खुले आसमान के नीचे पड़ी 37 करोड़ की धान

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अन्नदाता को अब भी भुगतान का इंतजार, परिवहन की सुस्त रफ्तार

अनूपपुर। जिले में 2 दिसंबर से से धान उपार्जन का कार्य प्रारंभ है। इस वर्ष प्रयोग के तौर पर नागरिक आपूर्ति निगम की जगह पर राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ को उपार्जन का कार्य दिया गया है। पहले ही पखवाड़े में यह प्रयोग पूरी तरह से विफल साबित हो रहा है, जिले में अब तक 5 हजार 949 किसानों से 2 लाख 88 हजार 331 क्विंटल धान खरीदी जा चुकी है। 20 दिन बीत जाने के बाद भी अन्नदाताओं को भुगतान का इंतजार है। वहीं दूसरी तरफ शुक्रवार की सुबह से आसमान में बादलों ने अपना डेरा जमा लिया है। मौसम विभाग के अनुसार आगामी एक-दो दिनों में बूंदाबांदी की आशंका भी व्यक्त की जा रही है, बावजूद इसके खुले में 37 करोड़ 77 लाख रुपए की धान रखी हुई है। परिवहन की सुस्त रफ्तार के कारण उपार्जन केंद्रों में धान रखने के लिए स्थल की कमी भी बढ़ती जा रही है।

गोदाम आधारित केन्द्रों में भी भुगतान नहीं
जिले में इस वर्ष 21 हजार 974 कृषकों ने अपना पंजीयन कराया है। अब तक 5949 से किसानों 2 लाख 88 हजार 331 क्विंटल धान खरीदी जा चुकी है। इसके बदले में किसानों को 63 करोड़ 72 लाख 28 हजार 326 रुपए का भुगतान किया जाना है। एक पखवाड़े का समय बीत चुका है, किंतु भुगतान की प्रक्रिया प्रारंभ नहीं हो पाई है। इतना ही नहीं एक दर्जन गोदाम आधारित उपार्जन केन्द्रों में 1 लाख 36 हजार क्विंटल धान का परिवहन दिखलाया जा रहा है। इसके बदले भी किसानों को भुगतान प्राप्त नहीं हुआ है।
यह भी आ रहा सामने
जिले में 22 मिलर्स मिलिंग का कार्य करते हैं, राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ के नियमों के अनुसार मिलिंग के पश्चात 65 फ़ीसदी चावल एफसीआई के गोदाम में तथा 35 फ़ीसदी चावल को नागरिक आपूर्ति निगम के गोदाम में जमा किया जाना है। जिले में एफसीआई की एक भी गोदाम नहीं है ऐसे में 45 दिन के अंदर चावल नहीं जमा करने वाले मिलर्स पर अर्थ दंड भी अधिरोपित किया जाएगा। इस समस्या को देखते हुए भी मिलर्स के द्वारा सुस्त रफ्तार से धान का परिवहन किया जा रहा है।
चार उपार्जन केंद्रों से हुआ परिवहन
गोदाम आधारित उपार्जन केंद्रों को छोड़ दिया जाए तो सिर्फ चार उपार्जन केंद्रों से औपचारिकता के लिए धान का परिवहन किया गया है। जिनमें अनूपपुर, पटना कला, दुलहरा तथा निगवानी सहकारी समिति उपार्जन केंद्र शामिल है। इन केंद्रों में अभी भी हजारों क्विंटल धान रखी हुई है।
सुरक्षा के उपाय नहीं
बादलों की आमद के साथ ही बारिश का खतरा भी मंडराने लगा है। उपार्जन केंद्रों में दूसरी मूलभूत सुविधाओं के साथ-साथ धान को सुरक्षित रखने का उपाय भी नहीं है। बारिश से बचाने के लिए केंन्द्रो में पन्निया तो उपलब्ध करा दी गई है, किंतु नीचे से बहने वाला पानी धान को भिगो देगा जिसके लिए अब तक किसी भी तरह की व्यवस्था नहीं की गई है।

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