अपने किले, महल, कला और संस्कृति के लिए पर्यटकों का मुख्य आकर्षण केंद्र बना रहता है शिवपुरी

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

विश्व धरोहर दिवस पर खास

– 10 हजार साल पुराना चुड़ेल छाज नामक शैलचित्र मौजूद है

शिवपुरी। रंजीत गुप्ता। शिवपुरी जिला अपने किले, महल, कला और संस्कृति के लिए पर्यटकों का मुख्य आकर्षण केंद्र बना रहता है। पुरातत्व, आध्यात्म और प्रकृति का अद्भुत संयोग है शिवपुरी-
पर्यटन की द्रष्टि से शिवपुरी एतिहासिक, पुरातात्विक, प्राकृतिक धरोहरों से समृद्धशाली शहर है।

पर्यटन ग्राम के नाम से जाना जाता है शिवपुरी-

मध्य प्रदेश पर्यटन बोर्ड इन एतिहासिक धरोहरों के प्रचार एवं प्रसार हेतु निरंतर प्रयासरत है।
शिवपुरी जिला मध्यप्रदेश का एक अत्यंत प्राचीन शहर है जिसे पर्यटन ग्राम के नाम से जाना जाता है एवं पर्यटकों के बीच में बेहद पवित्र और प्रसिद्ध शहर रहा है।

माधव टाइगर रिजर्व भारत का 58वां और मध्य प्रदेश का नौवां टाइगर रिजर्व-

माधव नेशनल पार्क को ‘टाइगर रिजर्व’ का मिलेगा का तोहफा मिलने के बाद , यह भारत का 58वां और मध्य प्रदेश का नौवां टाइगर रिजर्व बंनगया है जिससे शिवपुरी के वाइल्डलाइफ टूरिज्म एवं देशी तथा विदेशी पर्यटकों की संख्या में पहुच रहे है ,यहां टाइगरों के दीदार के लिए बड़ी संख्या में लोग उत्साह और रोमांच के साथ पहुंच रहे हैं।

घने जंगल से घिरा हुआ है-

शिवपुरी मध्य प्रदेश के उत्तरी भाग में एक ऐतिहासिक शहर है। यह घने जंगल से घिरा हुआ है और शिवपुरी में समृद्ध वनस्पतियों और जीवों का घर है। यहा 9वीं शताब्दी के मठ और शिव परंपरा से संबंधित मंदिर का एक अनुपम सोंदेर्यात्मक समूह देखने को मिलता है शिवपुरी रहस्य और रोमांच से भरपूर प्राचीन किलो और बावडियो के लिए प्रसिद्ध है ।

10 हजार साल पुराना चुड़ेल छाज नामक शैलचित्र मौजूद है-

यहाँ के 10 हजार साल पुराने प्रागैतिहासिक चुड़ेल छाज नामक शैलचित्र मोजूद है जिनका अवलोकन भीमबेटका (भीमबैठका) के खोज कर्ता पुरात्तववेत्ता पद्मश्री स्व.बाकणकर जी द्वारा कहा गया कि –“मैंने अपने जीवन में इतने प्राचीन शैल चित्र प्रथम बार देखे है।
यहां के दुर्ग,गढ़ी की दीवारों पर अंकित नक्काशी और कारीगरी हिन्दू स्थापत्य कला का वेहतरीन उदहारण है शिवपुरी के मंदिरों की कला और वास्तुकला शानदार है।

यह मप्र में विरासत का एक छिपा हुआ गहना है-

यहा के दुर्ग एवं गढ़ी जैसे सुरवाया गढ़ी, नरबर दुर्ग, पिछोर दुर्ग, करेरा दुर्ग, खोखई मठ , तेरही मठ, तोरण द्वार, महोजमाता मंदिर, प्राचीन शिव मंदिर ग्राम महुआ वास्तुशिल्प प्रतिभा और सांस्कृतिक समृद्धि के भंडार से कम नहीं है। यह मप्र में विरासत का एक छिपा हुआ गहना है।