अधूरे सर्वे के आधार पर सुरू हुआ पॉवर प्लांट का काम

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न्यू जोन इंडिया लिमिटेड का मामला

ग्राम पंचायत रक्सा और ग्राम पंचायत कोलमी में लग रही 1320 मेगावाट की इकाई 

अनूपपुर। न्यू जोन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड अनूपपुर की 14 साल से अटकी पड़ी परियोजना अब रफ्तार पकड़ रही है अतिक्रमण स्थल पर कंपनी के द्वारा भूमि अधिग्रहण पर दीवार खींचने का काम किया जा रहा है इस परियोजना से जिन किसानों ने मुआवजा नहीं उठाया है उनको अब डराने और धमकाने का काम कंपनी के कर्मचारियों के द्वारा किया जा रहा है जिसके चलते ग्रामीण भयभीत नजर आ रहे हैं लेकिन उनकी इस पीड़ा को सुनने वाला प्रशासन उनकी बातों को भी अनसुना करता नजर आ रहा है इसी का नतीजा है कि मजबूरी में किसान अपनी रोजी-रोटी को कंपनी के हाथ में सौंपने को मजबूर नजर आ रहे हैं।
जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम पंचायत रक्सा और ग्राम पंचायत कोलमी में अधिग्रहित जमीन लगभग 476.766 हे0 भूमि पर 1320 मेगावाट की परियोजना इकाई का स्थापना होनी है जिसके लिए 2011 में 822 एकड़ जमीन का अधिग्रहण न्यू जोन पावर प्लांट के द्वारा जमीन का अधिग्रहण किया गया था। अगर सब कुछ ठीक रहा तो आने वाले समय मे इस परियोजना स्थापना के बाद यह गांव ऊर्जा उत्पादन के लिए जाना जाएगा। लेकिन भय के साए में सबकुछ होता नजर आ रहा है।
ग्रामीणों में डर का मौहाल
इस परियोजना से लगभग 191 हितग्राही प्रभावित हो रहे हैं जिनमें से एक दर्जन से भी अधिक हितग्राही जमीन अधिग्रहण के बाद मुआवजा लेने से इनकार कर चुके थे लेकिन अब कंपनी प्रवंधन किसानों को डराने व धमकाने का काम कंपनी द्वारा किया जा रहा है जिसके चलते किसान काफी भयभीत नजर आ रहे हैं आलम यह है कि लगातार ग्राम पंचायत में हुई बैठक के बाद कंपनी प्रबंधन के द्वारा अपनी 822 एकड़ जमीन को बाउंड्री बाल करने का काम कर रही है जिसका बीते दिन भूमि पूजन होने के बाद भारी मशीनों से दीवार खड़ी करने का काम किया जा रहा है।
14 साल बाद लग रहा पॉवर प्लांट
जानकारी के अनुसार यह अधिग्रहण जुलाई 2011 में हो जाना था लेकिन कंपनी के द्वारा 14 साल की जाने के बाद अब परियोजना स्थापना की बात की जा रही है जबकि भूमि अधिग्रहण बिल के मामले में कोई भी कंपनी अगर 5 साल में परियोजना की स्थापना नहीं करती है तो वह जमीन किसानों को वापस हो जाएगी, लेकिन न्यू जॉन के मामले में ऐसा होता नहीं दिख रहा है।
धरातल पर नही उतरी पुर्नवास योजना
14 साल बाद वापस लौटी कंपनी ने अब बाउंड्री बाल का काम युद्व स्तर पर जारी कर दिया है जिसको लेकर किसान अभी भी असमंजस की स्थिति में है कंपनी के द्वारा कई हितग्राहियों के साथ बैठकों का दौरा किया जाकर उनकी भूमि अर्जित कर ली गई लेकिन पुनर्वास योजना के तहत अभी भी कंपनी फिसड्डी नजर आ रही है। बीते 14 साल से जमीन अधिग्रहण करने के बाद कंपनी ने इन किसानों की भी किसी भी तरह की कोई सुध नहीं ली जिसके कारण गांव में न तो चिकित्सा, यातायात, शिक्षा सुगम मार्ग, प्रकाश व्यवस्था अधिग्रहण भूमि से नदारत नजर आ रही है।
मौके पर अभी है विरोध
प्रशासनिक पहल के बाद इन किसानों से लगभग 476 हेक्टेयर निजी भूमि पर स्थापित करने के लिए कंपनी के द्वारा पुराने पुनर्वास का हवाला देते हुए किसानों के साथ सहमति जाहिर की थी लेकिन मौके पर हो रहे विरोध के चलते आज भी कई किसान जमीन नहीं देने की बात कह रहे हैं जिसके चलते उन्हें लगातार डराया हुआ धमकाया जा रहा है।
बिना सर्वे शुरू हुआ निर्माण कार्य
जानकारी के अनुसार अभी तक कंपनी ने जमीन के मामले में किसी भी तरह का सर्वे नहीं किया है जिसके चलते किसानों को न तो पेयजल, कुआ और हरे भरे वृक्षों के अलावा फ़लदार पौधों का मुआवजा मिलना शेष है लेकिन कंपनी ने इस मामले में चुप्पी साधे नजर आ रही है। कुछ किसानों ने बताया कि रक्सा में सर्वे का काम 2011 मे हुआ था लेकिन कोलमी में आज तक नही हुआ मगर भूमि पूजन कराकर कंपनी दीवार खड़ा कर रही है।
यहाँ भी कंपनी दिख रही असफल
बीते 14 सालों से कंपनी पुनर्वास, बेरोजगारीभत्ता, किसी तरह का प्रशिक्षण, गौशाला निर्माण के लिए राशि, स्वास्थ्य सेवा छात्रवृत्ति व पेंशन नहीं दी गई है लेकिन आप कंपनी में देने की बात कह रही है जबकि पीछे 14 सालों से विस्थापित हो रहे किसानों को किसी भी तरह की सुविधा देने में कंपनी असफल रही है।
किसानों को सता रहा बेलस्पन एनजी का डर
जिस तरह से अधिग्रहण स्थल पर कंपनी के द्वारा काम लगाया गया है वहां पर अभी भी असमंजस की स्थिति किसानों में बनी है किसानों को इस बात का डर है की उमदरा, मझौली की तरह बेलस्पन कंपनी के द्वारा भी भूमि अधिग्रहण कर लिया गया था लेकिन उस पर प्लांट नहीं लग पाया। उसके बाद कंपनी ने अपनी सारी जमीन उठाकर अदानी पावर को बेच दी। जिसके चलते अब वहां पर अदानी पावर लिमिटेड पावर प्लांट लगा रही है लेकिन किसानों को रोजगार संबंधी सुविधाएं आज भी नहीं मिल पाई हैं कहीं रक्सा और ग्राम पंचायत कोलमी के किसानों के साथ भी यही तो होने की तैयारी नहीं है लेकिन मौजूदा समय में किसान अभी भी बेबस नजर आ रहे हैं उनकी सुध लेने वाला प्रशासन भी मौन नजर आ रहा है।
क्या किसानो के हाथों होगा स्थाई रोजगार
आमतौर पर यह देखने को मिलता है कि जिस जगह पर नई परियोजना इकाई की स्थापना होनी होती है वहां पर भविष्य के सपने का ताना-बाना प्रशासन से लेकर कंपनी प्रबंधन पीड़ित किसानों को दिखाती है लेकिन कंपनी शुरू होने के साथ ही किसानों के हाथ आम दिनों की तरह असहाय ही नजर आते हैं क्योंकि जिन जमीन पर किसान अपने भविष्य की यादें बुनता है उन हाथों में स्थाई रोजगार दे पाना कंपनी के बस के बाहर है, या फिर कंपनी स्थाई रोजगार के नाम पर पीड़ित किसानों को स्थाई रोजगार का झुनझुना देने का काम करती है। इन्हीं सपनों के आधार पर परियोजनाओं की स्थापना होती चली आ रही है और पीड़ित किसान आज भी कई बार अपनी मांगों को लेकर जिला प्रशासन के आगे हाथ फैलाए नजर आता है लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं। क्या न्यू जोन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड अनूपपुर में भी यही स्थिति दिखाई बनती दिखाई दे रही है यह तो आने वाला समय ही बताएगा।
इनका कहना है।
पुनर्वास नीति के तहत जो भी किसानों को देना था हम वह सारी योजनाओं की राशि एक साथ मुहैया करा रहे हैं शुरुआत में कुछ उपलब्ध कराई गई थी शेष अभी दी जा रही है।
सुधाकर पांडेय,न्यू जोन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड अनूपपुर।