नोटिस बनी दिखावा, दिखावे तक सीमित हुई डॉक्टर पर कार्यवाही

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स्वास्थ्य विभाग की नजरों में नहीं है मासूम के तड़प और जान की कीमत

गलत इंजेक्शन लगाने से बिगड़ी थी मासूम की हालत

  बीएएमएस की डिग्री रखकर एलोपैथिक इलाज करने वाले डॉक्टरों को कोतमा खंड चिकित्सा अधिकारी ने अभय दान दे रखा है। कार्यवाही करने के बजाय पहले चेतावनी देना और दूसरे दिन जाकर नोटिस देकर कार्यवाही की खाना पूर्ति कर दिया गया है, वहीं दूसरी ओर बिना रजिस्ट्रेशन के क्लीनिक संचालित करने पर अनूपपुर में कई कार्यवाहियां पूर्व में की गई थी लेकिन कोतमा खंड चिकित्सा अधिकारी के मैनेजमेंट के कारण मासूम की हालत बिगड़ने के जिम्मेदार डॉक्टर को शिकायत के बाद भी अमर दान दे दिया गया।

अनूपपुर। अनूपपुर जिले के कोतमा खंड चिकित्सा क्षेत्र के अंतर्गत बीएमओ वर्मा के पदस्थ होने के बाद क्षेत्र में अवैध क्लीनिक का संचालन बड़े पैमाने में चल रहा है। मैनेजमेंट में माहिर बीएमओ साहब शिकायत मिलने के बाद भी शिकायतों को रद्दी की टोकरी में डालकर चेतावनी और नोटिस तक कार्यवाही को सीमित रखने में माहिर है। हाल ही में कोतमा में ढाई साल के मासूम बच्चे को गलत इंजेक्शन लगा देने से हालत बिगड़ने की खबर आई थी जिस पर मासूम के दादा ने खंड चिकित्सा अधिकारी के नाम पत्र लिखकर लिखित में शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत पाने के बाद कानूनी कार्यवाही करने के बजाय बीएमओ साहब ने चेतावनी और उसके बाद जब पत्रकारों ने खबरें उछाला तो दूसरे दिन नोटिस जारी कार्यवाही को सीमित कर दिया। दिखावे की कार्यवाही ने स्पष्ट कर दिया है कि लेनदेन और मैनेजमेंट के सामने मरीजों की हालत और उनकी तड़प की कोई कीमत नहीं है जब तक मरीज स्वर्ग लोक को गमन नहीं हो जाता तब तक फर्जी डॉक्टर और अवैध क्लिनिको पर किसी तरह की कार्यवाही नहीं होगी।

..तो क्या स्वर्ग गमन के बाद होगी क्लीनिक पर कार्यवाही ?

कोतमा खंड चिकित्सा अधिकारी की लापरवाही मरीजों की जान की आफत बन गई है। अवैध क्लिनिक से इलाज करने और मरीजों की हालत बिगड़ने के बाद भी खंड चिकित्सा अधिकारी द्वारा अवैध क्लिनिको को अभयदान देना आम जनता, स्वास्थ्य विभाग और अपनी जिम्मेदारियां से मुंह मोड़ लेना है। खंड चिकित्सा अधिकारी गलत इलाज से मरीजो के स्वर्गगमन होने का इंतजार कर रहे है, जब तक इन अवैध क्लिनिको से मरीजों की मौत नही होगी तब तक स्वास्थ्य विभाग किसी तरह की कानूनी कार्यवाही नही करेगा। मामला बड़ा होने के बाद भी कार्रवाई न करना कहीं ना कहीं मैनेजमेंट की ओर इशारा कर रहा है। पहले दिन जब तथाकथित डॉक्टर ने अपनी गलती स्वीकार की तो खंड चिकित्सा अधिकारी द्वारा उसे चेतावनी देना ही खंड चिकित्सा अधिकारी के कार्य प्राणी पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर रहा है।

सक्षम अधिकारी के सामने डॉक्टर ने स्वीकारी थी गलती, तो फिर क्यों नहीं हुई कानूनी कार्यवाही?

खंड चिकित्सा अधिकारी कोतमा अवैध क्लीनिक और स्वास्थ्य विभाग में गलत कार्य प्रणालियों पर कार्यवाही करने के लिए सक्षम अधिकारी होता है। हाल ही में कोतमा में घटी घटना के बाद घटना के दिन ही खान चिकित्सा अधिकारी तथाकथित डॉक्टर आरती शुक्ला के यहां जांच करने पहुंचे थे जहां डॉक्टर ने इंजेक्शन लगाने और उस बच्चे की हालत खराब होने की बाद स्वीकार की थी फिर भी सछम अधिकारी होने के बाद भी ना तो किसी कानूनी प्रक्रिया के तहत कार्यवाही की गई और ना ही अवैध क्लीनिक को सील किया गया। जबकि चेकिंग के दौरान अवैध क्लीनिक में मरीज मौजूद थे, और क्लीनिक की अलमारी में सैकड़ो एलोपैथिक दवाइयां का जत्था रखा हुआ था। कार्यवाही करने के बजाय खंड चिकित्सा अधिकारी ने चेतावनी देकर अवैध क्लीनिक चलाने वाले डॉक्टर का मनोबल बढ़ा दिया।

खबरों पर संज्ञान और शिकायतों को किया नजर अंदाज

खंड चिकित्सा अधिकारी द्वारा अवैध क्लीनिक संचालक आरपी शुक्ला को दूसरे दिन जो नोटिस जारी की गई वह खबरों को संज्ञान लेकर जारी की गई है। वही मरीज के दादा सुभाष केवट द्वारा किए गए शिकायत पर संज्ञान ना लेते हुए अवैध क्लीनिक संचालक को अभयदान देने का कार्य किया गया है। जब के नियम के अनुसार शिकायत के आधार पर पहले तो कानूनी प्रक्रिया के तहत मामला पंजीबद्ध कर क्लीनिक को सील किया जाना चाहिए था लेकिन इन प्रक्रियाओं को नजर अंदाज करते हुए खंड चिकित्सा अधिकारी ने स्वयं चेतावनी देते हुए दूसरे दिन नोटिस जारी कर खाना पूर्ति कर ली जिससे क्षेत्र में अवैध क्लिनिक अब लगातार बढ़ते चले जा रहे हैं और उक्त तरह के डॉक्टरों का मनोबल बढ़ता चला जा रहा है इसके जिम्मेवार खंड चिकित्सा अधिकारी की लापरवाही है।
इनका कहना है
पूरे मामले को देखकर जल्द ही मामला पुलिस को सौप दिया जाएगा
ए के अवधिया
सी एम एच ओ अनुपपुर

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