देपालपुर में सीएमओ बहादुर सिंह रघुवंशी बने नगर के अभिशाप स्वच्छता सर्वेक्षण 2025 में देपालपुर को 378वीं रैंक

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नगर की साख पर लगा कलंक
देपालपुर। संदीप सेन।  नगर परिषद देपालपुर की दुर्दशा अब किसी से छिपी नहीं रही। स्वच्छता सर्वेक्षण 2025 में देपालपुर ने पूरे मध्यप्रदेश में शर्मनाक 378वीं रैंक हासिल कर ली है। यानी साफ शब्दों में कहें तो नगर परिषद देपालपुर ने प्रदेश की गिनती में सबसे गंदे और निकम्मे नगरों की सूची में जगह बना ली है। इस कलंक का सबसे बड़ा जिम्मेदार एक ही व्यक्ति है—सीएमओ बहादुर सिंह रघुवंशी। नगरवासी कहते हैं कि यह व्यक्ति देपालपुर के लिए किसी कालसर्प, अभिशाप और आपदा से कम नहीं। नगर में न तो सफाई का नामोनिशान है, न ही कोई अभियान। गली-मोहल्लों में कचरे के ढेर, सड़ांध और बीमारी फैली हुई है, लेकिन सीएमओ अपनी तानाशाही और निकम्मेपन की कुर्सी पर मौज कर रहे हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, अपर मुख्य सचिव संजय दुबे, आयुक्त संकेत एस. भोंडवे और कलेक्टर आशीष सिंह से जनता की मांग है कि ऐसे नालायक सीएमओ पर तत्काल बर्खास्तगी या निलंबन जैसी कड़ी कार्रवाई हो। अगर अब भी कार्रवाई नहीं हुई तो आने वाली पीढ़ियां देपालपुर का नाम सुनते ही इसे गंदगी और निकम्मेपन की राजधानी कहेंगी।

भाजपा पार्षद सोमिल माली की चेतावनी
भाजपा पार्षद सोमिल माली पिछले तीन वर्षों से स्वच्छता के मुद्दे पर लगातार आवाज उठा रहे हैं, लेकिन सीएमओ रघुवंशी के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। नतीजा सामने है—देपालपुर का नाम प्रदेश में नाली-गंदगी के प्रतीक के रूप में दर्ज हो गया।

जनता का फूटा गुस्सा
नगरवासी अब खुले शब्दों में कह रहे हैं—
👉 “सीएमओ बहादुर सिंह रघुवंशी देपालपुर के लिए अभिशाप से कम नहीं।”
👉 “ऐसे सीएमओ की वजह से नगर परिषद की साख मिट्टी में मिल गई।”
👉 “यदि तुरंत कार्रवाई नहीं हुई तो देपालपुर का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा।”

देपालपुर के नागरिकों का गुस्सा इस कदर भड़क चुका है कि अब वे इसे सिर्फ लापरवाही नहीं बल्कि नगर की आत्मा के साथ किया गया अपराध मान रहे हैं।