प्रशासन ने सुरक्षा व चिकित्सा के किए पुख्ता इंतजाम, हजारों दर्शकों ने देखा रोमांचक युद्ध
गौतमपुरा। संदीप सेन। दीपावली के दूसरे दिन धोक पड़वा पर मंगलवार को देपालपुर तहसील के ऐतिहासिक नगर गौतमपुरा में परंपरागत हिंगोट युद्ध हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ संपन्न हुआ। सैकड़ों वर्ष पुरानी इस अनूठी लोक परंपरा को देखने के लिए क्षेत्रभर से हजारों लोग उमड़े। मैदान में एक ओर तुर्रा दल तो दूसरी ओर कलंगी दल के वीर योद्धा पारंपरिक वेशभूषा में सज्ज होकर हिंगोटों के साथ मैदान में उतरे। पूरा वातावरण “देवनारायण भगवान की जय” के जयघोष से गूंज उठा। इस वर्ष स्थानीय दर्शकों की भागीदारी विशेष रूप से अधिक रही, जबकि बाहरी दर्शकों की संख्या कुछ कम रही। फिर भी मैदान और आसपास की पहाड़ियों पर हजारों श्रद्धालु एवं दर्शक इस रोमांचक युद्ध के साक्षी बने।
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प्रशासन ने किए सख्त और सुव्यवस्थित इंतजाम
हिंगोट युद्ध को लेकर प्रशासन ने सुरक्षा और व्यवस्था के व्यापक प्रबंध किए। एसडीएम राकेश मोहन त्रिपाठी ने बताया कि दर्शकों के लिए सुरक्षा जालियां लगवाई गईं, अग्निशमन दल और दमकल वाहन मौके पर मौजूद रहे। भीड़ प्रबंधन के लिए विशेष व्यवस्था की गई थी। प्रशासन द्वारा पूरे आयोजन पर सतत निगरानी रखी गई ताकि कोई अप्रिय स्थिति उत्पन्न न हो।
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विधायक और जनप्रतिनिधियों ने लिया आशीर्वाद
इस अवसर पर देपालपुर विधायक मनोज पटेल, उमराव सिंह मौर्य, मोती सिंह पटेल सहित अनेक जनप्रतिनिधि गौतमपुरा पहुंचे। सभी ने देवनारायण भगवान के दर्शन कर क्षेत्र की सुख-समृद्धि और शांति की कामना की।
36 लोग घायल, एक इंदौर रेफर
युद्ध के दौरान कई योद्धा घायल हुए। सीबीएमओ डॉ. वंदना केसरी ने बताया कि इस वर्ष कुल 36 घायल दर्ज किए गए, जिनमें से पांच को गंभीर चोटें आईं। एक योद्धा की आंख में हिंगोट लगने के कारण उसे प्राथमिक उपचार के बाद इंदौर रेफर किया गया। चिकित्सा व्यवस्थाओं के लिए चार शासकीय एंबुलेंस, दो निजी अस्पतालों से हायर की गई एंबुलेंस और एक रिजर्व वाहन तैनात रहा। मौके पर डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की टीम लगातार मुस्तैद रही।
सुरक्षा में तैनात रहे 200 पुलिसकर्मी
एसडीओपी संघप्रिय सम्राट के निर्देशन में लगभग 200 पुलिसकर्मी सुरक्षा में तैनात रहे। पुलिस बल और प्रशासनिक अधिकारियों ने पूरे आयोजन को शांति और अनुशासन के साथ संपन्न कराया। किसी भी अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली।
सदियों पुरानी परंपरा का प्रतीक — साहस, आस्था और सौहार्द का संगम
गौतमपुरा का हिंगोट युद्ध मालवा अंचल की प्राचीन लोक परंपरा है, जो दीपावली के दूसरे दिन धोक पड़वा पर आयोजित की जाती है। इसमें दोनों दलों के योद्धा जलती हुई हिंगोटों से एक-दूसरे पर प्रतीकात्मक प्रहार करते हैं। यह युद्ध वीरता, साहस और आस्था का संगम माना जाता है। सूर्यास्त के बाद शुरू हुआ युद्ध देर रात तक रोमांच और उत्साह से भरा रहा। अंत में दोनों दलों के योद्धाओं ने एक-दूसरे को गले लगाकर सौहार्द और एकता का संदेश दिया।
भक्ति और आस्था का संगम — भक्त ने बनवाया चांदी का हिंगोट
परंपरा और श्रद्धा का एक अद्भुत उदाहरण इस वर्ष देखने को मिला, जब एक भक्त ने शुद्ध चांदी से बना विशेष हिंगोट तैयार कराया, जिसकी लागत लगभग ₹21,000 रही। युद्ध के पश्चात यह चांदी का हिंगोट सांवरिया सेठ मंदिर (मंडफिया) में अर्पित किया जाएगा। भक्त ने इसे देवनारायण भगवान और सांवरिया सेठ के प्रति आस्था का प्रतीक बताया। इस आध्यात्मिक पहल ने पूरे आयोजन को धार्मिक गरिमा और भक्ति के भाव से ओतप्रोत कर दिया।
संस्कृति, साहस और श्रद्धा का अद्वितीय संगम
गौतमपुरा का हिंगोट युद्ध केवल एक युद्ध नहीं, बल्कि यह मालवा की लोकसंस्कृति, वीरता और आस्था का उत्सव है। इस आयोजन ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि परंपराएँ जब श्रद्धा और अनुशासन के साथ निभाई जाती हैं, तो वे समाज को एकता, साहस और सौहार्द का संदेश देती हैं।