मोहम्मद रफी साहब की पुण्यतिथि पर विशेष

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रफी साहब के पैर पकड़कर जब खूब रोए किशोर दा

बने चाहे दुश्मन जमाना हमारा सलामत रहे दोस्ताना हमारा

किशोर दा, रफी साहब को बड़े भाई जैस मानते थे

खंडवा। मनीष गुप्ता। मुकेश, मोहम्मद रफी और किशोर कुमार, ये तीनों ही अपने दौर के महान सिंगर रहे। इनके बीच रायवलरी की भी काफी खबरें आती रहीं, पर असल में तीनों दोस्त थे।

प्ले बैक सिंगर हरफनमौला कलाकार किशोर कुमार और मोहम्मद रफी साहब की बहुत गहरी दोस्ती थी
रफी साहब के बेटे शाहिद रफी
ऐसी बातें बताईं हैं, जिन्हें सुनकर दोनों की दोस्ती के कुछ लम्हें ताजा हो जाएंगे।
वह दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे। किशोर दा भी मेरे पिता को बहुत इज्जत देते थे। इतना ही नहीं जब वह दोनों किसी गाने की साथ में रिकॉर्डिंग करते थे तो पापा घर आकर बताते कि आज बहुत मजा आया, आज किशोर दा के साथ गाना गाया।’ बेटे ने लंदन का एक किस्सा भी सुनाया। बताया, ‘जब मोहम्मद रफी साहब लंदन में थे, तब किशोर दा उनके कॉन्सर्ट के लिए वहां आए थे। उनको पापा ने डिनर के लिए इनवाइट किया था,
‘रफी जी 31 जुलाई 1980 में गुजर गए थे, तब उनके पैर पर सिर रखकर पापा खूब रोए थे।


जब किशोर दा, रफी साहब के घर पहुंचे तो उन्हें देखकर खुद को रोक ना सके. किशोर दा ने रफी साहब के पैर पकड़े और फूट फूटकर रोने लगे. किशोर दा को संभालना काफी मुश्किल हो गया था और उन्हें देखकर हर किसी की आंखें नम थीं.
किशोर कुमार और महोम्मद रफी ने साथ में बुहत काम किया। दोनों ने साथ में पहला गाना ‘भागम भाग’ के लिए गाया था। इनकी जोड़ी ने 30 से ज्यादा टैक्स साथ में गाए। जिनमें ‘यादों की बारात’,’हम प्रेमी प्यार करना चाहें’, ‘तेरा जलवा तौबा है’, ‘पर्दा है पर्दा’ जैसे तमाम गाने शुमार हैं। इसके अलावा मोहम्मद साहब की आवाज पर किशोर दा अपनी फिल्म ‘रागिनी’, ‘शरारत’ और ‘बाघी शेहजादा’ में लिप सिंक भी कर चुके हैं।
मोहम्मद रफी और किशोर कुमार बॉलीवुड के खास हीरे कहे जा सकते हैं. दोनों ने ही एक से बढ़कर एक गाने फिल्मी दुनिया को दिए हैं. आज ही इनके गाए गाने सदाबहार हैं.बता दें, रफी का जन्म 24 दिसम्बर 1924 को हुआ था. वहीं, किशोर कुमार का जन्म 4 अगस्त 1929 को हुआ था. किशोर दा का निधन 13 अक्टूबर 1987 को हुआ था।

*दोस्त के लिए राजेश खन्ना को मनाने पहुंचे किशोर दा*
​फिल्म के गाने ‘नफरत की दुनिया को छोड़ के…’ के बारे में जब किशोर दा को बताया गया तो उन्होंने लक्ष्मीकांत प्यारेलाल से कहा कि यह गाना मोहम्मद रफी बेहतर गा सकते हैं. जब यह बात राजेश खन्ना के पास पहुंची तो वे नहीं माने. वे चाहते थे कि किशोर दा ही इस गीत को आवाज दें. दूसरी, तरफ किशोर दा का मानना था कि इस गाने के साथ यदि कोई न्याय कर सकता है तो वे हैं सिर्फ रफी साहब. राजेश खन्ना इस बात को नहीं मान रहे थे और लंबे समय तक इस गाने की रिकॉर्डिंग अटकी हुई थी. ऐसे में किशोर दा, काका से मिले और कहा कि यह गाना सिर्फ और सिर्फ रफी साहब ही बेहतर तरीके से गा सकते हैं. किशोर दा के समझाने पर राजेश ने हामी भर दी.रफी साहब को गाने के लिए अप्रोच किया गया और उन्होंने भी तुरंत हामी भर दी. जब गाना रिकॉर्ड हुआ तो सभी के चेहरे पर मुस्कान आ गई क्योंकि उम्मीद के मुताबिक पूरे भाव के साथ रफी साहब ने गाना रिकॉर्ड किया था. जब ​गाना फिल्म के जरिए सामने आया तो हर दर्शक इसके भावों में डूब गया. राजेश खन्ना भी मान गए कि कुछ गाने सिर्फ रफी साहब के लिए ही बने थे.

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