



कोर्ट के स्थगन आदेश के बावजूद भी नहीं हो रहा आदेश का पालन
मामला पॉलिटेक्निक कॉलेज के पास मौजूद जमीन का जमीनी सरहद को नष्ट करने में लगे भू माफिया
अनूपपुर। जमीन दलालों के साथ राजस्व अमला भी अब सरकारी जमीन में कब्जे के साथ नाले को भी नहीं छोड़ रहे हैं जिस मामले में न्यायालय अपर कलेक्टर ने वर्ष 2023 में स्थगन आदेश देकर यह कहा गया था नाले की सीमा निश्चित है उसे पर किसी का भी कब्जा नहीं हो सकता और न ही कोई रकवा एक हल्के से दूसरे हल्के में परिवर्तित होगा। बावजूद इसके जेल बिल्डिंग के पास कुछ ऐसा ही नजर देखने को मिल रहा है जहां पर कोइलारी नाले पर स्टाफ डैम खड़ा करके जमीन दलाल अब प्लाटिंग करने की तैयारी में हैं।
न्यायालय अपर कलेक्टर के द्वारा एक प्रकरण में सुनवाई करते हुए स्थगन आदेश जारी किया गया था जिसमें बाद भूमि ग्राम सक्रिय की आराजी खसरा नंबर 60/1/1/4/1 रकवा 1.257 हे0 निगरानी करता निगरानीकर्ता राजेंद्र पिता कृष्ण गुप्ता निवासी बरगवां के कब्जे दखल कि आराजी बताई गई जिसका नक्शा तर्मीम एवं सीमांकन किया जा चुका है।
नाले का हो गया समतलीकरण
बाद भूमि के आराजी के उत्तर पूर्वी एवं पश्चिमी सीमा में शासकीय नाला जिसे कोईलारी नल के नाम से जाना जाता है यही नाला ग्राम सकरिया एवं परसवार के मौजा ग्रामों की सरहद भी है गैर निगरानीकर्ता ग्राम परसवार की भूमि के काश्तकार श्याम सुंदर पिता शिव प्रसाद मिश्रा, शिव प्रसाद पिता मोतीलाल मिश्रा, भुवनेश्वर ऊर्फपप्पू पिता शिव प्रसाद मिश्रा, पता अनूपपुर के बताए गए हैं शासकीय सरहद नाला एवं निगरानीकर्ता की भूमि ग्राम सकरिया की आराजी खसरा पर एक एकड़ भूखंड को अनाधीकृत रूप से कब्जा कर जेसीबी मशीन लगाकर नल की पटाई की गई।
नाले को नष्ट न करने का कोर्ट ने दिया था आदेश
जिस पर निगरानीकर्ता के द्वारा तहसील न्यायालय में धारा 250 के तहत आवेदन पेश किया गया। जिस पर कोर्ट ने स्थापना आदेश जारी किया बाद में न्यायालय अपर कलेक्टर के द्वारा भी स्थगन आदेश जारी रखा गया और मौके की स्पष्ट सीमा ज्ञात होने तक दिनाक 26 अप्रैल 23 को स्थगन आदेश जारी रखने जा आदेश दिया गया और यह भी कहा गया कि शासकीय नाला पर किसी भी प्रकार का समतलीकरण व उसे नष्ट न किया जाए।
अलग अलग भू खंडों में बेचने की तैयारी
जानकारी के अनुसार जिला मुख्यालय के नगर पालिका क्षेत्र के अलावा आसपास के विशेष ग्रामों में नगर तथा ग्राम निवेश के तहत पहले जमीन की मंजूरी ली जानी चाहिए लेकिन उक्त जमीन के मामले में ऐसा होता नहीं दिख रहा है। जानबूझकर गैर निगरानीकर्ता के द्वारा जमीन दलालों के साथ मिलकर उक्त भूमि में नाले के ऊपर ढोला डालकर दोनों तरफ दीवार खड़ी करके उसे पर चौड़ी सड़क का निर्माण कार्य कर दिया गया है। अब आने वाले समय पर इसमें जमीन दलाल नियमों को तक में रखते हुए अवैध रूप से प्लाटिंग कार्य को अंजाम देंगे और टुकड़ों में भूखंड को बेचकर करोड़ों रुपए कमाएंगे।
नाले को भी नहीं छोड़ रहे जमीन दलाल
जिस तरह से पॉलिटेक्निक कॉलेज के पास पार्श्वर की जमीन जबरदस्ती ग्राम सक्रिय में पटवारी के द्वारा दिए जा रही है उससे यह एक बात तो साफ है कि राजस्व अमला भी जमीन दलालों के साथ कदमताल मिला था नजर आ रहा है तभी तो जमीन दलाल नल को भी बांटने में कोई कोर का असर नहीं छोड़ रहे हैं मौजूदा समय में इस तरह का नजारा जिला मुख्यालय में आम हो चला है जहां पर कार्यवाही तो दूर की बात है बल्कि दलालों के साथ देर शाम को राजस्व निरीक्षक जाम से जाम लड़ाते भी नजर आते हैं।
स्थगन आदेश भी दरकिनार
जिस जमीन पर जिस जमीन पर यह पूरा विवाद चल रहा है उसे पर कोर्ट ने स्थगन आदेश जारी किया था लेकिन स्थगन आदेश के साल भर के भीतर ही नल की सीमा में बाकायदा पॉल खड़ा करके उसे पर सड़क निकाल दी गई है अब पर सवार की जमीन को सक्रिय में दिखाया जाएगा इस पर न्यायालय अपर कलेक्टर का स्थगन आदेश हो चुका है लेकिन इसे भी जमीन दलाल व भूस्वामी दरकिनार करते नजर आ रहे हैं।
क्या अपने ही आदेश का पालन कराने में असमर्थ जिला प्रशासन
जमीनी विवाद जैसे मामले में कई बार देखने को मिलता है कि जिला प्रशासन उभय पक्षों को यह निर्देश जारी करता है कि मौका स्थित जमीन की बनी रहेगी लेकिन ऐसा होता दिखाई नहीं देता कई मामलों में तो जमीन को टुकड़ों में बेच दिया जाता है लेकिन आदेश का अमल होता जमीनी स्तर पर नहीं दिखाई देता इतना ही नहीं अगर यही हालात बने रहे तो आने वाले समय में कई शासकीय जमीनों को भी जमीन दलाल खुर्द कर देंगे और प्रशासन हाथ पे हाथ धरे बैठा रहेगा।