पुलिस विभाग के द्वारा आयोजित किया गया कार्यक्रम
अनूपपुर। अंग्रेजी हुकूमत के द्वारा लागू किए भारतीय दंड संहिता1860 , दंड प्रक्रिया सहिता 1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की धाराओं में संशोधन करते हुए उन में कई सुधार कार्य किए हैं जिसमें कानूनी दाव पेज से बच रहे आरोपियों के अलावा पुलिस से परेशान लोगों को इन धाराओं में अब कुछ हद तक राहत मिलेगी साथ ही कानूनी प्रक्रिया के दौरान होने वाले बयान, मेडिकल समेत कोर्ट के ट्रायल तक में समय सीमा में लाने का काम इस नए अधिनियम में किया गया है जिसको लेकर आज एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मंच में मुख्य अतिथि के रूप में जिला एवं सत्र न्यायाधीश पंकज अग्रवाल के अलावा विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव न्यायाधीश श्रीमती मोनिका अध्या भी मौजूद रही। मंचासीन अतिथियों के द्वारा उपस्थित सभी लोगों को इस अधिनियम में हुए सुधार की जानकारी दी गई।
केंद्र सरकार के संशोधन के बाद भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को एक नई पहचान दी गई है जिसे अब भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 में परिवर्तित करके आपराधिक न्याय प्रणाली में एक परिवर्तनकारी कदम उठाने का प्रयास किया है।
भारतीय न्याय सहिता में ये हुए परिवर्तन
नए कानून के तहत अब आपराधिक कानून में भारतीय न्याय सहिता बीएनएस धाराओं में संशोधन किया गया है जैसे कि आईपीसी की धाराओं में 511 से घटकर बिजनेस में 358 कर दी गई है इसमें 20 नए अपराध जोड़े गए हैं कई अपराधों में न्यूनतम सजा का भी प्रावधान किया गया है साथ ही अपराधों में न्यायालय के द्वारा किए जा रहे हैं जुमाने की रकम में भी अब इजाफा हुआ है इतना ही नहीं संगीय अपराधों में कोर्ट के द्वारा दी जा रही सजा में अब अवधि भी बढ़ाई गई है नए कानून में इसका फायदा महिलाओं और बच्चों में देखने को मिलेगा इन दोनों वर्गों को एक ही अध्याय में समायोजित किया गया है धारा 59 के तहत झूठे वादों पर सख्त सजा का प्रावधान व धारा 70, 2 में सामूहिक बलात्कार की स्थिति में मृत्यु दंड का प्रावधान हुआ है।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 में ये हुए सुधार
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 में सीआरपीसी में धाराओं को बढ़ाकर 484 से अब बीएनएसएस में 531 की गई है जिसमें 9 धाराएं नई जोड़ी गई है वह 14 धारा निरस्त की गई है इस नए संशोधन में कई मामलों में पुलिस के द्वारा की जारी जांच में अब तकनीकी का उपयोग किया जाएगा। मजिस्ट्रेट द्वारा जुर्माना में वृद्धि की जाएगी, न्याय प्रक्रिया और पीड़ितों की सुरक्षा को सुरक्षित इस भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के तहत किया जाएगा। इतना ही नहीं अब थानों के चक्कर काट काट कर कई बार पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पा रहा था तो आप उन्हें धारा 173 के तहत जीरो एफआईआआर और ऑन लाइन एफआईआर का प्रावधान किया गया है हालांकि कार्यक्रम के दौरान जिला एवं सत्र न्यायालय से आए न्यायाधीशों के द्वारा ऑनलाईन एफआईआर मामले में तीन दिवस के भीतर आवेदक को अपनी शिकायत पर साइन करने के लिए थाने जाना पड़ेगा जिस पर पुलिस कोई आनाकानी नहीं कर सकी। अब पुलिस ने अपराधों में वीडियो ग्राफी के साथ-साथ ऑडियो के माध्यम से भी पीड़ित का बयान कर उसे न्याय दिलाने की कोशिश करेगी।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 में हुए बदलाब
सरकार के द्वारा भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 बीएसए में भी इसी तरह के बदलाव करने का काम किया है जिसमें धाराओं की संख्या 167 से बढ़कर 170 कर दी गई है 24 धाराओं में बदलाव हुआ है दो नई धाराएं जोड़ी गई है 6 धरे निरस्त की गई है कुछ सुधार कार्य भी हुआ है जिसमें अब तकनीकी और डिजिटल के माध्यम से रिकॉर्ड को साक्ष्य के रूप में मान्यता दी गई है डिजिटल साक्ष्य प्रामाणिकता के लिए रूपरेखा यह अधिनियम प्रदान करता है धारा 2 में हुए संशोधन के बाद दस्तावेजों की विस्तारित परिभाषा इस अधिनियम में देखने को मिल रही है साथ ही धारा 61 में डिजिटल रिकॉर्ड की स्वीकारता को भी सामानता दी गई है वह धारा 62 और 63 में इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड की भी स्वीकारता अब इसने अधिनियम में देखने को मिलेगी।
पुलिस की जवाबदारी होगी और पारदर्शी
पुराने कानून में आमतौर पर यह देखने को मिला है कि पुलिस आपसी रंजीत निकालने के लिए कई बार बेगुनाहों को आरोपी बना देती है इतना ही नहीं कई बार आरोपी अपना बचाव करने के लिए परिवारजन को भी आगे कर देते हैं इन सबके लिए नए संशोधनों में भी पुलिस को अधिकार के साथ-साथ उनकी जवाबदारी भी और की गई है जिसमें तलाशी और जपती के दौरान वीडियोग्राफी अनिवार्य होगी। कोई भी गिरफ्तारी जो 3 वर्ष से काम के मुलजिम है या जो गंभीर बीमारी या फिर 60 साल से अधिक के आए हुए हैं उन पर पुलिस उप अधीक्षक से लेकर ऊपर के अधिकारी के बिना अनुमति के अब उनकी गिरफ्तारी नहीं होगी। पुलिस की जवाब देही बढ़ाने के लिए 20 अधिक धाराएं इसमें शामिल की गई है जैसे की गिरफ्तारी तलाशी, जप्ती और जांच के मामले में पुलिस को और भी अधिकार देगी। इतना ही नहीं असंगीय अपराध मामलों में दैनिक डायरी रिपोर्ट मजिस्ट्रेट को पाक्षीक रूप से भेजी जाने का आदेश इस अधिनियम में जारी हुआ है।
तारीख पर तारिख होगी बंद
पुराने अधिनियम में जहां न्यायपालिका लगातार तारीख पर तारीख देती आ रही थी वही सुनिश्चित कर दी गई है 60 दिन के भीतर आरोप पर पहली सुनवाई शुरू होने की आरोप तय किए जाएंगे आपराधिक अदालत में मुकदमे के समापन और निर्णय की घोषणा 45 दिनों से अधिक समय अब कोर्ट नहीं लगा।
विचाराधीन कैदियों की होगी रिहाई
अधिनियम में संशोधन के साथ पहली बार अपराध करने वाले अपराधियों को रिहा किया जा सकता है यदि विचारधीन अधिनियम हिरासत अवधि सजा की एक तिहाई तक पहुंच गई है तो उसे विचाराधीन कैदी की रिहाई अब पहले की अपेक्षा सुनिश्चित हो पाएगी।
ये रहे उपस्थित
आयोजित हुए आज के इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के अलावा लोक अभियोजक, अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष, नगर पालिका अध्यक्ष, जिला पंचायत उपाध्यक्ष व अध्यक्ष समेत वार्ड पार्षद वकील पत्रकार, आम जनमानस व एनसीसी व महाविद्यालय छात्र समेत कोतवाली प्रभारी अरविंद जैन व समस्त स्टाफ, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक इसरार मंसूरी मौजूद रहे। वही कार्यक्रम की प्रस्तावना का वाचन एसडीओपी सुमित केरकेट्टा के द्वारा किया गया।