पाकिस्‍तान से आई कौन-सी खास चीज, जो राम मंदिर की पूजा में होगी इस्‍तेमाल

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राम मंदिर अयोध्‍या में 22 जनवरी रामलला की प्राण प्रतिष्‍ठा की जाएगी. अयोध्‍या में 17 जनवरी यानी आज से प्राण प्रतिष्‍ठा से पहले के अनुष्‍ठान शुरू हो गए हैं. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ठीक पांच दिन बाद होने वाले प्राण प्रतिष्‍ठा समारोह में शामिल होने के लिए अयोध्‍या पहुंचेंगे. आज अयोध्‍या में हुई कलश यात्रा में सैकड़ों महिलाएं शामिल हुईं. काफी श्रद्धालु प्राण समारोह के लिए व्रत भी रख रहे हैं. राम मंदिर पूजा के लिए देश्‍श के अलग-अलग हिस्‍सों से सामग्री पहुंची है. नेपाल से भी रामलला के लिए कई उपहार आए हैं. वहीं, पाकिस्‍तान से भी एक खास चीज आई है, जो पूजा में इस्‍तेमाल की जाएगी.

रामलला की प्राण प्रतिष्‍ठा के बाद श्रद्धालुओं के लिए भव्‍य प्रसाद की व्‍यवस्‍था भी की जाएगी. इससे पहले पूजा के बाद भगवान को भोग लगाया जाएगा. पाकिस्‍तान से आई खास चीज का इस्‍तेमाल भगवान के भोग में ही इस्‍तेमाल होगी. हम बात कर रहे हैं व्रत या भोग में इस्‍तेमाल होने वाले सेंधा नमक की. सेंधा नमक का इस्तेमाल व्रत के साथ पवित्र कामों में किया जाता है. सेंधा नमक दुनिया के एक ही देश में होता है और वो पाकिस्तान है. एक समझौते के तहत आजादी के बाद से ये नमक लगातार पाकिस्तान से भारत आ रहा है.

50 के दशक में पाकिस्‍तान से हुआ था करार
व्रत में हिंदू समुदाय के लोग सेंधा नमक का ही इस्‍तेमाल करते हैं. ये नमक हमेशा से पाकिस्तान से मंगाया जाता रहा है. इसको लेकर भारत में धार्मिक मान्यताएं रही हैं. बिना इस नमक के हम त्योहार, पूजा-पाठ के दौरान अपना भोजन ही तैयार नहीं करते हैं. सेंधा नमक को रॉक साल्ट, हिमालयन पिंक साल्ट या लाहौरी नमक भी कहा जाता है. पाकिस्तान से संबंध बिगड़ने के कारण दोनों देशों के बीच व्यापार पर असर पड़ा है. इसके बाद भी ये नमक बदस्तूर आता रहता है. दरअसल, 50 के दशक में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए एक समझौते में सेंधा नमक की बिना किसी रुकावट के आपूर्ति को लेकर करार हुआ था.

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रामलला के लिए बनाए जाने वाले 56 भोग में से कई व्‍यंजनों में सेंधा नमक का इस्‍तेमाल होगा.

पूजा के लिए कहां से क्‍या पहुंचा है अयोध्‍या
प्राण प्रतिष्‍ठा के बाद भगवान राम को देश-विदेश से आने वाली कई चीजों का भोग लगाया जाएगा. इसमें बनारस के 151 पानों का भोग भी शामिल है. इसके अलावा बनारस से 1000 अतिरिक्‍त पान भी आएंगे, जो भक्‍तों में बांटे जाएंगे. वहीं, प्राण प्रतिष्ठा के शुभ मुहूर्त के लिए चंडीगढ़ में 125 क्विंटल शुद्ध देसी घी के लड्डू का प्रसाद बनाने का काम जारी है. रामलला को भोग लगाने के लिए आगरा से पेठा, जयपुर से घी और छत्तीसगढ़ से फूल भी आए हैं. अयोध्या में रामलला को 56 प्रकार के व्यंजन का भोग लगाया जाएगा. देश-विदेश से रामलला को अर्पण करने के लिए मिठाई, फूल भेजे जा रहे हैं.

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रामलला के भोग के लिए 56 तरह के व्‍यंजन
अयोध्‍या में भगवान के लिए बनाए जाने वाले 56 तरह के व्‍यंजनों में कई ऐसे होंगे, जिनमें पाकिस्‍तान से आए लाहौरी नमक का इस्‍तेमाल होगा. सेंघा नमक केवल दो रुपये प्रति किग्रा की दर पर पाकिस्तान से भारत आता है. इस पर लगने वाली 200 फीसदी ड्यूटी के बाद भी ये भारत में व्यापारियों को छह रुपए प्रति किग्रा के भाव में मिलता है. फिर भारत में सेंधा नमक की प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और डिस्ट्रीब्यूशन का काम होता है. ये नमक बिना रिफाइन किया हुआ होता है. इसमें कैल्शियम, पोटैशियम और मैग्‍नीशियम पाया जाता है. लिहाजा ये नमक स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है.

कहां है सबसे बड़ी सेंधा नमक की खदान
सेंधा नमक को सैन्धव नमक भी कहा जाता है, जिसका मतलब है सिंध क्षेत्र से आया हुआ. पाकिस्तान के लाहौर से आने के कारण इसे लाहौरी नमक कहा जाता है. अभी पाकिस्तान के पश्चिमोत्तर पंजाब में सेंधा नमक कोह नाम की पहाड़ी से मिलता है. पहाड़ियों की इसी श्रृंखला में ‘खेवड़ा नमक खान’ भी है, जो दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी नमक की खान है. दुनिया में इससे बड़ी खान ओनटारियो की सिफ्टो कनाडा सॉल्ट माइंस हैं. ‘खेवड़ा नमक खान’ से हर साल 4.60 लाख टन से ज्‍यादा नमक निकाला जाता है. बताया जाता है कि इस खदान से अगले 500 साल तक नमक की आपूर्ति की जा सकती है.

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खेवड़ा नमक खदान की खोज विश्‍व विजेता बनने की इच्‍छा लेकर निकले सिकंदर ने की थी.

भारत में कहां-कहां से मिलता है सेंधा नमक
खेवड़ा नमक खदान में 40 किमी लंबी सुरंग है, जिससे निकले नमक की पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में आपूर्ति की जाती है. भारत में सेंधा नमक हिमाचल प्रदेश और राजस्थान की सांभर झील से बहुत कम मात्रा में मिलता है. वहीं, उसकी क्‍वालिटी पाकिस्तान से आने वाले सेंघा नमक के मुकाबले हल्की होती है. सेंधा नमक भारतीय खाने और चिकित्सा में हाजमे के लिए इस्तेमाल होता है. यह रंगहीन, सफेद या गुलाबी रंग का होता है.

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किसने खोजी थी खेवड़ा नमक खदान
कभी-कभी दूसरे पदार्थों के कारण इसका रंग हल्का नीला, गाढ़ा नीला, जामुनी, नारंगी, पीला या भूरा भी हो सकता है. खेवड़ा नमक खान पाकिस्तान में पंजाब के झेलम जिले में इस्लामाबाद से 160 किमी दूर है. खेवड़ा नमक खान 19 मंजिल गहरी है. इस खान में बनी सभी सुरंगों की गहराई करीब 730 मीटर लंबी है. बताया जाता है कि इस खदान की खोज सिकंदर के काल में हुई. जब सिकंदर ने खेवड़ा इलाके पर धावा बोला तो वहां उसके घोड़ों ने दीवारों को चाटना शुरू किया. इसके बाद पता चला कि यहां नमक की खदान है.

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