खांसी की सिरप के सैंपल लिए गए, दवा जांच व्यवस्था पर उठे सवाल
देपालपुर। प्रदेश में खांसी की सिरप से नवजात शिशु की मौत के बाद इंदौर जिला प्रशासन ने तत्काल प्रभाव से दवा जांच प्रक्रिया को गति दी है। बुधवार को देपालपुर में तहसील प्रशासन की टीम ने विभिन्न मेडिकल स्टोर्स से दवाओं के सैंपल एकत्र किए। कार्यवाही का नेतृत्व तहसीलदार धर्मेंद्र चौकसे और गैर-न्यायिक तहसीलदार नागेंद्र त्रिपाठी ने किया। टीम ने क्षेत्र के कुछ चुनिंदा मेडिकल स्टोर्स से खांसी की सिरप के नमूने लेकर उन्हें परीक्षण हेतु प्रयोगशाला भेजा है।
सैंपलिंग कार्रवाई और नियमबद्ध प्रक्रिया
प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, सैंपलिंग के दौरान प्रत्येक बोतल के लॉट नंबर, बैच नंबर और निर्माण तिथि दर्ज की गई है। दवाओं को प्रयोगशाला परीक्षण के लिए भेजा जाएगा ताकि यह स्पष्ट हो सके कि इनमें किसी प्रकार की हानिकारक तत्वों की मौजूदगी तो नहीं। हालांकि, देपालपुर में लगभग 45 मेडिकल स्टोर्स संचालित हैं, लेकिन इस चरण में केवल दो से तीन प्रतिष्ठानों से सैंपल लिए गए हैं। प्रशासन ने संकेत दिया है कि आने वाले दिनों में अन्य मेडिकल स्टोर्स की भी जांच की जाएगी।
ड्रग इंस्पेक्टर की उपस्थिति पर उठे प्रश्न
जांच के दौरान ड्रग इंस्पेक्टर की अनुपस्थिति पर भी स्थानीय स्तर पर चर्चा रही। सामान्य परिस्थितियों में दवा से संबंधित सैंपलिंग या छापामारी के दौरान ड्रग इंस्पेक्टर की उपस्थिति आवश्यक मानी जाती है।
इस विषय में जब दवा विभाग से संपर्क किया गया तो बताया गया कि “सभी कार्यवाही नियमानुसार की जा रही है और रिपोर्ट आने के बाद ही अगला कदम तय होगा।”
मेडिकल संचालकों की प्रतिक्रिया
कुछ मेडिकल संचालकों ने बताया कि वे प्रशासनिक जांच में पूरा सहयोग कर रहे हैं। उनका कहना है कि “सरकार की मंशा जनहित में है, इसलिए जांच पूरी पारदर्शिता से होनी चाहिए ताकि असली कारण सामने आ सके।”
प्रशासन की जवाबदेही और सरकार की निगरानी
मामले की गंभीरता को देखते हुए इंदौर कलेक्टर शिवम वर्मा ने संबंधित अधिकारियों से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। वहीं, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने राज्यभर में दवा परीक्षण प्रक्रिया को और सख्त करने के निर्देश दिए हैं।
जनहित का सवाल
देपालपुर की यह कार्रवाई जनस्वास्थ्य से जुड़ी बड़ी चिंता को सामने लाती है —
कि क्या हमारी दवा निगरानी व्यवस्था पर्याप्त सतर्क है?
विशेषज्ञों का मानना है कि पारदर्शी और समयबद्ध जांच ही जनता का विश्वास पुनः स्थापित कर सकती है।
नवजात की मृत्यु जैसी संवेदनशील घटना समाज के हर जिम्मेदार तंत्र के लिए चेतावनी है।
प्रशासन की त्वरित कार्रवाई सराहनीय है, लेकिन यह भी आवश्यक है कि जांच तकनीकी, वैज्ञानिक और कानूनी मानकों के अनुसार की जाए ताकि दोषियों की सटीक पहचान हो और भविष्य में ऐसी घटनाएं न दोहराई जाएं।