प्रशासन की गहरी नींद ने बढ़ाई ग्रामीणों की मुश्किलें
देपालपुर। भ्रष्टाचार और लापरवाही का गढ़ बन चुकी ग्राम पंचायत जलोडिया पंथ एक बार फिर विवादों में है। गाँव के एससी/एसटी मोहल्ले में जल निकासी की कोई व्यवस्था नहीं होने से पूरे मोहल्ले में जलभराव की स्थिति बनी हुई है। हालत यह है कि घरों के सामने गंदा पानी भरा पड़ा है, जिसमें मच्छरों का प्रकोप तेजी से फैल रहा है और वायरल बुखार ने ग्रामीणों को बीमार कर रखा है। ग्रामीणों ने बताया कि वे जनपद पंचायत, एसडीएम कार्यालय, जिला पंचायत, कलेक्टर कार्यालय, यहां तक कि कमिश्नर कार्यालय तक शिकायतें दर्ज करा चुके हैं। हर बार अधिकारियों ने जांच की, मौके की स्थिति सही पाई और पंचायत की लापरवाही भी साबित हुई, लेकिन कार्रवाई के नाम पर आज तक कुछ नहीं हुआ। लोगों का कहना है कि पिछले साल भी इसी लापरवाही के चलते गाँव में डेंगू ने कहर बरपाया था, लेकिन प्रशासन ने उससे कोई सबक नहीं लिया। ग्रामीणों का सवाल है कि क्या प्रशासन फिर से किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है? जिला पंचायत सीईओ सिद्धार्थ जैन से ग्रामीणों ने जब इस मामले में गुहार लगाई थी, तो उन्होंने आश्वासन दिया था कि सहायक यंत्री दर्पण कन्नौजिया को मामले का निराकरण करने के लिए निर्देशित किया गया है और वे स्वयं भी गाँव आकर स्थिति सुधारेंगे। लेकिन हकीकत यह है कि न तो सहायक यंत्री गाँव पहुंचे और न ही सीईओ साहब। नतीजा यह है कि जलभराव जस का तस है और ग्रामीणों की परेशानियां दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं। गाँव में फैले गंदे पानी से संक्रमण और महामारी फैलने का खतरा लगातार बढ़ रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि यह लापरवाही अब सीधे-सीधे ग्रामीणों की जान की दुश्मन बन चुकी है।
गाँव के लोग प्रशासन से सीधा सवाल कर रहे हैं कि—
बार-बार शिकायत के बाद भी आखिर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही?
जांच रिपोर्ट में लापरवाही साबित होने के बाद भी अधिकारी क्यों चुप्पी साधे बैठे हैं?
क्या प्रशासन तब जागेगा जब कोई बड़ी बीमारी गाँव को अपनी चपेट में ले लेगी?
प्रशासन की कुंभकर्णी नींद और ग्राम पंचायत की लापरवाही ने जलोदिया पंथ के ग्रामीणों की जिंदगी दांव पर लगा दी है। अब देखना यह होगा कि जिम्मेदार अधिकारी अपनी कुर्सियों से कब उठेंगे और वास्तव में राहत कार्य कब शुरू होगा।