मंत्री विधायक और प्रशासन ने कर दिया ग्रामीणों को निराश
उमरिया (दीपू त्रिपाठी)बिछिया गांव के पहले ही भटक गया विकास
मंत्री विधायक और प्रशासन ने कर दिया ग्रामीणों को निराश
उमरिया। देव लाल सिंह। राजनितिक और प्रशासनिक मंच में खड़े होकर जनप्रतिनिधि नेता और जिम्मेदार अधिकारी विकास की कसीदें पढ़ते नजर आते है लेकिन कभी उनके द्वारा यह देखने का प्रयास नहीं किया जाता कि विकास से ग्रामीण रूबरू है भी या नहीं। उमरिया जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में आलम यह है कि लोग कहीं आज तक बिजली का दर्शन नहीं कर पाए तो कहीं मूलभूत सुविधा की आस में निगाहें लगाए बैठे हुए है। कही सरकारी सिस्टम में कमी तो जनप्रतिनिधियों की पहल में अभाव खुलकर सामने आ रही है। प्रदेश के मुखिया विकास को लेकर चिंतित दिखाई देते है पर उनके सरकारी तंत्र में जिम्मेदार अधिकारी बेफिक्र नजर आ रहे है जिन्हें आम जनता के सरोकार से कोई मतलब नहीं दिखाई देता*
कहां भटक रहा विकास जिसकी ग्रामीण कर रहे तलाश
उमरिया जिले के करकेली विकासखंड क्षेत्र अंतर्गत दूरस्थ ग्रामीण अंचल में बसे ग्राम पंचायत बिछिया में ग्रामीण मूलभूत सुविधा से वंचित नजर आ रहे है। ग्रामीणों के मुताबिक उन्हें बिजली पानी सड़क शिक्षा और स्वास्थ्य योजना का लाभ शासन के नियमानुसार नहीं मिल रहा। बिछिया गांव के बासिंदे बताते है कि गांव में वर्ष 2014 के दौरान सोलर सिस्टम लगाकर गांव को रोशन करने का प्रयास किया गया जो करीब 6 माह में सरकारी सिस्टम ध्वस्त हो गया जिसके बाद आज तक गांव में बिजली नहीं पहुंची। ग्रामीणों ने बताया कि गांव में बिजली न होने से बच्चे नहीं पढ़ पाते न ही खेती किसानी मनमाफिक हो पाती। बिछिया गांव में सड़क की कमी को लेकर ग्रामीणों ने बताया अभी भी सड़क का सही तरीके से निर्माण नहीं हुआ जिससे आवागमन प्रभावित है। पेयजल समस्या का बखान करते ग्राम बिछिया वासियों ने बताया कि हैंडपंप और पोखर के सहारे उनका जीवकोपार्जन होता है जबकि अन्य गांव में नल जल योजना का विस्तार हो चुका है। स्वाथ्य को लेकर ग्रामीणों का कहना है कि यदि कोई बीमार हो जाए तो उसे नौरोजाबाद अस्पताल पहुंचाना टेढ़ी खीर से कम नहीं है।
गांव में नहीं देना चाहते अपनी बिटिया
ग्रामीणों का कहना है कि विकास से कोसों दूर हमारे गांव में बेटो की शादियां बामुश्किल हो रही है।गांव में बिजली सड़क पानी शिक्षा आदि मूलभूल सुविधा अभाव से कोई भी रिश्तेदार नही बनना चाहता। ग्रामीणों ने बताया कि हमारे बिछिया गांव में कोई भी अपनी बिटिया का रिश्ता करना पसंद नहीं करते जो अभिशाप से कम नहीं है।
नहीं सुनते जनप्रतिनिधि और नेता
ग्रामीणों का आरोप है कि गांव की मूलभूत समस्या को दूर करने को लेकर विधायक मंत्री नेता अधिकारी सहित अन्य जिम्मेदार अधिकारियों के चौखट में दस्तक दी गई किंतु सभी जगह से निराशा ही हांथ लगी है। बताया गया है कि चुनावी शोरगुल के बीच नेता जनप्रतिनिधि आते है वायदे करते है आश्वासन का झुनझुना थमाते है परंतु समस्या का स्थाई समाधान नहीं कर पाते।
हो चुका है चुनाव बहिष्कार
विदित होवे कि ग्रामीणों ने अपनी विभिन्न मांगो को लेकर बीते दिन लोकसभा चुनाव मतदान के दिन मतदान का बहिष्कार कर दिया था जिसके बाद प्रशासन और नेताओं के पसीने छूट गए थे।आनन फानन में प्रशासनिक अमला सहित भाजपा के नेताओं ने गांव में डेरा डाल दी और समस्या हल किए जाने का पुनः वादा किया जिसके बाद यहां कुछ घंटे तक ही मतदान प्रक्रिया में ग्रामीण शामिल हो सके।
विकास नहीं तो होगा वृहद आंदोलन
ग्रामीणों का कहना है कि गांव में यदि विकास कार्य नहीं हुए तो आगामी दिनों में वृहद आंदोलन कर अपनी मांगे रखी जायेगी। इन्होंने कहा हर बार आश्वासन की आस ने हमें निराश कर दिया जाता है किंतु अब अपने बच्चों की शिक्षा गांव के विकास को लेकर नया कदम उठाएंगे। बहरहाल देखना लाजिमी होगा कि इस विषय में शासन प्रशासन द्वारा आगे क्या कार्यवाही की जाती है।
राजनितिक और प्रशासनिक मंच में खड़े होकर जनप्रतिनिधि नेता और जिम्मेदार अधिकारी विकास की कसीदें पढ़ते नजर आते है लेकिन कभी उनके द्वारा यह देखने का प्रयास नहीं किया जाता कि विकास से ग्रामीण रूबरू है भी या नहीं। उमरिया जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में आलम यह है कि लोग कहीं आज तक बिजली का दर्शन नहीं कर पाए तो कहीं मूलभूत सुविधा की आस में निगाहें लगाए बैठे हुए है। कही सरकारी सिस्टम में कमी तो जनप्रतिनिधियों की पहल में अभाव खुलकर सामने आ रही है। प्रदेश के मुखिया विकास को लेकर चिंतित दिखाई देते है पर उनके सरकारी तंत्र में जिम्मेदार अधिकारी बेफिक्र नजर आ रहे है जिन्हें आम जनता के सरोकार से कोई मतलब नहीं दिखाई देता।
कहां भटक रहा विकास जिसकी ग्रामीण कर रहे तलाश
उमरिया जिले के करकेली विकासखंड क्षेत्र अंतर्गत दूरस्थ ग्रामीण अंचल में बसे ग्राम पंचायत बिछिया में ग्रामीण मूलभूत सुविधा से वंचित नजर आ रहे है। ग्रामीणों के मुताबिक उन्हें बिजली पानी सड़क शिक्षा और स्वास्थ्य योजना का लाभ शासन के नियमानुसार नहीं मिल रहा। बिछिया गांव के बासिंदे बताते है कि गांव में वर्ष 2014 के दौरान सोलर सिस्टम लगाकर गांव को रोशन करने का प्रयास किया गया जो करीब 6 माह में सरकारी सिस्टम ध्वस्त हो गया जिसके बाद आज तक गांव में बिजली नहीं पहुंची। ग्रामीणों ने बताया कि गांव में बिजली न होने से बच्चे नहीं पढ़ पाते न ही खेती किसानी मनमाफिक हो पाती। बिछिया गांव में सड़क की कमी को लेकर ग्रामीणों ने बताया अभी भी सड़क का सही तरीके से निर्माण नहीं हुआ जिससे आवागमन प्रभावित है। पेयजल समस्या का बखान करते ग्राम बिछिया वासियों ने बताया कि हैंडपंप और पोखर के सहारे उनका जीवकोपार्जन होता है जबकि अन्य गांव में नल जल योजना का विस्तार हो चुका है। स्वाथ्य को लेकर ग्रामीणों का कहना है कि यदि कोई बीमार हो जाए तो उसे नौरोजाबाद अस्पताल पहुंचाना टेढ़ी खीर से कम नहीं है।
गांव में नहीं देना चाहते अपनी बिटिया
ग्रामीणों का कहना है कि विकास से कोसों दूर हमारे गांव में बेटो की शादियां बामुश्किल हो रही है।गांव में बिजली सड़क पानी शिक्षा आदि मूलभूल सुविधा अभाव से कोई भी रिश्तेदार नही बनना चाहता। ग्रामीणों ने बताया कि हमारे बिछिया गांव में कोई भी अपनी बिटिया का रिश्ता करना पसंद नहीं करते जो अभिशाप से कम नहीं है।
नहीं सुनते जनप्रतिनिधि और नेता
ग्रामीणों का आरोप है कि गांव की मूलभूत समस्या को दूर करने को लेकर विधायक मंत्री नेता अधिकारी सहित अन्य जिम्मेदार अधिकारियों के चौखट में दस्तक दी गई किंतु सभी जगह से निराशा ही हांथ लगी है। बताया गया है कि चुनावी शोरगुल के बीच नेता जनप्रतिनिधि आते है वायदे करते है आश्वासन का झुनझुना थमाते है परंतु समस्या का स्थाई समाधान नहीं कर पाते।
हो चुका है चुनाव बहिष्कार
विदित होवे कि ग्रामीणों ने अपनी विभिन्न मांगो को लेकर बीते दिन लोकसभा चुनाव मतदान के दिन मतदान का बहिष्कार कर दिया था जिसके बाद प्रशासन और नेताओं के पसीने छूट गए थे।आनन फानन में प्रशासनिक अमला सहित भाजपा के नेताओं ने गांव में डेरा डाल दी और समस्या हल किए जाने का पुनः वादा किया जिसके बाद यहां कुछ घंटे तक ही मतदान प्रक्रिया में ग्रामीण शामिल हो सके।
विकास नहीं तो होगा वृहद आंदोलन
ग्रामीणों का कहना है कि गांव में यदि विकास कार्य नहीं हुए तो आगामी दिनों में वृहद आंदोलन कर अपनी मांगे रखी जायेगी। इन्होंने कहा हर बार आश्वासन की आस ने हमें निराश कर दिया जाता है किंतु अब अपने बच्चों की शिक्षा गांव के विकास को लेकर नया कदम उठाएंगे। बहरहाल देखना लाजिमी होगा कि इस विषय में शासन प्रशासन द्वारा आगे क्या कार्यवाही की जाती है।