महाकाल की नगरी में शराब दुकानों की लूट का खुला खेल

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उज्जैन में शराब ठेके की मनमानी पर हड़कंप, घट्टिया में रेट लिस्ट गायब — एमआरपी से अधिक वसूली का मामला उजागर, अधिकारी फोन पर लौटवाते रहे रकम

 मुख्यमंत्री के गृह जिले में प्रशासनिक सख्ती पर उठे सवाल

उज्जैन। संदीप सेन। धार्मिक नगरी और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के गृह जिले उज्जैन में शराबबंदी और सख्ती के सरकारी दावे एक बार फिर धराशायी होते नज़र आए हैं। उज्जैन नगर निगम क्षेत्र में भले ही शराब बिक्री पर रोक है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में शराब दुकानों की मनमानी और लूट का सिलसिला लगातार जारी है। रविवार देर रात घट्टिया कस्बे की देशी-अंग्रेजी कंपोजिट शराब दुकान पर एमआरपी से अधिक वसूली और नियम विरुद्ध संचालन का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यह घटना तब सामने आई जब एक स्थानीय उपभोक्ता ने घट्टिया स्थित क्र.2 दुकान से सिग्नेचर हाफ क्वार्टर शराब खरीदी। बोतल पर एमआरपी ₹700 अंकित थी, लेकिन सेल्समेन ने ₹800 की वसूली कर दी। इतना ही नहीं, दुकान पर रेट लिस्ट का बोर्ड तक नहीं लगा था — जो कि आबकारी नियमों के अनुसार अनिवार्य है।

आबकारी आयुक्त को फोन, फिर शुरू हुई ‘नंबर ट्रांसफर कार्रवाई’
अधिक राशि वसूले जाने पर उपभोक्ता ने तत्काल आबकारी आयुक्त अभिजीत अग्रवाल को फोन लगाया और शिकायत दर्ज कराई। अग्रवाल ने उपभोक्ता को कहा कि वह पहले सहायक आबकारी आयुक्त निधि जैन से संपर्क करें। उपभोक्ता ने निधि जैन को पूरी घटना बताई, तो उन्होंने सर्कल इंस्पेक्टर प्रतीक गुप्ता का नंबर दिया। लेकिन उनका फोन बंद मिला। इसके बाद निधि जैन ने एसएमएस के माध्यम से आबकारी एडीईओ मुकेश रंधा का नंबर भेजा। रंधा ने ठेकेदार के मैनेजर को कॉल कर तत्काल उपभोक्ता से अधिक लिए गए ₹100 वापस करवा दिए। हालांकि, कार्रवाई का दायरा यहीं सिमट गया — न तो ठेके पर मौके पर कोई निरीक्षण हुआ और न ही सेल्समेन या ठेकेदार पर कोई दंडात्मक कार्यवाही की गई।

फोन पर लौटी रकम, ठेके पर नहीं हुई जांच”
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह मामला केवल पैसों की वसूली का नहीं, बल्कि व्यवस्था की विफलता का है। “अगर मुख्यमंत्री के गृह जिले में आबकारी महकमे की कार्रवाई सिर्फ फोन पर ही पूरी होती है, तो यह तंत्र पर सीधा सवाल है,” एक नागरिक ने कहा। दुकान पर न तो मूल्य सूची थी, न ही बिक्री प्रक्रिया पारदर्शी थी। रसीद न देने, अधिक दाम वसूलने और खुलेआम ग्राहकों से बदसलूकी की शिकायतें लगातार उठती रही हैं।

महाकाल की नगरी में शराब की अव्यवस्था पर रोष
उज्जैन धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान वाला शहर है, जहां हर दिन लाखों श्रद्धालु महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन करने आते हैं। ऐसे पवित्र वातावरण में शराब दुकानों की इस तरह की अव्यवस्था प्रशासन की छवि को धूमिल कर रही है। धार्मिक नगरी में जहां संयम, सदाचार और मर्यादा का संदेश दिया जाता है, वहीं शराब ठेके खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।

सप्रमाण शिकायतें उच्च अधिकारियों को
उपभोक्ता ने इस पूरे घटनाक्रम की सप्रमाण शिकायत आबकारी कमिश्नर अभिजीत अग्रवाल, संभागायुक्त आशीष सिंह, कलेक्टर रोशन कुमार सिंह, सहायक आबकारी आयुक्त निधि जैन, और एडीईओ मुकेश रंधा को भेजी है। शिकायत में न केवल एमआरपी से अधिक वसूली का उल्लेख किया गया है, बल्कि यह भी बताया गया है कि दुकान पर रेट लिस्ट न लगाना और सेल्समेन का मनमाना रवैया आम बात बन चुका है।

लगातार हो रही अवर रीडिंग और ओवरचार्जिंग
जानकारों का कहना है कि यह घटना कोई पहली नहीं है। जिले की कई दुकानों पर लगातार अवर रीडिंग (कम बिलिंग दिखाकर टैक्स बचाना) और ओवरचार्जिंग (एमआरपी से अधिक वसूली) की शिकायतें मिलती रही हैं। कई बार उपभोक्ताओं ने सोशल मीडिया और हेल्पलाइन पर शिकायतें दर्ज कराई हैं, लेकिन ठोस कार्रवाई आज तक नहीं हो सकी है।

मैंने सिर्फ हक मांगा, धमकी नहीं दी” — उपभोक्ता
उपभोक्ता ने कहा, “मैंने कोई विवाद नहीं किया, बस पूछा कि 700 रुपए की बोतल के 800 क्यों लिए जा रहे हैं। जवाब में कहा गया — लेना है तो लो, वरना आगे बढ़ो। तब मैंने अधिकारियों को फोन किया। पैसे वापस तो करवा दिए गए, पर सवाल यह है कि ऐसी दुकानें फिर भी खुली कैसे हैं?”

प्रशासन पर उठे सवाल, जनता में आक्रोश
इस घटना के बाद स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों में रोष है। लोगों ने मांग की है कि घट्टिया दुकान के सेल्समेन, मैनेजर और ठेकेदार पर सख्त कार्रवाई हो तथा उज्जैन जिले की सभी शराब दुकानों की जांच की जाए। एक सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, “जब मुख्यमंत्री स्वयं उज्जैन के हैं, तो यहां के ठेकों पर सबसे पहले अनुशासन और पारदर्शिता दिखनी चाहिए। अगर गृह जिले में ही शराब माफिया मनमानी करेंगे, तो प्रदेश का संदेश क्या जाएगा?”

अब देखना यह होगा…
अब निगाहें आबकारी विभाग और जिला प्रशासन पर हैं कि क्या यह मामला उदाहरणीय कार्रवाई तक पहुंचेगा या फिर हमेशा की तरह कागज़ी जांच बनकर रह जाएगा।

मुख्य बिंदु एक नज़र में:

घट्टिया शराब दुकान पर एमआरपी ₹700 की बोतल ₹800 में बेची गई।
दुकान पर रेट लिस्ट का बोर्ड तक नहीं लगा था।
उपभोक्ता की शिकायत पर अधिकारियों ने फोन पर ही मामला निपटाया।
किसी अधिकारी ने मौके पर जाकर जांच नहीं की।
धार्मिक नगरी उज्जैन में शराब दुकानों की मनमानी जारी।
जनता और सामाजिक संगठनों ने ठोस कार्रवाई की मांग की।