देपालपुर। संदीप सेन। जिंदगी को मुस्कुराकर जीने की सीख देने वाले दिव्यांग चित्रकार प्रवीण उपाध्याय अब हमारे बीच नहीं रहे। महज 25 साल की उम्र में उन्होंने इस संसार को अलविदा कह दिया। जन्म से ही चलने-फिरने में असमर्थ रहे प्रवीण को माता-पिता का सहारा और सेवा जीवनभर मिला, लेकिन भगवान ने उन्हें एक ऐसा वरदान दिया था कि साधारण पेंसिल से वे किसी भी चेहरे की हूबहू तस्वीर उतार देते थे।
कला ही बनी सहारा
प्रवीण हमेशा कहते थे— “जिंदगी मुस्कराकर गुजारो, क्योंकि यह कितनी बाकी है कोई नहीं जानता।” यही वाक्य उनकी पहचान बन गया। शारीरिक सीमाओं के बावजूद उन्होंने अपने पिता ग्राम पंचायत सचिव राजेश उपाध्याय का नाम रोशन करने का संकल्प लिया और कभी यह एहसास नहीं होने दिया कि वे दिव्यांग हैं। पेंटिंग उनका शौक ही नहीं, जीवन का सहारा भी थी।
बड़े नेताओं के बनाए चित्र
प्रवीण की कला का दायरा गांव से लेकर बड़े जनप्रतिनिधियों तक फैला। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, विधायक मनोज पटेल, पूर्व विधायक विशाल पटेल और भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष चिंटू वर्मा सहित अनेक हस्तियों के चित्र बनाए। उनकी बनाई तस्वीरें आज भी हर किसी को उनकी प्रतिभा और जज़्बे की याद दिलाती हैं।
अंतिम समय तक पेंसिल नहीं छोड़ी
जीवन की अंतिम घड़ियों में भी प्रवीण ने पेंटिंग का साथ नहीं छोड़ा। उन्होंने माता-पिता और भगवान की तस्वीरें बनाकर अपने रिश्तों और आस्था को कागज पर हमेशा के लिए उतार दिया। यह उनकी कला के प्रति जुनून और समर्पण की मिसाल है।
अंतिम यात्रा में उमड़ा जनसैलाब
प्रवीण की अंतिम यात्रा में 108 ग्राम पंचायतों के सचिव, सहायक सचिव, और आसपास के गांवों—मिर्जापुर, उषापुरा सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल हुए। आंसुओं से भरी आंखों और भारी मन से सभी ने उन्हें अंतिम विदाई दी। क्षेत्र शोक में डूबा जरूर है, लेकिन हर कोई इस बात पर गर्व कर रहा है कि उनकी धरती से ऐसा जांबाज और हुनरमंद कलाकार निकला।