रुद्र गंगा आश्रम में फक्कड़ बाबा जी की 13वीं पुण्यतिथि मनाई गई

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संतो ने पंच संस्कार कर बनाया संन्यासी 

रुद्र गंगा में संत सुबोधपुरी आश्रम की करेंगे देखभाल

अमरकंटक। श्रवण उपाध्याय। अमरकंटक / मां नर्मदा जी की उद्गम स्थली/पवित्र नगरी अमरकंटक के पावन पवित्र तीर्थ स्थल रुद्रगंगा आश्रम के ब्रह्मलीन महंत स्वामी नर्मदापुरी जी का 13वीं पुण्यतिथि मनाई गई ।फक्कड़ बाबा जी ने अपना पूरा जीवन प्रभु भक्ति , साधना करते हुए अपने शरीर को छोड़ कर ब्रम्हलीन हो गए । इस स्थान का प्राचीन समय से बड़ा ही महात्म है । अमरकंटक क्षेत्र एक अद्वितीय प्राकृतिक विरासत क्षेत्र है । विंध्य और सतपुड़ा पर्वत का मिलन के साथ मैकल पहाड़ियों का यहीं केंद्र बिंदु भी है । रुद्रगंगा आश्रम फक्कड़ बाबा की तपोस्थली रही है । उनकी भूमिगत समाधि आश्रम में ही दी गई है । कुटिया के अंदर ही उनकी धुनी और पूजन स्थल था । उनके ब्रह्मलीन होने के बाद आश्रम की देखभाल शिष्य भक्तों ने किया करते थे । अचानक कुछ दिवस पूर्व फॉरेस्ट विभाग ने अतिक्रमण के नाम पर आश्रम को उखाड़ फेंका गया था । संत और नगर लोगों के सहयोग से आश्रम को पुनः इकोफ्रेंडली तौर पर बनाया गया ।
आज गंगा दशहरा जेष्ठ शुक्ल पक्ष दसवीं के पावन पर्व पर रुद्र गंगा आश्रम पर ब्रह्मलीन स्वामी फक्कड़ बाबा जी (संत नर्मदापुरी जी महाराज) की 13वीं पुण्यतिथि ज्येष्ठ शुक्ल दशमी के पावन अवसर पर भक्त और शिष्यों ने पधारकर बड़े ही लगन और उल्लास के साथ उनकी पुण्यतिथि मनाई । प्रातः से ही बिलासपुर छत्तीसगढ़ से पधारे पंडित महंत श्री बालमुकुंद शास्त्री अमरपुरधाम चंडी मंदिर आश्रम रतनपुर कोटा के द्वारा समाधी पूजन उपरांत पाठ , हवन बाद पूजन आरती कराया गया । आश्रम में अखंड रामचरित पाठ, पूजन पाठ , कन्यापूजन संत भंडारा कराया गया । कन्या भोजन बाद संतगण , भक्तगण आदि सभी ने प्रसादी पाएं ।

पंच संस्कार कर दिया गया साधु नाम

रुद्र गंगा आश्रम सम्हाल रहे ब्रह्मचारी सुनील कुमार को साधु संतों और अखाड़ा के महंतो ने एकत्रित होकर फक्कड़ बाबा आश्रम में गंगा दशहरा के पावन पर्व पर संतो ने उन्हें मुंडन करवाकर चोटी काट कर लंगोटी पहनाई , कान फूंक कर भगुआ वस्त्र धारण करवाकर संन्यासी बनाया गया । ब्रह्मचारी सुनील का नाम संस्करण होने के बाद सुबोधपुरी गुरु नर्मदापुरी हो गया है । रुद्र गंगा आश्रम में सभी संतो ने संत सुबोधपुरी जी को आशीर्वाद देने के बाद आश्रम की सेवा करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है ।

पंच संतो गुरुओं ने संस्कार किए स्वामी नर्मदानंद गिरी जी महाराज गीता स्वाध्याय मंदिर,विवेक गिरी जी महाराज भारती बापू जी महाराज , ताड़कापुरी जी महाराज , बरखापुरी जी महाराज , सुदर्शनगिरी जी महाराज के बाद अन्य संतो की उपस्थिति बाबा लवलीन महाराज धारकुंडी आश्रम , तारकेश्वरपुरी जी महाराज , आकाश चैतन्य जी महाराज , शिवानीपुरी जी महाराज रतनपुर अखाड़ा के संतगण तथा आश्रम में उपस्थित भक्त यजमान संजय शर्मा पत्नी सरोज शर्मा बिलासपुर , भुवन वर्मा लोरमी , मंजीत सिंह पवार कोटा , ज्ञानेंद्र परिहार कवर्धा , जाजू कैटरीन बिलासपुर आदि ।

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