ी भी खेलते हैं। माना जाता है कि कौड़ी समुद्र से उत्पन्न होती है और देवी लक्ष्मी को बहुत प्रिय है। इसलिए उनकी पूजा में कौड़ी भी अर्पित की जाती हैं।
उड़ीसा और पश्चिम बंगाल में कुंवारी कन्याएं इस दिन सुबह सूर्यदेव और रात में चंद्रमा की पूजा करती हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से उन्हें मनचाहा जीवनसाथी मिलता है।
ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात चांद की ठंडी चांदनी के साथ आसमान से अमृत बरसता है। इसलिए लोग इस दिन खीर बनाकर उसे रात भर चांदनी में रखते हैं। साथ ही, लोग मिट्टी के घड़े या बर्तन में पानी भरकर छत पर रखते हैं और अगले दिन इस पानी से नहाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इससे सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
शरद पूर्णिमा की खीर को खाने के फायदे
शरद पूर्णिमा की रात को चांदनी में रखी खीर खाने के कई फायदे बताए जाते हैं। यह खीर कई रोगों से मुक्ति दिला सकती है, खासकर चर्म रोगों के लिए यह बहुत फायदेमंद मानी जाती है। इसके अलावा, यह आंखों की रोशनी बढ़ाने में भी मददगार मानी जाती है।
मान्यता है कि यह खीर वाणी के दोषों को दूर करने के साथ-साथ मां लक्ष्मी का आशीर्वाद भी दिलाती है।
प्रसाद के रूप में यह खीर खाने से आपको कभी धन की कमी का सामना नहीं करना पड़ेगा और मां लक्ष्मी का हाथ आपके सिर पर बना रहेगा।