अमरकंटक में पार्किंग के नाम पर अवैध वसूली और गुंडागर्दी का खेल!

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बिना निविदा के दी जा रही ठेकेदारी, श्रद्धालुओं से जबरन ₹50 की वसूली, नशे में धुत कर्मचारी कर रहे दुर्व्यवहार**

अमरकंटक। मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिले में स्थित देश के प्रमुख धार्मिक स्थलों में शुमार अमरकंटक एक ओर जहां पवित्र नर्मदा नदी का उद्गम स्थल है, वहीं दूसरी ओर अब यह जगह अवैध वसूली, लापरवाही और गुंडागर्दी का केंद्र बनती जा रही है।
ताजा मामला अमरकंटक में संचालित पार्किंग व्यवस्था को लेकर है, जहां बिना किसी टेंडर प्रक्रिया के मनमाने ढंग से एक व्यक्ति को हर बार पार्किंग वसूली का ठेका दे दिया जाता है। स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं का आरोप है कि यह ठेका प्रशासनिक ‘सेटिंग’ के आधार पर दिया जाता है।

न टेंडर, न रेट, सिर्फ लूट

जिन पार्किंग स्थलों को श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विकसित किया गया था, वहां अब सुविधा की जगह मनमानी वसूली और डर का माहौल बन गया है। न तो पार्किंग शुल्क का कोई निर्धारण किया गया है, और न ही किसी अधिकृत बोर्ड पर दरें प्रदर्शित की गई हैं। लोगों से सीधा ₹50 प्रति वाहन वसूला जा रहा है।

श्रद्धालुओं का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति वसूली पर सवाल करता है या रसीद मांगता है, तो उसे गाली-गलौच, धमकी और कई बार मारपीट तक की चेतावनी दी जाती है। कुछ लोगों ने यहां तक बताया कि वसूली करने वाले कर्मचारी दारू पीकर ड्यूटी पर रहते हैं, जिससे महिलाओं और बच्चों के सामने शर्मनाक दृश्य बनते हैं।

स्थानीय नागरिक ने उठाई आवाज, डीएम को सौंपी शिकायत

स्थानीय निवासी आकाश तिवारी ने पूरे मामले की लिखित शिकायत जिलाधिकारी अनूपपुर को सौंपी है। उन्होंने कहा है कि अमरकंटक जैसे पवित्र स्थल पर इस तरह की अवैध गतिविधियों को संरक्षण देना प्रशासन की विफलता है। उन्होंने मांग की है कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए और दोषियों पर कड़ी कार्यवाही की जाए।

श्रद्धालुओं की सुरक्षा पर खतरा

यह स्थिति केवल अवैध कमाई तक सीमित नहीं है। यह श्रद्धालुओं की सुरक्षा, गरिमा और धार्मिक भावनाओं से भी खिलवाड़ है। अमरकंटक में प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में पर्यटक व श्रद्धालु पहुंचते हैं, जिनमें महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे भी शामिल होते हैं। लेकिन वहां सुरक्षा व्यवस्था नदारद है और गुंडा तत्वों का बोलबाला है।

प्रशासन की चुप्पी और जिम्मेदारों की जवाबदेही तय होनी चाहिए

अब बड़ा सवाल यह है कि बिना निविदा के कैसे ठेका जारी किया जा रहा है?, किसके संरक्षण में यह सब हो रहा है?, और क्यों नहीं हो रही है कोई जांच या कार्रवाई?
स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासनिक मिलीभगत के कारण ही वर्षों से यह खेल बिना रुकावट चलता आ रहा है।

अब जागने की जरूरत: पारदर्शिता और जवाबदेही जरूरी

समाज, प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि अमरकंटक जैसी धार्मिक नगरी को अव्यवस्था, शराबखोरी और मनमानी वसूली के अड्डे में न बदलने दिया जाए।
जरूरत है एक पारदर्शी निविदा प्रणाली, दर निर्धारण, रसीद अनिवार्यता और चौकस निगरानी व्यवस्था की।