मतदान बहिष्कार करने की चेतावनी दे रहें ग्रामवासी

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उमरिया जिले के मानपुर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत अमिलिया ग्राम पंचायत का मामला 

उमरिया । बृजेश श्रीवास्तव। लोकसभा चुनाव के बहिष्कार की बात जिले भर के कई गांव से सामने आ रही हैं वहीं जिले के अधिकारी स्वीप प्लान के तहत मतदान को हंड्रेड परसेंट करने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित कर मतदाता जागरूकता अभियान चला रहे हैं लेकिन जितना मतदाता जागरूकता अभियान चल रहा है उतना ही गांव से मतदान के बहिष्कार करने की खबरें सामने आ रही हैं

मामला उमरिया जिले के मानपुर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत अमिलिया ग्राम पंचायत के निवासी इस बार के लोकसभा चुनाव में मतदान न करने का मन बनाया है क्योंकि इस गांव के बगल से सोन नदी निकलती है जहां से रेत का अवैध उत्खनन किया जाता है जहां से उत्खनन के बाद हाईवा में भरकर गांव की सड़क जो प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत बनाई गई थी उस सड़क का उपयोग कर जिले के आसपास के जिलों में रेत का व्यापार किया जाता है लेकिन गांव के ग्रामीणों की सुविधा को दरकिनार करते हुए इस व्यापार को लेकर जिले के अधिकारी भी मूकदर्शक बना कर अपना पूरा सहयोग प्रदान करते हैं कहा जाए तो जब रेत निकल रही थी तो ना जिले के अधिकारियों ने ध्यान दिया और ना ही संबंधित सड़क को बनाने वाले विभाग ने भी ध्यान दिया जबकि इस सड़क से 8 टन से ऊपर ना ले जाने के लिए कलेक्टर के निर्देश भी जारी हुए हैं लेकिन इन निर्देशों को धता बताते हुए धड़ल्ले से रेत का उत्खनन किया गया और गांव की सड़क खराब कर दी गई गांव वालों का कहना है कि हमने पहले भी उमरिया कलेक्टर को शिकायत किया था अब चुनाव में भाग ना लेने के लिए भी हमने उमरिया कलेक्टर को सूचना दी है कि इस बार सड़क नहीं तो वोट नह, हम आपको यह बता देना चाहते हैं कि इस चुनाव के बहिष्कार के लिए जब ग्रामीणों ने उमरिया कलेक्टर को एक शिकायत पत्र के माध्यम से जानकारी दी तो ब्लॉक के अधिकारी एवं जिले के अधिकारी गांव में घूमते नजर आने लगे और यह मानते भी हैं कि हां सड़क उखड़ गई है ग्रामीणों ने चुनाव का बहिष्कार किया है।

शासन एवं प्रशासन लाख दावे करले कि हम मतदान 100% करा देंगे लेकिन भ्रष्टाचारियों एवं माफियाओं के चंगुल में फंसे ग्रामीणों को कौन और कैसे निकलेगा यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा लेकिन जिले के प्रशासनिक अधिकारी अगर कुंभ करनी निद्रा में ना सोए होते तो ना यह सड़क उखड़ती और ना ही मतदान का बहिष्कार होता लेकिन रेत माफिया ने भी अपना काम किया और खनिज विभाग के अधिकारियों ने माफियाओं का सहयोग न किया होता ओर प्रधानमंत्री सड़क योजना के अधिकारीयो ने कभी क्षेत्र का दौरा किया होता‌ तो आज यह समस्या जिला प्रशासन के सामने ना आती अब देखना यह होगा कि जिला प्रशासन मतदान कराने में कितना सफल हो पता है

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