13 साल बाद भी नहीं शुरू हुआ पावर प्लांट का काम
वेलस्पन में अपनी अधिग्रहित जमीन भी बेची
अनूपपुर। कोतमा जनपद पंचायत के तरसिली, उमरदा मंटोलिया,
छतई की लगभग 1800 एकड़ भूमि में वर्ष 2011 में बेलस्पन एनर्जी प्राईवेट लिमिटेड के द्वारा 1320 मेगावाट सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट लगाए जाने के लिए किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई थी अधिग्रहण के 13 साल भी जाने के बाद भी आज दिनांक तक न तो पावर प्लांट चालू नही हो पाया है। अधिग्रहण राशि दी जाने के बाद भी किसानों को कंपनी की तरफ से दी जाने वाली सुविधाएं भी अब बंद की जा चुकी है ऐसे में किसान जब अपने खेत की जुताई करने पहुंचे तो उनके ऊपर कंपनी के द्वारा मामला मुकदमा दर्ज कराया जा रहा है। उम्मीद की आस में आज किसान जिला प्रशासन से अपनी आपबीती सुनने कलेक्टर कार्यालय पहुंचे हुए थे।
मंगलवार को होने वाले जनसुनवाई में तरसिली, उमरदा मंटोलिया, छतई के लगभग 100 किसान आज पहुंचे हुए थे किसानों का कहना था कि वर्ष 2011-12 में अपनी जमीन इसलिए दी थी ताकि क्षेत्र और उनका विकास हो चुके लेकिन कंपनी के द्वारा उनके साथ अभी तक छलावा ही किया गया था इतना ही नहीं 2019 के बाद से पेंशन शिक्षा इलाज वह अन्य चीज भी कंपनी के द्वारा बंद की जा चुकी हैं ऐसे में आप किस जब अपनी जमीन को रोकने के लिए पहुंचता है तो फोन पर पुलिस थाने में मामला मुकदमा दर्ज कराया जा रहा है जिस बात से किसान काफी दुखी है।
जमीन अधिग्रहण के बाद नहीं शुरू हुआ पावर प्लांट का काम
लगभग 1800 एकड़ जमीन का अधिग्रहण वर्ष 2012 में विलासपन एनर्जी कंपनी के द्वारा किया गया था जिसमें लगभग 1320 मेगावाट का पावर प्लांट लगाने का अनुबंध किसानों के साथ कंपनी के द्वारा किया गया था साल दर्शन बीटा गया लेकिन आज भी मौके में कंपनी के प्लाट की जगह केवल बाउंड्री बोल ही खड़ी नजर आ रही है इतना ही नहीं मध्य प्रदेश शासन की आदर्श पुनर्वास समिति का भी पालन होता दिखाई नहीं दे रहा है किसानों का आरोपीय भी है कि मुआवजा की राशि भी काम दी गई थी लेकिन अब जब प्लांट ही बिक चुका है तो ऐसे में अब पीड़ित किसान जाए तो जाए कहा।
2019 के बाद बंद हुई सुविधाएं
बिलासपुर एनर्जी कंपनी के द्वारा किसने की जमीन अधिग्रहण करने के बाद लगभग 248 किसानों से इस बात का अनुबंध किया गया था कि उन्हें प्लांट लगने के पहले वर्धन उनके बच्चों को शिक्षा, उम्र दराज लोगो को पेंशन, बेरोजगारी युवक को बेरोजगरी भत्ता, वह विस्थापन सभी किसानों परिवार का निशुल्क उपलब्ध कराया जाएगा लेकिन 2019 के बाद से कंपनी के द्वारा यह सुविधा भी बंद कर दी गई है।
ये रही किसानों की मांग
किसानों के सामने एक और नई समस्या खड़ी हुई है किसानों के द्वारा अपनी जमीन बेलसपन एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड को पावर प्लांट लगाने के लिए जमीन दी गई थी लेकिन कंपनी के द्वारा उक्त जमीनों पर पावर प्लांट को नहीं लगाया गया बल्कि अधिकृत की गई सारी जमीन को अदानी कंपनी को बेच दिया गया है ऐसे में किसान नई कंपनी के साथ करार नामे की बात कह रहे हैं।
पीड़ित किसानों के द्वारा लगभग 7 बिंदुओं का विज्ञापन भी जिला प्रशासन को सोपा गया है जिसमें उनके द्वारा जो बेरोजगारी भत्ता कंपनी द्वारा दिया जाता था वो पुनः दिया जाये आज के मँहगाई भत्ता के अनुसार। पूर्व में प्रदत्त करारनामा के अनुसार स्थायी और स्थानीय नावरी शैक्षणिक योग्यता अनुसार प्रदान किया जाये। जिनकी 1 एकड़ से कम जमीन हो उनको भी नौकरी दिया जाये साथ ही जिनकी 1 एकड़ से ज्यादा जमीन हो उनको प्रति एकड़ के हिसाब से नौकरी दिया जाये।, प्रभावित परिवार को दिये जाने वाले सुविधाए जो पूर्व मे दिये जा रहे थे जैसे चिकित्सा, शिक्षा, छात्रवृत्ति, पानी, बिजली, खेल आदि CSR की सभी सुविधाये चालू किया जाये। सिविल वर्क के जो भी काम हो सीधे कंपनी से प्रभावित किसान को दिया जाये और स्थानीय लोगो को प्राथमिकता दिया जाये, पेसा एक्ट के तहत कंपनी द्वारा जो भी कार्य प्रस्तावित है करने मे पूर्व ग्राम पंचायत (मझौली, उमरदा, गुलीडॉड़) से अनापत्ति प्रमाण ले तभी कार्य शुरूवात करें।