महाराणा प्रताप जयंती युवाओं ने लिया राष्ट्रभक्ति और शौर्य का संकल्प

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उमरिया जिले में धूमधाम से मनाई गई महाराणा प्रताप जयंती

उमरिया। डीके यादव। वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप जी की 485वीं जयंती उमरिया जिले में महाराणा क्षत्रिय महासभा के तत्वावधान में बड़े धूमधाम और राष्ट्रभक्ति की भावना के साथ मनाई गई। आयोजन की अध्यक्षता महासभा के जिला अध्यक्ष कृष्ण कुवांर सिंह ने की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जसपुर के महाराजा श्रीमंत विक्रमादित्य सिंह जूदेव(राष्ट्रीय अध्यक्ष, अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा) और विशिष्ट अतिथि संजय सिंह राजपूत (प्रांत अध्यक्ष) रहे।

कार्यक्रम की शुरुआत जलाहल्ली धाम मंदिर के समीप श्रीरामचरितमानस अखंड पाठ से हुई। इसके बाद शौर्य यात्रा का आयोजन हुआ, जो मां ज्वाला धाम शक्तिपीठ से प्रारंभ होकर वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप जी की प्रतिमा तक पहुंची, जहां माल्यार्पण किया गया। यात्रा ने सागरेश्वर धाम में भगवान शिव की पूजा के बाद मुख्य कार्यक्रम स्थल पर प्रवेश किया।

महाराजा विक्रमादित्य सिंह ने अपने उद्बोधन में महाराणा प्रताप के शौर्य, पराक्रम और राष्ट्रप्रेम को नमन किया और नई पीढ़ी को शिक्षा और राष्ट्र निर्माण की दिशा में प्रेरित किया। उन्होंने कहा, “शिक्षा ही राष्ट्र का भविष्य है।”

इस अवसर पर ऑपरेशन सिंदूर में सहभागिता निभाने वाले भारतीय वीर जवान रमेश सिंह राजपूत का सम्मान किया गया। साथ ही शैक्षणिक क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले 80% व 85% अंकों वाले छात्र-छात्राओं को प्रशस्ति पत्र देकर प्रोत्साहित किया गया।

कार्यक्रम में प्रस्तुत “जय प्रताप, तू देश जाति का अमर पुत्र है…” कविता ने सभी में उत्साह का संचार किया। वक्ताओं ने महाराणा प्रताप के जीवन संघर्ष, स्वाभिमान और बलिदान को आज के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बताया।

कार्यक्रम में बांधवगढ़ विधायक शिवनारायण सिंह (लल्लू भैया), मनीष सिंह ( प्रदेश का समिति सदस्य) श्याम सिंह राजपूत (संरक्षक, लोरमी), उचेहरा धाम के पुजारी भंडारी सिंह, इंद्रपाल सिंह, मूरत सिंह, हरबंस सिंह, सुंदर सिंह, कृष्णपाल सिंह, राजेश सिंह पवार, वरुण सिंह, देव लाल सिंह और अन्य सामाजिक, राजनीतिक एवं युवा प्रतिनिधियों की गरिमामयी उपस्थिति रही।

इस ऐतिहासिक अवसर पर सैकड़ों युवा, क्षत्राणियां, छात्र-छात्राएं एवं समाज के सभी वर्गों के लोगों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया और राष्ट्रभक्ति की भावना से ओतप्रोत होकर महाराणा प्रताप जी के जीवन से प्रेरणा लेने का संकल्प लिया।