जिले में नहीं मुरूम खदान, फिर बेलिया छोट पंचायत में कहां से पहुंची 111 ट्रॉली मुरूम?
फर्जी बिलिंग, भुगतान और भ्रष्टाचार का बड़ा खुलासा — बिना हस्ताक्षर और सील के पंचायत कोष से निकाले गए 49 हजार 950 रुपये, जांच की मांग जोर पकड़ रही
अनूपपुर। जनपद पंचायत कोतमा के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत बेलिया छोट इन दिनों गंभीर आरोपों के घेरे में है। यहां विकास कार्यों के नाम पर भ्रष्टाचार की नई कहानी लिखी जा रही है। हैरानी की बात यह है कि जब पूरे अनूपपुर जिले में मुरूम की एक भी खदान मौजूद नहीं है, तब पंचायत रिकॉर्ड में 111 ट्रॉली मुरूम की आपूर्ति दर्ज कर दी गई। सवाल यह उठता है कि जब जिले में मुरूम उपलब्ध ही नहीं, तो फिर यह मुरूम आया कहां से?
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पंचायत ने साकेत ट्रेडर्स नामक फर्म से 450 रुपये प्रति ट्रॉली की दर पर 111 ट्रॉली मुरूम खरीद दिखाया है। इसके एवज में पंचायत द्वारा 20 सितंबर 2025 को 49,950 रुपये का भुगतान भी कर दिया गया। इससे भी चौंकाने वाली बात यह है कि भुगतान के लिए जारी बिल पर न तो सरपंच के हस्ताक्षर हैं, न ही सचिव की सील, फिर भी भुगतान कर दिया गया — जिससे पंचायत के कामकाज पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
स्थानीय ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों का कहना है कि पंचायत में लंबे समय से फर्जी भुगतान और मनमानी का सिलसिला जारी है। कई कार्य ऐसे हैं जो केवल कागजों पर पूर्ण दिखाए जा रहे हैं, जबकि मौके पर उनका अस्तित्व तक नहीं है। ग्रामीणों का आरोप है कि सरपंच-सचिव की मिलीभगत से सरकारी राशि की बंदरबांट की जा रही है।
बताया जाता है कि बेलिया छोट पंचायत में मनरेगा और अन्य मदों से लाखों रुपये के कार्य स्वीकृत हुए हैं, लेकिन अधिकांश कार्यों में मटेरियल सप्लाई के नाम पर फर्जी बिलों से भुगतान किया जा रहा है। पंचायत सचिव और संबंधित कर्मचारियों की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं।
अब यह मामला चर्चा का विषय बन गया है। लोग यह जानना चाहते हैं कि जब अनूपपुर जिले में मुरूम खदान ही नहीं, तो फिर पंचायत ने यह मुरूम कहां से खरीदा? कहीं ऐसा तो नहीं कि बिना किसी वास्तविक आपूर्ति के ही कागजों पर बिल तैयार कर भुगतान कर दिया गया?
बताया गया कि अगर यह मामला जांच के दायरे में आया, तो कई चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं। जिला प्रशासन से मांग की जा रही है कि इस पूरे प्रकरण की तकनीकी जांच (Engineering Audit) और वित्तीय जांच (Audit of Expenditure) कराई जाए, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि पंचायत ने वास्तव में कोई मुरूम खरीदा या यह सिर्फ कागजों पर खेला गया भ्रष्टाचार का ड्रामा है।
ग्रामीणों द्वारा मुख्य कार्यपालन अधिकारी से जांच कर कर उचित कार्यवाही की मांग सीईओ से की गई है।
इनका कहना
इस संबंध में वहां के सचिव रामनरेश सोनी से कई बार संपर्क करने का प्रयास किया गया किंतु उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया