चुनाव भारत में , सियासत पाकिस्तान में

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चुनाव भारत में , सियासत पाकिस्तान में

इंजी0 अनुराग पाण्डेय
कार्यवाहक संपादक
राजधानी न्यूज छत्तीसगढ़

भारत में कोई भी चुनाव हो बिना पाकिस्तान और जिन्ना की चर्चा के पूरे नहीं होते. इन लोकसभा चुनावों में भी पाकिस्तान वाले दांव दोनों तरफ से चले जा रहे हैं.
पाकिस्तान के पूर्व मंत्री फ़वाद चौधरी ने राहुल गांधी के समर्थन में सोशल मीडिया पर पोस्ट क्या कर दिया, कांग्रेस की पाकिस्तान परस्ती चुनावी मुद्दा बन गई. फवाद चौधरी ने अपनी पोस्ट में लिखा, राहुल गांधी ‘ऑन फ़ायर’ इसका मतलब पाकिस्तान की भावनाएं राहुल गांधी की चुनावी सफलता की अपेक्षा कर रही हैं. पाकिस्तान जिस दिन से बना है, उसी दिन से हिंदुस्तान के लिए सिर दर्द साबित हो रहा है. फ़वाद चौधरी के पोस्ट से राहुल गांधी के पक्ष में मुस्लिम पोलेराइजेशन में कितना लाभ होता है. यह तो चुनाव परिणाम ही साफ बताएंगे. लेकिन उनकी पोस्ट कांग्रेस को पाकिस्तान परस्त साबित करने के लिए चुनावी बम साबित होगी.
पाकिस्तान का विभाजन भारत के राष्ट्रवाद का दर्द रहा है. इस दर्द के लिए राष्ट्रवादी हमेशा कांग्रेस को जिम्मेदार मानते रहे हैं. आतंकवाद और अलगाववाद के जरिए पाकिस्तान ने भारत को अस्थिर करने में कभी कोई कसर नहीं छोड़ी है. जम्मू-कश्मीर के मामले में भारत सरकार की नीतियों में बीजेपी के बाद काफी बदलाव आया है. कश्मीर में धारा 370 इतिहास बन गई है. पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद कश्मीर से काफी हद तक कम हो गया है. जिन युवाओं के हाथों में पत्थर हुआ करते थे, आज उन हाथों में लैपटॉप देखे जा सकते हैं.
जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग बन गया है. वहीं पाक अधिकृत कश्मीर पर भी भारत की पूरी नजर है. चुनाव में यह मुद्दा भी आया है, कि पाक अधिकृत कश्मीर भारत का हिस्सा है और भारत का हिस्सा रहेगा. धारा 370 हटाते समय संसद में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने ऑन रिकॉर्ड यह कहा था, कि पाक अधिकृत कश्मीर भारत का है. कश्मीर राष्ट्रवादी ताकतों का सक्सेसफुल मॉडल बन गया है. पाकिस्तान में आर्थिक और राजनीतिक स्थितियां जिस तरह से चरमराई हुई हैं, उसके कारण पाकिस्तान और भारत की अब कोई भी तुलना किसी भी स्तर पर करने का कोई साहस नहीं कर पा रहा है.
सोशल मीडिया पर पाकिस्तान पब्लिक के विचार जिस तरह से वायरल हो रहे हैं, उसको देखकर तो ऐसा लगता है, कि पाकिस्तान की जनभावना में भारत की मजबूत सरकारों और मजबूत नेता से निराशा बढ़ा रही है. पूर्व मंत्री फवाद चौधरी राहुल गांधी के लिए सोशल मीडिया पर पोस्ट डालकर राहुल गांधी का लाभ कर रहे हैं, या कांग्रेस को नुकसान पहुंचा रहे हैं, यह तो चुनाव परिणाम के बाद ही सुनिश्चित हो पाएगा.
पीएम मोदी और बीजेपी सियासी तीरों को तुरंत लपक लेते हैं. फ़वाद चौधरी ने राहुल के पक्ष में तीर चलाया तो पीएम मोदी ने चुनावी सभा में कहना शुरू कर दिया, कि पाकिस्तान राहुल गांधी को भारत का पीएम बनाने में बहुत रुचि ले रहा है.
पाकिस्तान के आर्थिक हालात को भी भारत के मजबूत राष्ट्रवाद से जोड़ा जा रहा है. पीएम मोदी कह रहे हैं, कि जो पाकिस्तान कभी आतंकी एक्सपोर्ट करता था, उसके हाथ में आज भीख का कटोरा है. पाकिस्तान के हालात ऐसे हो गए हैं, कि चीन से भी उसे अब समर्थन नहीं मिल रहा है. पड़ोसी पाकिस्तान खुद डूब रहा है, लेकिन भारत की तरक्की उसे रास नहीं आ रही है. भारतीय चुनाव में धर्म के आधार पर विभाजन को प्रोत्साहित करने की नीति के अंतर्गत ही विपक्षी नेता के समर्थन में पोस्ट डाले जा रहे हैं.
धार्मिक आधार पर रिजर्वेशन के नाम पर पहले ही भारत में हिंदू-मुसलमान की चुनावी राजनीति चरम पर है. संपत्ति के सर्वे और रीडिस्ट्रीब्यूशन के कांग्रेस के वादों के कारण संपत्ति के एक्सरे और मंगलसूत्र तक छीने जाने की चुनावी चालें पहले ही चली जा चुकी हैं. तुष्टिकरण तो इस चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है. अब तो वोट जेहाद भी सामने आ गया है.
पर्सनल लॉ और शरीयत कानून पर सरकार चलाने के आरोपों पर कांग्रेस पहले ही घिरी हुई है. इस सबके बीच फ़वाद चौधरी कांग्रेस के लिए कोढ़ में खाज साबित हो रहे हैं.
2019 के लोकसभा चुनाव में पुलवामा में भारतीय सैनिकों पर हमले के बाद पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक सबसे बड़ा मुद्दा था. इस चुनाव में पाकिस्तान का नाम ही भारतीय मतदाताओं के लिए राष्ट्रवाद का प्रतीक बन गया था.
बीजेपी को मिले अटूट समर्थन पर कांग्रेस और विपक्षी दलों द्वारा आरोप लगाए जाते हैं, कि पुलवामा का हमला प्रायोजित था और चुनाव के लिए सर्जिकल स्ट्राइक और राष्ट्रवाद को उभारा गया था. मतदाताओं के जनादेश ने तो यही साबित किया था, कि भारत में पाकिस्तान को हद में रखने के लिए बीजेपी की सरकार की गतिविधियों को भरपूर समर्थन दिया है.
बीजेपी का जो चुनावी अभियान चल रहा है, विभिन्न मीडिया में जो विज्ञापन चल रहे हैं, उसमें भी इस तरह के विज्ञापन हैं, कि अब भारत दुश्मन केघर में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक करता है. भारत अब डोजियर भेजकर आतंकवादियों को सौंपने का इंतजार नहीं करता. पाकिस्तान में घुसकर आतंकवादियों को नेस्तनाबूद करने का भारत साहस रखता है.
कश्मीर से धारा 370 हटाई गई थी. तब भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऐसा माहौल बनाया गया था, कि कश्मीर में अशांति बढ़ेगी. भारत के विपक्षी दलों में भी इसी तरह की बातें कहीं थीं, लेकिन पांच साल बाद आज जम्मू-कश्मीर बदला हुआ दिख रहा है. पाकिस्तान तो 5 साल बाद ऐसे हालात पर पहुंच चुका है, कि अब उनको अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में कोई महत्व नहीं मिल रहा है. पाकिस्तान में महंगाई और बेरोजगारी के हालात ऐसे हो गए हैं, कि लोगों को आटे के लिए खून-पसीना बहाना पड़ रहा है.
2024 के लोकसभा चुनाव के मुद्दे कई हैं. लेकिन राष्ट्रवाद भी उसमें महत्वपूर्ण मुद्दा है. फ़वाद चौधरी द्वारा राहुल गांधी के समर्थन में पोस्ट के बाद पाकिस्तान की भारत की चुनावी राजनीति में दखलअंदाजी के कारण राष्ट्रवाद का ज्वार निश्चित बढ़ेगा. भारत में पहले से ही देश की संप्रभुता और सुरक्षा में सरकार द्वारा दिखाई गई मजबूती के कारण सरकार की वाहवाही हो रही है.
सोशल मीडिया पर एक वीडियो ऐसा वायरल हो रहा है, जिसमें एक सामान्य भारतीय नागरिक यह कहता हुआ दिखाई पड़ रहा है, कि पीएम मोदी को आलू-प्याज के दाम घटाने के लिए नहीं चुना गया था. उनको पाकिस्तान को घुटनों पर लाने के लिए देश ने चुना था. और यह काम उन्होंने बखूबी पूरा किया है. पाकिस्तान के हालात भीख के कटोरे तक पहुंच गए हैं. पाकिस्तान में हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी अल्पसंख्यकों के साथ अत्याचार भी चुनावी मुद्दा बना हुआ है.
CAA के ज़रिए बीजेपी ने राष्ट्रवाद को नई धार दी है. घुसपैठियों का मुद्दा भी पाकिस्तान और बांग्लादेश से जुड़ा हुआ है. फ़वाद का पाकिस्तानी दांव कांग्रेस के लिए बड़ी मुसीबत बनता दिखाई पड़ रहा है. कांग्रेस की जम्मू-कश्मीर के साथ आतंकवादियों के मामले में रणनीति हमेशा से देश को परेशान करती रही है. अब तो बीजेपी की सरकार के बाद देश के लोगों को तुलना करने का भी अवसर है. दोनों सरकारों के बीच तुलना राष्ट्रवाद को नई हवा दे रही है. भारत और पाकिस्तान में विकास में तो जमीन-आसमान का अंतर हो गया है. भारत चांद पर चंद्रयान उतार रहा है,तो पाकिस्तान अपने राष्ट्रीय झंडे पर चांद देख कर संतोष कर रहा है.
भारत अब पाकिस्तान की अंदरूनी सियासत की परवाह नहीं करता. भारत- भारत के द्रोहियों को खुद सजा देने में भरोसा करता है. यह भारत की ही ताकत थी, कि कैप्टन अभिनंदन को सकुशल सम्मान के साथ पाकिस्तान को भारत को सौपना पड़ा. भारत के चुनाव में पाकिस्तान के फ़वाद का सोशल मीडिया संवाद कांग्रेस का चुनावी घाव जरूर बढ़ाएगी.
भारत अपने राष्ट्रवाद के लिए किसी को भी बर्बाद कर सकता है. पाकिस्तान तो पहले से ही बर्बाद है. पाकिस्तान में इस बात की प्रतियोगिता चल रही है, कि भारत के अंदरूनी राजनीति में दखल देकर थोड़ा-सा मीडिया अटेंशन पाया जाए. नया भारत अटेंशन नहीं टेंशन देता है. भारत के चुनाव परिणाम पाकिस्तान के लिए बड़ी टेंशन साबित होंगे.

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