जिस नशा मुक्ति केंद्र में मरा युवक, वह बिना अनुमति सिर्फ पंजीयन के भरोसे

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मामला शिवपुरी के प्रतिज्ञा नशा मुक्ति केंद्र का

– प्रशासनिक लापरवाही का मामला

शिवपुरी। रंजीत गुप्ता। शिवपुरी कोतवाली पुलिस ने बाइक चोरी के संदेही को हिरासत में लेने के बाद प्रतिज्ञा नशा मुक्ति केंद्र में रखा था। इस केंद्र का सामाजिक न्याय विभाग में मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम 2017 के तहत पंजीयन कराया हुआ था। स्वास्थ्य विभाग से अनुमति नहीं होने के कारण यहां पर नशे के आदि लोगों पर दवाओं का प्रयोग नहीं किया जा सकता था, लेकिन दवाएं दी जा रही थीं। खास बात ये है कि संदेही की मौत के बाद 7 घंटे तक हंगामा करने वाले स्वजन अब पूरी तरह शांत हो चुके हैं। जिससे पुलिस को भी राहत मिली है। उधर मामले में न्यायायिक जांच भी शुरू हो चुकी है। इस मामले में युवक की मौत के बाद परिवारवालों ने हंगामा किया था इसके बाद चार पुलिसकर्मियों जिनमें सहायक उपनिरीक्षक प्रवीण त्रिवेदी, आरक्षक महेंद्र तोमर, आरक्षक राहुल कुमार, और आरक्षक जितेंद्र रावत को लाइन अटैच कर दिया गया था।

केंद्र में हुई थी संदेही युवक की मौत-

दरअसल कोतवाली पुलिस ने रविवार को बाइक चोरी के संदेह में अमोला थानान्तर्गत मामौनी गांव से अजय लोधी, दिनेश लोधी और केपी लोधी को हिरासत में लिया था। जिसमें दिनेश लोधी और अजय लोधी में नशे के लक्षण दिखाई देने के बाद पुलिस ने इनको प्रतिज्ञा नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती कराया था। जहां दिनेश लोधी की मौत हो गई थी।

कोतवाली में लिखा है केंद्र का नाम-

सूत्रों की मानें तो प्रतिज्ञा नशा मुक्ति केंद्र के कर्मचारी पहले भी पुलिस का नशे के आदि रोगियों के उपचार में सहयोग करते रहे हैं। कोतवाली थाने में तो बकायदा नशा मुक्ति केंद्र का नाम, पता, मोबाइल नंबर तक बाहर दीवार पर लिखा है। इसी वजह से पुलिसकर्मी दोनों संदेहियों को लेकर नशा मुक्ति केंद्र में पहुंचे थे। इतना ही नहीं जब उसे केंद्र में लेकर पहुंचे तब भी नशे में था।

सामाजिक न्याय विभाग ने स्वास्थ्य पर टाला मामला-

वहीं दूसरी ओर इस मामले में सामाजिक न्याय विभाग की उप संचालक नम्रता गुप्ता का कहना है कि मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम के तहत प्रतिज्ञा नशा मुक्ति केंद्र का हमारे यहां से पंजीयन किया गया था। यह नर्सिंग एक्ट के तहत तो उपचार कर सकते हैं। अब स्वास्थ्य विभाग से अनुमति ली या नहीं, ये संबंधित विभाग के अधिकारी ही बता सकते हैं। प्रतिज्ञा नशा मुक्ति केंद्र का पंजीयन सामाजिक न्याय विभाग में तो हुआ है, लेकिन दवाओं के प्रयोग के लिए जरूरी स्वास्थ्य विभाग से अनुमति नहीं ली गई है। सीएमएचओ डा. संजय ऋषिश्वर के मुताबिक ताबिक स्मैक जैसे नशे के आदि लोगों को काबू करने के लिए नारकोटिक्स एक्ट के अंतर्गत आने वाली दवाओं का प्रयोग किया जाता है। ये दवाएं काफी हैवी होती हैं। इन दवाओं का स्टाक या बेचा भी चिकित्सीय पर्चे पर ही संभव है।