



अमरकंटक में की गयी साधना शीघ्र फलीभूत होती है – आचार्य प्रभाकर जी
अमरकंटक।श्रवण उपाध्याय। मां नर्मदा जी की उद्गम स्थली / पवित्र नगरी अमरकंटक के शांति कुटी आश्रम में 01 मई से 06 मई 2025 तक समर्थ गुरुधारा मैत्री संघ छत्तीसगढ़ द्वारा आयोजित ध्यान , सुरति , निरति , अमृत योग शिविर का भव्य आयोजन का शुभारंभ अमरकंटक के शांति कुटी आश्रम में किया जा रहा है । इस शिविर में सम्मिलित सभी साधकों का मार्गदर्शन आचार्य प्रभाकर दर्शन के सानिध्य में आयोजित कार्यक्रम होना सुनिश्चित है । इस साधना शिविर में लभभग 200 ओशो संन्यासियों ने भाग लिया है जिसमें मध्यप्रदेश , छत्तीसगढ़ , महाराष्ट्र , वेस्ट बंगाल , उत्तर प्रदेश आदि देश के अन्य राज्यों से पधारे हुए है । समर्थ गुरुधारा मैत्री संघ के केंद्रीय समन्वयक आचार्य ओशो दर्शन ने कहा कि भारत की सनातन परंपराओं में आदिकाल से ही साधकों , ऋषियों , मुनियों ने साधना हेतु नदियों के तट पर स्थित तीर्थ स्थानों को चुना । अमरकंटक भी ऐसे ही दिव्य क्षेत्र में शामिल है , जहां सदियों से साधना की परंपरा अनवरत चल रही है । अमरकंटक क्षेत्र को न केवल देवी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त है बल्कि हमारे ऋषि मुनियों की दिव्य उपस्थिति एवं ऊर्जा भी साधना के क्षेत्र में हमें शीघ्र सफलता दिलाती है । ऐसे दिव्य स्थान में आयोजित यह शिविर साधकों को निश्चित ही अलग अनुभव करने वाला होगा । आचार्य दर्शन ने कहा कि मां नर्मदा नदी कलयुग में मुक्तिदानी नदी के रूप में जानी जाती है । यहां आदि शंकराचार्य , संत गुरु नानक एवं संत कबीर और हमारे समर्थ गुरु धारा मैत्री संघ के संस्थापक समर्थ गुरु सिद्धार्थ आलिया जी ने भी साधना की और इस जीवन के परम लक्ष्य को प्राप्त किया । आप सभी साधकों को निसंदेह इन सभी का आशीर्वाद भी मिलेगा और सभी आचार्य आपके मार्गदर्शन हेतु तत्पर रहेंगे । श्री दर्शन ने कहा कि आज मनुष्य जिन मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु भटक रहा है , उसमें आनंद की प्राप्ति वैभव एवं सुखी जीवन की परिकल्पना सम्मिलित है किंतु दुर्भाग्य से इसे पाने का सही मार्ग बताने वाला कोई नहीं है । ऐसे में समर्थ गुरु धारा मैत्री संघ साधकों की जिज्ञासाओं का समाधान करने , परमात्मा की प्राप्ति के मार्ग को बताने और अध्यात्म के जिज्ञासुओं की प्यास बुझाने वाला सर्वश्रेष्ठ आध्यात्मिक केंद्र है ।
समर्थ गुरु सिद्धार्थ जी द्वारा प्रतिपादित वैज्ञानिक पद्धतियां एवं आध्यात्मिक अन्वेषण आज साधकों को सहज रूप से उनके माध्यम से प्रदान किया जा रहा हैं ताकि वे साधना के क्षेत्र में भटकने से बचे । हमें इस अवसर का भरपूर लाभ उठाना चाहिए और समर्थ गुरु द्वारा प्रतिपादित मार्ग का अनुसरण करना चाहिए ।
रांची से आए आचार्य अमरेश झा ने कहा कि समर्थ गुरु के द्वारा जो ज्ञान हमें मिला है वह हम आपको देकर इस जीवन के परम लक्ष्य की प्राप्ति में सहायक होने का निमित्त मात्र हैं । हरियाणा से आए आचार्य कर्नल अनुतोष ने बताया कि आज समर्थ गुरुधारा देश-विदेश में अपनी साधना पद्धति के माध्यम से निरंतर साधकों का मार्गदर्शन कर रही है । पूरे देश में आचार्य गुरु सेवा करते हुए शिविरों के माध्यम से मार्गदर्शन कर रहे हैं । साधकों की जिम्मेदारी है कि वे गंभीरता से सभी सत्रों का लाभ उठाएं । छत्तीसगढ़ राज्य संयोजक आचार्य संतोष ने बताया कि छत्तीसगढ़ के साधकों के लिए समर्थ गुरुदेव द्वारा विशेष अनुग्रह एवं कृपा दृष्टि है । समर्थ गुरु ने स्वयं भी दो बार अमरकंटक प्रवास कर शिविरों में साधकों के साथ समय बिताया है । यह शिविर भी उनकी दिव्य उपस्थिति में संपन्न होने जा रहा है । आचार्य मां वंदना ने साधकों को बताया कि इस बार समर्थ गुरुदेव ने श्रेष्ठ आचार्यो को आपके समक्ष भेजा है , हमें इनकी उपस्थिति का भरपूर लाभ लेना चाहिए । इसके पूर्व सभी आचार्यों ने परम गुरु ओशो एवं समर्थ गुरु सिद्धार्थ जी के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया । उद्घाटन सत्र का सफल संचालन स्वामी हरिशंकर शर्मा ने किया । इस शिविर में पूरे देश से लगभग डेढ़ सौ साधक उपस्थित होकर चार तलों के साधना शिविर में भाग ले रहे हैं ।