सनराईज विश्वविद्यालय से सुधा शर्मा को विद्या वाचस्पति की उपाधि

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भारत की कानून प्रणाली में डीएनए और फिंगरप्रिंट साक्ष्य की भूमिका का व्यापक विश्लेषण” पर किया शोध
अनूपपुर। शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में जिले का नाम एक बार फिर रोशन हुआ है। सनराईज विश्वविद्यालय की शोधार्थी एकेडेमिक सुधा शर्मा को विश्वविद्यालय की काउंसिल ने विद्या वाचस्पति (Ph.D.) की प्रतिष्ठित उपाधि प्रदान की है। यह उपाधि उन्हें उनके शोधप्रबंध “भारत की कानून प्रणाली में डीएनए और फिंगरप्रिंट साक्ष्य की भूमिका का व्यापक विश्लेषण” के सफल अनुमोदन उपरांत प्रदान की गई।

सुधा शर्मा का शोध भारतीय न्याय व्यवस्था में आधुनिक वैज्ञानिक साक्ष्यों के महत्व को उजागर करता है। उन्होंने विस्तार से बताया है कि डीएनए और फिंगरप्रिंट जैसे वैज्ञानिक प्रमाण किस प्रकार अपराधों की जांच और दोषसिद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आज के बदलते समय में न्यायिक व्यवस्था को अधिक सशक्त और पारदर्शी बनाने में ऐसे साक्ष्यों की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

उनके शोधप्रबंध में यह भी दर्शाया गया है कि परंपरागत गवाहियों और कागज़ी प्रमाणों की तुलना में वैज्ञानिक साक्ष्य न केवल अधिक विश्वसनीय होते हैं, बल्कि न्यायालय के निर्णय को मजबूत आधार भी प्रदान करते हैं। डीएनए और फिंगरप्रिंट साक्ष्यों की स्वीकार्यता ने भारतीय न्याय प्रणाली में अपराध की जाँच और अभियोजन की प्रक्रिया को एक नई दिशा दी है।

विश्वविद्यालय प्रशासन ने सुधा शर्मा की इस उपलब्धि पर गर्व व्यक्त करते हुए कहा कि उनका शोध भविष्य में न्यायिक क्षेत्र के लिए एक मार्गदर्शक सिद्ध होगा। उन्होंने अपने शोध के माध्यम से न केवल अकादमिक जगत में योगदान दिया है, बल्कि न्याय व्यवस्था को भी और अधिक सुदृढ़ बनाने का प्रयास किया है।

उपाधि प्राप्त करने के बाद सुधा शर्मा ने कहा कि यह उपलब्धि उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। उन्होंने अपने मार्गदर्शकों, विश्वविद्यालय प्रशासन और परिवार का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आगे भी वे अपने ज्ञान और शोध को समाज एवं न्याय व्यवस्था के हित में समर्पित करेंगी।

परिवार और सहयोगियों ने भी सुधा शर्मा की इस सफलता पर खुशी जताई और कहा कि उनकी यह उपलब्धि जिले के लिए गौरव का विषय है। यह सफलता न केवल उनकी मेहनत और लगन का परिणाम है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनेगी।