नवरात्रि में भक्त ने अपने शरीर पर उगाए जवारे अन्न-जल भी त्यागा

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भक्ति का अनोखा तरीका

उमरिया/ घुलघुली। देवलाल सिंह।  उमरिया जिले में 10 अक्टूबर- जिले में नवरात्रि पर आस्था का ऐसा मामला सामने आया है जिसे देख हर कोई दंग है। एक देवी भक्त शारदेय नवरात्र पर अपने शरीर पर जवारे उगाकर साधना में लगे हैं। जिसे देखने के लिए काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। भक्त द्वारा अन्न जल भी त्याग दिया गया है और नवरात्रि तक बिना कुछ खाए-पिये माता का नाम जपते हुए भक्ति में लीन हैं।
हिंदू धर्म में मान्यता है कि देवी-देवाताओं की भक्ति के पीछे अपार शक्ति छिपी होती है जिसका नतीजा है कि भक्त भगवान की भक्ति में कठिन से कठिन तपस्या को भी बड़ी आसानी से पूरा कर लेते है। कुछ ऐसी ही कठिन तपस्या ग्राम रोहनिया में देखने को मिली है जहां नवरात्रि के अवसर पर देवी मां को खुश करने के लिये एक भक्त ने अपने ही शरीर पर जवारे उगा दिए हैं। इस कठिन तपस्या के पीछे भक्त की इच्छा है कि माता की अपार कृपा अपने भक्तों पर बनी रहे और देश में सुख-समृद्धि व अमन-चौन कायम रहे।
नवरात्रि के दिनों में माता की भक्ति का यह अनोखा दृश्य उमरिया जिला के मानपुर जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत देवगमा पंचायत के ग्राम रोहनिया निवासी 40 वर्षीय भईयालाल कोल देवी मां के भक्त हैं। माता को खुश करने के लिये उन्होंने नवरात्रि के पहले दिन मंदिर के अंदर बैठकर अपने शरीर पर जवारा बोया, जिसके उगने के बाद पंचमी के दिन देर शाम देवाल घर का पट खोला गया। जिसके बाद से उन्हे देखने के लिए लोगों तांता लगा हुआ है।
माता के भक्त ने अपनी शारीरिक आवश्यकताओं को त्यागकर शरीर पर जवारे बोए हैं और अन्न जल का त्याग किया है और गला सूखने पर सिर्फ दो से तीन चम्मच माता के चरणों में चढ़ाए हुए जल का ही सेवन करते हैं। पंचमी को देवाल घर जवारे का पट खुलने के बाद शरीर पर जवारे उगाने वाले भक्त को देखने के लिये अब चिल्हारी अमरपुर महरोई बडछड़ कई ग्रामों के लोगों की भीड़ उमड़ रही है और देवाल घर परिसर में भजन कीर्तन व आरती का दौर जारी है। नवरात्रि के नौ दिनों तक चलने वाली इस कठिन तपस्या को पूरी करने के बाद नौंवी के दिन मैहर मंदिर में देवी मां को भक्त द्वारा अपने शरीर पर बोए हुये जवारे को चढ़ाया जाएगा। फिलहाल भक्त की इस भक्ती की चर्चा इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है और दर्शन करने वालों की भीड़ भी उमड़ रही है।

घुलघुली से देवलाल सिंह

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