बुढार। श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन बुढार के जगदीश प्रसाद त्रिपाठी के निवास में किया जा रहा है। कथा वाचक पं. बालकृष्ण पांडे द्वारा कथा सुनाई जा रही है। श्रीमद भागवत कथा 24 जनवरी से शुरू हुई और समापन 31 जनवरी को होगा। कथा प्रारंभ कलश यात्रा से हुई थी। कथा के चौथे दिन कृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया। आचार्य ने भगवान श्री कृष्णा की बाल लीलाओं का वर्णन किया।
बुढार में चल रह रही श्रीमद् भागवत कथा में कथा व्यास पं बालकृष्ण द्वारा कहा गया कि श्रीमद् भागवत कथा में लिखें मंत्र और श्लोक केवल भगवान की आराधना और उनके चरित्र का वर्णन ही नहीं है बल्कि कथा में वह सारे तत्व हैं जिनके माध्यम से जीव अपना तो कल्याण कर ही सकता है साथ में अपने से जुडे हुए लोगों का भी कल्याण होता है। जीवन में व्यक्ति को अवश्य ही भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए। बिना आमंत्रण के भी अगर कहीं भागवत कथा हो रही है तो वहां अवश्य जाना चाहिए। इससे जीव का कल्याण ही होता है। आचार्य श्री ने भागवत कथा में चौथे दिन श्री कृष्ण जन्मोत्सव वर्णन किया। जिसमें उन्होंने श्री कृष्ण से संस्कार की सीख लेने की बात कही। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण स्वयं जानते थे कि वह परमात्मा हैं उसके बाद भी वह अपने माता पिता के चरणों को प्रणाम करने में कभी संकोच नहीं करते थे। यह सीख में भगवान श्रीकृष्ण से सभी को लेनी चाहिए। आज की युवा पीढी धन कमाने में लगी हुई है लेकिन अपनी कुल धर्म और मर्यादा का पालन बहुत कम कर रहे हैं। भागवत कथा का आयोजन त्रिपाठी परिवार द्वारा आयोजित किया जा रहा है।