… जमीन खाली कराने में प्रशासन ने इतनी क्यों दिखाई दिलचस्पी

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पीड़ित की नहीं सुनी कोई भी पुकार
एक ही जमीन पर दो चौहद्दी को लेकर उठे विवाद का है मामला
जिला मुख्यालय में मौजूद है जमीन
अनूपपुर। जमीन विवाद के मामले में जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने एसडीएम कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए एक पक्ष के हित में जमीन सुपुर्द करने का आदेश दिया। जिसके बाद प्रशासन ने एड़ी चोटी का जोर लगाते हुए जमीन पर किराएदार को बेदखल कर जमीन में बने कमरों को बुलडोजर के माध्यम से तोड़ दिया गया। एक ही जमीन पर की दो चौहद्दियों पर हुआ पंजीयन पर सवाल आज भी खड़ा है। लेकिन कोर्ट ने एक पक्षी कार्रवाई करते हुए एक पक्ष को संतुष्ट कर दिया और दूसरे को जमीन से बेदखल। ऐसे में सीधे तौर पर प्रशासन ने वर्तमान उप पंजीयक रहे अधिकारी को लाभ पहुंचाने का काम किया है।
जानकारी के अनुसार रामदयाल सिंह गोंड़, आयु 52 वर्ष, आत्मज परसदिया गोंड , बाबूलाल सिंह गॉड, आयु 58 वर्ष, आत्मज श्री भइयालाल सिंह गोंड दोनों निवासी ग्राम गुर्रा, डाकघर देवगढ़, तहसील गोहपारू, थाना जैतपुर, जिला शहडोल (म.प्र.), हाल निवास अनूपपुर, वार्ड नंबर 09. जैतहरी रोड, थाना, तहसील व जिला अनूपपुर की अपने कब्ज़े और दखल की भूमि पर रह रहे थें।
उसी जमीन और मौके का विवाद शिववती देहारी पत्नी डी.आर. देहारी, निवासी ग्राम कोंडागांव, जिला कोंडागांव, (छ.ग.). जरिये मुख्तयार आम गंगा सागर सिंह, आत्मज लक्ष्मण सिंह, निवासी-बाणगंगा शहडोल, तहसील सोहागपुर, जिला शहडोल (म.प्र.) जरिये वारिसान (मृत श्रीमती शिववती देहारी
प्रार्थीगणों के पक्ष में श्रीमान भू अधीक्षक अनूपपुर के माध्यम से सीमांकन कार्यवाही को श्रीमान तहसीलदार अनूपपुर के द्वारा राजस्व प्रकरण क्र01/अ-12/2016-17 आदेश दिनांक 13.02.2018 को स्वीकृत किया गया, जिस पर अनुविभागीय अधिकारी राजस्व अनूपपुर के यहाँ मुख्तयार नामा के आधार पर दिनांक 09.10.2018 को अपील प्रस्तुत किया गया। उक्त अपील समय सीमा के बाद प्रस्तुत किया गया। यह अपील शून्य मुख्तयार नामा के जरिये प्रस्तुत किया गया था, जिसे कानूनी नियमों के तहत उसी दिनांक को अमान्य किया जाना था जिसे चलन में रखा जाकर अवैध आदेश दिनांक 18.07.2022 को पारित किया गया। जिसका कियान्वयन कानूनी तौर पर अवैधानिक है जिसे निरस्त किया जाना न्यायहित में होता मगर नियम केटन को दरख्यान आकर एक सरकारी कर्मचारी की मां को लाभ दिलाने का काम किया गया। यह जमीन उसे समय खरीदी गई थी जब खुद उपज के रूम में सुशील बिहारी अनूपपुर रजिस्टर कार्यालय में मौजूद थे।
जानकारी के अनुसार भू राजस्व संहिता 1959 की धारा 44 के तहत अपील तगी सुनवाई योग्य है जब इस अधिनियम की धारा 129 की उपधारा (2) के तहत तहसीलदार द्वारा राजस्व निरीक्षक अथव नगर सर्वेक्षण को भू-खण्ड संख्यांक की सीमाओं का सीमांकन करने हेतु आदेश किया गया हो, प्रार्थी के खसरा नम्बर 1075/1/1/4 के सीमांकन की कार्यवाही हेतु अनुविभागीय अधिकारी अनूपपुर ने अपने आदेश दिनांक 01.10.2016 आदेश के माध्यम से भू-अधीक्षक / एस.एल. आर अनूपपुर को राशि 3500/- रू० राजस्व लेखा शीर्ष में जमा करवाये जाने के उपरांत दिये जाने पर उक्त आदेश के पालन में टीम गठीत कर सींमाकन की कार्यवाही नियमपूर्वक किया गया है।
भू राजस्व संहिता 1959 में भू-अधीक्षक के द्वारा की गई सींमाकन कार्यवाही को चुनौती दिये जाने का प्रावधान नहीं है. इस कारण अनुविभागीय अधिकारी के द्वारा पारित आदेश दिनांक 18.07.2022 नियम विरूद्ध होने से निरस्त करने योग्य था मगर उसके ठीक अनावेदक को लाभ दिला दिया गया। जिस पर साफ तौर पर कानून और प्रशासन का फायदा सीधे तौर पर वर्तमान उप पंजीयक के द्वारा उठाया गया।
आखिरकार 6 मार्च 2025 को आदेश के बाद तत्काल कोर्ट ने एसडीएम के आदेश को उचित ठहराया और इसी बात का फायदा उठाकर प्रशासन व पुलिस ने मौका स्थल पर रह रहे किराएदार को खाली करा कर जमीन में बुलडोजर चला कर सब कुछ तहस-नहस कर दिया।  पीड़ित पक्ष को सुनने का भी प्रयास नहीं किया गया उसके द्वारा बार-बार इस बात का हवाला दिया गया कि वह बड़े न्यायालय में आवेदन की सुनवाई के लिए केस दर्ज किया है लेकिन प्रशासन ने उसकी एक नहीं सुनी और आखिरकार शाम होते-होते जेसीबी के माध्यम से बने दुकान और मकान को तोड़ दिया गया।

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