दीपावली और लक्ष्मी पूजा के लिए क्या है शुभ मुहूर्त जानिए पंडित अखिलेश त्रिपाठी की जुबानी

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*ज्योतिषाचार्य पंडित अखिलेश त्रिपाठी ने दी जानकारी कब मनाए दीपावली और लक्ष्मी पूजा 31को या 1को*


प्रमुख हिंदू पर्व दिवाली भगवान राम की अयोध्या वापसी की याद में मनाया जाता है। कार्तिक अमावस्या पर पड़ने वाले इस पर्व पर हर वर्ष घर-घर दीप जलाकर माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। ये दिन अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक माना जाता है। दीपावली में माता लक्ष्मी की पूजा को शुभ मुहूर्त में करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। संध्या समय में लक्ष्मी पूजन के कई मुहूर्त होते हैं। आइए जानते हैं साल 2024 में दीपावली कब है, इसे क्यों मनाया जाता है और इस दिन दीपों का महत्व क्या है…..
दिवाली- 31 अक्टूबर, गुरुवार (कार्तिक, कृष्ण अमावस्या)
*लक्ष्मी पूजा मुहूर्त- 05:12 PM से 10:30 PM तक, अवधि –** 59 मिनट तक।
प्रदोष काल- 05:12 PM से 07:43 PM तक
वृषभ काल- 06:20 PM से 08:15 PM तक
अमावस्या तिथि प्रारंभ- 31 अक्टूबर, गुरुवार 03:52 PM- अमावस्या तिथि समाप्त- 01 नवंबर, शुक्रवार 06:16 PM*
विशेष नोट: ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार दिवाली पर लक्ष्मी पूजन के लिए अमावस्या की रात होना ज़रूरी होता है, लेकिन 1 नवबंर को अमावस्या तिथि प्रदोष काल और निशिता काल से पहले समाप्त हो रही है जबकि 31 अक्टूबर को अमावस्या तिथि प्रदोष काल से लेकर निशिता काल तक व्याप्त रहेगी। ऐसे में तिथियों और पंचांग के अनुसार, इस बार 31 अक्टूबर की रात को लक्ष्मी पूजन करना अधिक शुभ रहेगा।
*दिवाली का महत्व*
दिवाली का त्योहार अंधकार पर प्रकाश की जीत का प्रतीक है। यह भगवान राम के अयोध्या वापसी और रावण पर विजय का जश्न मनाने का दिन है। दिवाली के दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि माता लक्ष्मी इस दिन धन और समृद्धि लेकर आती हैं। दिवाली को हिंदू नववर्ष का प्रारंभ भी माना जाता है। इस दिन लोग दीप जलाकर खुशी मनाते हैं। दिवाली का इतिहास
*रामायण की कहानी*
दिवाली से जुड़ी सबसे लोकप्रिय कहानी 14 साल के वनवास के बाद भगवान राम की अयोध्या वापसी और राक्षस राजा रावण को हराने की है। इस वनवास के दौरान, लंका के दुष्ट राजा रावण ने सीता का अपहरण कर लिया। बहुत सारी बाधाओं और लंबी खोज के बाद, भगवान राम ने अंततः लंका पर विजय प्राप्त की और सीता को बचाया। इस जीत और राजा राम की वापसी का जश्न मनाने के लिए, अयोध्या के लोगों ने राज्य को मिट्टी के दीयों से रोशन करके, मिठाइयां बांटकर और पटाखे फोड़कर जश्न मनाया, एक परंपरा जिसका पालन अभी भी अनगिनत लोग करते हैं जो त्योहार मनाते हैं।
*मां काली की कहानी*
भारत के कुछ हिस्सों में, विशेष रूप से बंगाल में, यह त्यौहार शक्ति की काली देवी मां काली की पूजा के लिए समर्पित है और बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि देवी काली ने पृथ्वी और स्वर्ग को क्रूर राक्षसों के हाथों से बचाने के लिए जन्म लिया था। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से, राक्षसों को मारने के बाद, देवी काली ने अपने क्रोध पर नियंत्रण खो दिया और अपने रास्ते में आने वाले सभी लोगों का वध करना शुरू कर दिया। इसलिए, भगवान शिव को उसकी हत्या की प्रवृत्ति को रोकने के लिए हस्तक्षेप करना पड़ा। यही वह क्षण है जब वह अपनी लाल जीभ निकालकर भगवान शिव पर कदम रखती है और अंत में भय और पश्चाताप में अपनी हिंसक गतिविधि बंद कर देती है।
*दिवाली में किसकी पूजा की जाती है?*
माता लक्ष्मी : माता लक्ष्मी को धन की देवी माना जाता है। दिवाली के दिन लोग माता लक्ष्मी की पूजा करके धन, समृद्धि और सुख की कामना करते हैं। भगवान गणेश : भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है। माना जाता है कि भगवान गणेश की पूजा करने से सभी प्रकार के विघ्न दूर होते हैं और कार्य सिद्ध होते हैं।

*दिवाली पर दीपों का क्या महत्व है?*
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, दिवाली के दिन मां लक्ष्मी का आगमन भक्त के घर होता है, ऐसे में ये दीपक मां लक्ष्मी का स्वागत करते हैं। क्योंकि दिवाली का त्योहार अमावस्या के दिन मनाया जाता है, इसलिए ये दीपक अंधेरी रात में भी रोशनी देने का काम करते हैं।

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