किसानों की जमीन छीनी जा रही, जनता न्याय को तरस रही!
अनूपपुर। कोयलांचल क्षेत्र की सिसकती जनता आज भी न्याय के लिए संघर्ष कर रही है, लेकिन उनके आक्रोश की गूंज शायद सत्ता के गलियारों तक नहीं पहुँच रही। मुख्यमंत्री के अनूपपुर दौरे को लेकर जितना दिखावा किया जा रहा है, उतना ही बड़ा मौन छाया हुआ है उन असल मुद्दों पर, जो यहाँ के आम आदमी की रग-रग में तकलीफ बनकर धँस चुके हैं।
कोल परियोजनाओं के नाम पर हो रहा अंधाधुंध भूमि अधिग्रहण न सिर्फ किसानों की रोज़ी-रोटी छीन रहा है, बल्कि उन्हें उनके ही खेतों से जबरन बेदखल किया जा रहा है। जिन किसानों की पीढ़ियाँ उस ज़मीन पर खून-पसीना बहाती रहीं, आज वे मुआवज़े की आस में अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर हैं। ज़्यादातर मामलों में या तो मुआवज़ा अधूरा है, या फिर नाममात्र का।
भ्रष्टाचार की बेलगाम बेल
कोल ब्लॉकों में ठेकेदारी और मुआवज़ा वितरण से लेकर पुनर्वास योजनाओं तक हर स्तर पर भ्रष्टाचार पैर पसारे बैठा है। बिचौलियों और दलालों की चाँदी है, जबकि वास्तविक पीड़ितों को केवल आश्वासन मिलते हैं। स्थानीय प्रशासन से लेकर बड़े अफसरों तक की मिलीभगत की चर्चा आम है, पर कार्यवाही शून्य।
मुख्यमंत्री का दौरा—‘विकास’ की झूठी तस्वीर?
मुख्यमंत्री का दौरा ज़मीनी हकीकत से कोसों दूर प्रतीत हो रहा है योजनाओं की घोषणाएँ होती है, मंच पर तालियाँ भी बजती है, लेकिन ग्रामीणों की आँखों में जो पीड़ा है, उस पर कोई बात नहीं होती है। न तो विस्थापितों की आवाज़ सुनी जा रही है, न ही कोल क्षेत्र में काम कर रहे मज़दूरों की सुरक्षा, वेतन और शोषण के मुद्दों को तवज्जो मिल रही।
जनता पूछती है: “हमें न्याय कब मिलेगा?”
क्या सरकार केवल चुनाव के वक्त ही जनता की होती है? अनूपपुर के ग्रामीण और किसान सवाल कर रहे हैं—कब तक हम इस अन्याय को सहेंगे? कब तक विकास के नाम पर हमारा शोषण होता रहेगा?
यह समय है, जब सरकार को दिखावा छोड़कर ज़मीन पर उतरकर जनता के आक्रोश को समझना चाहिए, वरना यह आक्रोश एक दिन जन आंदोलन का रूप ले सकता है।