शहडोल। एक कारसेवक को बीते 31 वर्षो से रामलला के प्राण प्रतिष्ठा का इंतजार खत्म हो चुका है। रामलला के प्राण प्रतिष्ठा की पूरी तैयारी हो चुकी है। 22 जनवरी को रामलला विराजमान होंगे।
6 दिसम्बर 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचे को गिराने के दौरान मौजूद रहे रमेश प्रसाद गुप्ता अपने पास कई स्मृतियां सहेज कर रखे हुए है। उसमें कारसेवक का परिचय पत्र, अखबार की एक प्रति जिसमे रमेश गुप्ता की तस्वीर भी छपि थी..इसके अलावा 10 हजार नगद और 5 क्विंटल चावल जमा कराने की रसीद है. ये सब दिखाते हुए वो कई बार भावुक भी हो गए।
पहली बार कारसेवा के लिए 1990 में अयोध्या के लिए निकले थे. उन्हें चित्रकूट के रास्ते उत्तरप्रदेश में प्रवेश करने के लिए कहा गया था. जैसे ही चित्रकूट की सीमा पर पहुँचे तो यूपी पुलिस ने उनको गिरफ्तार कर लिया और नारायणी जेल में माहौल शांत होने तक बंद रखा गया।
शहडोल। रमेश प्रसाद बताते है कि वो 1 दिसम्बर 1992 को अयोध्या पहुंच गए। रोज शाम को कारसेवापुरम में नेताओ का भाषण होता था. मंच पर लालकृष्ण आडवाणी, उमा भारती, दीदी मां ऋतम्भरा सहित कई नेता और संत मौजूद रहते थे।
रमेश गुप्ता ने बताया कि कारसेवक अपने हाथो से ढांचा गिराने लगे. कुछ कारसेवक तंबू से गैती, फावड़ा भी ले आये और रात 11 बजे तक ढांचा गिरा दिया गया। इसके बाद उन्होंने एक चबूतरा का निर्माण किया और रामलला को विराजित कर दिया।
महज 34 वर्ष की आयु में राम मंदिर निर्माण के लिए कारसेवक रहकर कई बार वो संघर्षों से जूझते रहे और अब उनका सपना पूरा होने जा रहा है. रमेश प्रसाद बताते है कि उन्होंने कभी सोचा नही था कि इस जीवन मे वो राम मंदिर का निर्माण होते देख पाएंगे. पुरानी यादों को लेकर उनकी आंखें भर जाती है।