अनूपपुर: जैतहरी क्षेत्र में जंगली हाथियों का दस्तक, प्रशासन ने जारी किया अलर्ट

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छत्तीसगढ़ की सीमा से एक बार फिर दो हाथियों ने मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिले में किया प्रवेश,वनविभाग सहित अन्य विभागों के द्वारा की जा रही निगरानी,ग्रामीणों को किया गया सतर्क


अनूपपुर। एक बार फिर से छत्तीसगढ़ राज्य की सीमा को पार कर दो जंगली हाथी मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिला अंतर्गत वन परिक्षेत्र एवं तहसील जैतहरी अंतर्गत धनगवा के जंगल में प्रवेश कर बुधवार के दिन विश्राम कर रहे हैं जिनके देर शाम होने पर किस तरफ विचरण करेंगे यह देर शाम एवं रात होने पर ही पता चल सकेगा दो हाथियों के विचरण को देखते हुए वनविभाग,पुलिस,राजस्व विभाग के साथ ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधि एवं कर्मचारी हाथियों के विचरण के साथ ग्रामीणों की सुरक्षा को देखते हुए सतर्क रहने की सलाह दे कर निरंतर निगरानी कर रहे हैं।

ज्ञातव्य की दो जंगली हाथी जिसमें एक दो दांत एवं एक एक दांत वाला नर हाथी है विगत कई दिनों पूर्व 50 से अधिक हाथियों के समूह से निकल कर छत्तीसगढ़ राज्य के कटघोरा वन मंडल से जीपीएम जिला अंतर्गत वन परिक्षेत्र मरवाही में पांच दिनों तक विचरण करने बाद मंगलवार की देर रात मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिला अंतर्गत वन परिक्षेत्र एवं तहसील जैतहरी की सीमा में गूजरनाला पार करते हुए ग्राम पंचायत चोलना के विभिन्न बार्डो में ग्रामीणों के घर खेत-वाड़ी में आहार की तलाश कर आहार करते हुए ग्राम पंचायत कुकुरगोंड़ा के विभिन्न मोहल्ला के किनारे से होते हुए बुधवार की सुबह अपने पैतृक निवास स्थल धनगवां बीट के कक्ष क्रमांक 337,338 के जंगल में प्रवेश कर विश्राम कर रहे हैं जिनके देर शाम एवं रात होने पर जंगल से निकल कर किस ओर विचरण करेंगे यह रात होने पर ही पता चल सकेगा हाथियों के विचरण पर नजर बनाए रखते हुए वनविभाग,पुलिस विभाग,राजस्व विभाग एवं ग्राम पंचायतो की जनप्रतिनिधि/कर्मचारी जंगल से लगे ग्रामों के टोला,मोहल्ला में जहां ग्रामीण अलग-थलग तरीके से खेतों में कच्चे एवं पक्के घर बनाकर रह रहे हैं को देर शाम एवं रात होने के पहले पर बीच बस्ती में आकर सुरक्षित रहने,हाथियों के समूह के पीछे नहीं जाने,ना हीं किसी भी तरह की हरकत हाथियों के साथ करने की सलाह देते हुए सतर्क कर रहे हैं यह हाथी विगत दो वर्षों से निरंतर छत्तीसगढ़ राज्य से अनूपपुर जिले के विभिन्न ग्रामीण अंचलों में कई बार विचरण करते पहुंचकर विश्राम करने बाद ग्रामीणो की संपत्तियों का नुकसान कर वापस छत्तीसगढ़ राज्य में अपने बड़े समूह में जाकर मिल जाते हैं।

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