यूपी के तर्ज पर प्रशासन ने कब्ज़ा हटवाने पत्रकार के घर चलवाया बुलडोजर

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राजनीतिक द्वेष के कारण कार्यवाही का लग रहा आरोप…

अंबिकापुर। सत्ता से असहमत पत्रकारों पर लगातार हमले जारी हैं, सत्ता चाहे कांग्रेस की रही हो चाहे बीजेपी की, अत्याचार की इस प्रक्रिया में कोई अंतर कभी भी दिखाई नहीं दिया । आज भी एक ऐसे ही निर्मम और संवेदनहीन घटना सामने आई है। जिसमें सारे नियम कायदों को ताक में रखकर उत्तर प्रदेश के बुलडोजर संस्कृति को एक पत्रकार के खिलाफ छत्तीसगढ़ में प्रयोग किया गया है ।

घटना अंबिकापुर की है जहां आज सूर्य उगने के पहले भोर में ही एक पत्रकार घटती घटना के संपादक अविनाश सिंह के कार्यालय और घर में बुलडोजर चलाकर घंटे भर के भीतर ही उस पत्रकार और उसके पुरखों की मेहनत और संपत्ति को चकनाचूर कर मिट्टी में मिला दिया गया ।लाखों की आबादी वाले शहर में इकलौते घटती घटना के संपादक के घर पर ही बुलडोजर चलाया गया।

सरकार की नजर में यही एक मात्र नियम विरुद्ध घर था ।ज्ञात हो कि उक्त पत्रकार ने पिछले कुछ महीने पहले प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल के खिलाफ और उनके निजी सचिव मरकाम के खिलाफ कई समाचार लगाया था, तब *घटती घटना* को सरकारी विज्ञापन रोक देने का आरोप लगाते हुए उक्त पत्रकार ने छत्तीसगढ़ सरकार के खिलाफ “कलम बंद हड़ताल” की घोषणा की थी और इस आंदोलन के तहत हुए पिछले महीने भर से लगातार अपने अखबार और सोशल मीडिया में सक्रिय था ।

घटती घटना के पत्रकार अविनाश सिंह ने आज सुबह *भूमकाल समाचार* से बात करते हुए जानकारी दी की उन्हें 26 जुलाई की शाम को ही अचानक एक ही दिन में मकान और दुकान खाली करने का नोटिस दिया गया था, जिसके जवाब में उन्होंने नोटिस प्राप्त होने के तत्काल बाद उसी दिन उसने मामला कोर्ट में होने की सूचना देते हुए आवेदन देकर समय देने की मांग की थी, पर नोटिस मिलने के 36 घंटे के भीतर ही बिना समान हटाने का मौका दिए बिना सुबह सबेरे पूरे मकान और आफिस में बुलडोजर चला दिया ।
ज्ञात हो कि पत्रकार अविनाश सिंह के पिता की मृत्यु हुए भी अभी एक सप्ताह नहीं हुआ है और उनके घर में मृत्यु परांत होने वाले संस्कार चल रहे है, अभी तेरहवीं भी नही हुई है ।
पता चला है कि इस घटना पर प्रदेश भर के पत्रकार आक्रोशित हैं और निकट भविष्य में सरकार के खिलाफ पत्रकार बड़ा आंदोलन करने की तैयारी में है । पिछली सरकार द्वारा पत्रकार सुरक्षा कानून के नाम पर पारित अधिनियम को भी ठंडे बस्ते में डाले जाने से प्रदेश के पत्रकार नाराज हैं ।

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