तो क्या धुर्वे की लापरवाही से गई चार ग्रामीणों की जान

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वितरण की जगह मिट्टी में दफन किया सामान

पीएचई विभाग की लापरवाही आ रही सामने 

अनूपपुर। पुष्पराजगढ़ के ग्राम सालरगोदी ग्राम में बीते दिन दूषित पानी पीने से एक ही परिवार के 4 लोग मौत के आगोश में समा गए। जिसमें एक गर्भवती महिला भी शामिल थीं कुछ का ईलाज जारी है। ये हालात तब है जब जिला कलेक्टर जिला जल एवं स्वच्छता मिशन के अध्यक्ष है दूसरी तरफ प्रशासन इस पूरी घटना की अगर सही तरीके से जॉच कराए तो कई विभाग की लापरवाही सामने आ सकती है।


सूत्रों की माने तो जिला मुख्यालय में स्थित लोक स्वास्थ्य एवं यांत्रिकी विभाग में पदस्थ कार्यपालन यंत्री हरजीवन सिंह धुर्वे, सहायक यंत्री अनूपपुर एवं सहायक यंत्री पुष्पराजगढ़ जिला भण्डार प्रभारी दीपक साहू द्वारा बड़ी मात्रा में Field test kit(FTK), Fieldtestkit(FTK) रिफिल एवं क्लोरिनेशन के लिए उपयोग किये जाने वाले जरमेक्स को खण्ड कार्यालय के पीछे दफन कर दिया गया। उक्त सारी दवाइयां को समय रहते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में बांट दी जाती तो हो सकता है 4 मासूमों की जान बचाई जा सकती थी किंतु जिले के जिम्मेदारों ने सारा वितरण कागज़ों में कर अपने कर्तव्यों से इतिश्री कर ली। जिला कलेक्टर द्वारा जल जीवन मिशन की लगातार की जा रही मॉनिटरिंग के बावजूद लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने जिला प्रशासन को गुमराह किया। परिवार को पड़ी इस पीड़ा पर जनप्रतिनिधियों ने इस मामले में मौन धारण कर लिया है जो अपने आप में बड़ा सवाल है।


ये था मामला
आदिवासी बाहुल्य गांवों में डायरिया का प्रकोप बना हुआ है. यहां के लोग लगातार डायरिया से बीमार पड़ रहे हैं. सालरगोंदी गांव के बैगा जनजाति के चार लोगों की डायरिया के चपेट में आने से मौत हो गई. इसी परिवार के चार और अन्य लोगों की हालत गंभीर है. उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है. तो वहीं जिले में 4 लोगों की मौत के बाद प्रशासन जागा है. यहां सरकारी इंतजाम न होने के कारण लोगों को ठीक से इलाज तक मुहैया नहीं हो पा रहा है।
इनकी गई थी जान
माखन बैगा, उम्र 56 वर्ष , झिखिया बाई, उम्र 75 वर्ष, लीलाबत्ती उम्र 20 वर्ष की मौत हो गई हैं। लीलावती के पेट में 8 माह का बच्चा भी पल रहा था, उसकी भी मौत हो गई हैं। उल्टी दस्त से दो अन्य जेठू बैगा ,उम्र 65 ,अनुज बैगा 1.5 साल की हालत गंभीर होने पर शहडोल मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया हैं। आखिर कार इस लोगों की क्या गलती रही जो मौत के आगोश में पहुंचाने वाला लोगों पर कार्यवाही नहीं की गई।
दूषित पानी साफ रखने की नहीं मिली दवाईया
परिवार के लोगों ने बताया कि उनके परिवार में कुछ लोगों को जब उल्टी दस्त शुरू हुए तो वे उन्हें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचे. लेकिन, वहां डॉक्टर न होने की वजह से उन्हें इलाज नहीं मिला। डायरिया होने का कारण पीने का गंदा पानी भी बताया गया है। इस घटना के बाद इलाके के सरपंच ने स्वास्थ्य विभाग एवं लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग पर ही आरोप लगाया है। उन्होने कहा कि यहां अस्पताल तो है लेकिन वहां डॉक्टर नहीं है। पीने के लिए साफ पानी न होने की वजह से सैकड़ों जाने डायरिया की चपेट में आ जाती है। इस मामले में बीएमओ ने साफ कहा कि हम पूरी कोशिश करते हैं कि किसी का इलाज न रुके। आपको बता दें कि केंद्र सरकार से जल जीवन मिशन में अनुदान प्राप्त होने के बाद अनूपपुर जिले के आदिवासी गांव में घर-घर शुद्ध जल पहुंचाने का दावा किया जा रहा है. लेकिन करोड़ों खर्च होने के बाद भी इस घटना ने सरकारी दावे की पोल खोल दी है।
प्रशासन कर रहा मामले की निगरानी 
अनुपपुर कलेक्टर आशीष वशिष्ठ ने कहा जिला प्रशासन पूरी तरह से डायरिया की रोकथाम के लिए सजग है और निरंतर काम कर रहा है. सभी विभागों को अलर्ट मोड पर रखा गया है. जहां दूषित पानी की समस्या है उन जगहों की पहचान कर वहां साफ पानी सप्लाई किया जा रहा है। कलेक्टर ने कहा कि लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के बारे में आपसे जानकारी मिली है यदि ऐसा विभाग द्वारा किया गया है तो गलत है जांच कराई जायेगी
कार्यालय कैंपस की हो जांच तो खुलेंगे राज़

जिला मुख्यालय स्थित लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के पीछे पिछले दिनों विभाग द्वारा आम जनता के बीच बाटने के लिए खरीदे गए सामान को कागजों में वितरण करते हुए सारा सामान भवन के पिछले हिस्से में जेसीबी से गड्ढा करा कर दफन कर दिया ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों में यदि जिला प्रशासन मौके पर जांच कराए तो सारा सच इन अधिकारियों का सामने आ सकता है वही पुष्पराजगढ़ में हुई मौतों के दोषी इन अधिकारियों पर वैधानिक कार्यवाही भी हो सकती है।

कही रात के अंधेरे में मिट न जाए सबूत 

सूत्र बता रहे है। साल भर के लिए प्रमुख अभियंता के द्वारा वर्षा जल को साफ रखने के लिए जरूरी दवाइयों दी जानी थीं जिसके लिए जिला स्तर पर जिला जल एवं स्वच्छता मिशन की एक कमेटी बनाई जाती है। यह कमेटी जिले भर में पानी को पीने के लिए बनाए रखने के लिए दवाईयां ग्राम पंचायत स्तर पर बाटने का काम करती अगर दवाईयां बाटी गई तो फिर सालरगोदी गांव में जो जाने गई उसमें किसकी लापरवाही है। ये सोचने वाली बात है।

जल जीवन मिशन की क्या स्थिति होगी

लोगो को साफ़ पानी मिल सके उसके लिए विभाग काफी प्रयास कर रहा है मगर धरातल में इसका असर तो दिखाई नहीं देता है। जिस तरह से पीने के पानी से मौत का मामला सामने आया है उससे इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिले में जल जीवन मिशन के क्या स्थिति होगी।

 

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