अनूपपुर, पं अजय मिश्र
जिले में इन दिनों विकास के नाम पर भूमि अधिग्रहण की ऐसी लहर चल पड़ी है, जिसमें खेत तो समा ही रहे हैं, साथ में किसानों की उम्मीदें और भविष्य भी दबते जा रहे हैं। एक ओर जहां प्रशासन अधिग्रहण को ‘प्रक्रियानुसार’ बता रहा है, वहीं प्रभावित किसान खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। और राजनीतिक दल? वे तमाशबीन बने बैठकर इसे ‘मौका’ मानकर देख रहे हैं।
कागज़ों पर सहमति, जमीनी हकीकत में सन्नाटा
प्रशासन का दावा है कि अधिग्रहण से पहले किसानों की सहमति ली गई है, लेकिन जब गांवों में जाकर हकीकत जानी गई, तो अधिकांश किसानों ने कहा कि उन्हें अधिग्रहण के मापदंड तक समझाए नहीं गए। किसी को मुआवज़े की दर पर आपत्ति है, तो किसी को यह भी नहीं पता कि ज़मीन कब और कैसे चली गई।
प्रशासन मौन, लेकिन मशीनें सक्रिय
स्थानीय प्रशासन इस मुद्दे पर बोलने से बच रहा है। जब मीडिया ने सवाल किए, तो ज़िला कार्यालय से केवल एक संक्षिप्त जवाब मिला — “प्रक्रिया नियमों के अनुसार चल रही है।” वहीं दूसरी ओर, कई गांवों में जेसीबी पहले पहुंच गई है, दस्तावेज़ बाद में।
किसान — फसल से नहीं, नोटिस से डरने लगे हैं
कई किसान परिवारों ने बताया कि रातों-रात उन्हें भूमि अधिग्रहण का नोटिस थमा दिया गया। खेती करने वाले हाथ अब मुआवज़े के लिए दफ्तरों की खाक छान रहे हैं। कुछ को मुआवज़ा मिला भी, तो बाजार भाव से काफी कम। वहीं जिनके पास पट्टे या दस्तावेज़ अधूरे थे, उन्हें मुआवज़े से भी वंचित कर दिया गया।
राजनीति — मंचों पर शोर, मैदान में सन्नाटा
अधिग्रहण की इस दौड़ में राजनीतिक दलों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। विपक्ष इसे सरकार की विफलता बता रहा है, जबकि सत्ता पक्ष इसे ‘विकास की आवश्यकता’ बता रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि चुनाव के समय सभी दल गांव-गांव घूमते हैं, पर अब जब जमीन छीनी जा रही है, तो कोई नेता गांव तक नहीं आया।
विकास की गाड़ी, किसान की कीमत पर?
जिला प्रशासन और उद्योगपतियों के बीच सधी हुई तालमेल के बीच, किसानों की आवाज़ कहीं दबती जा रही है। ये वही किसान हैं जो अन्नदाता कहे जाते हैं, लेकिन आज उनकी ज़मीन पर फैक्ट्रियाँ उगाई जा रही हैं — और सपनों पर बुलडोज़र चल रहा है।
समाप्ति नहीं, शुरुआत है…
अनूपपुर का यह भूमि अधिग्रहण मामला आने वाले समय में और उथल-पुथल ला सकता है। अगर यही हाल रहा, तो शायद अगली बार चुनावी मंचों पर ‘विकास’ नहीं, ‘विस्थापन’ प्रमुख मुद्दा बन जाए।