मंत्री की उपस्थिति में भी जिद पर अड़े रहे किसान
अनुपपुर।अडानी पावर ग्रुप की दूसरी जनसुनवाई भी रही विफल, मंत्री की मौजूदगी के बावजूद नहीं माने ग्रामीण।
अनुपपुर।अडानी ग्रुप का प्रस्तावित थर्मल पावर परियोजना को लेकर जिले के जनपद कोतमा के ग्राम पंचायत मझौली में रविवार 22 जून को आयोजित दूसरी जनसुनवाई भी पूरी तरह से विफल रही,परियोजना से प्रभावित ग्राम मझौली,उमरदा,छतई के सैकड़ों किसानो ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया कि जब तक उनकी जायज मांगें पूरी नहीं होंगी तब तक कोई भी किसान अपनी जमीन नहीं देंगे।
236 किसानों की 935 एकड़ उपजाऊ भूमि
पर प्रस्ताव,लेकिन सहमति नही
परियोजना में प्रभावित 236 किसानों की लगभग 935 एकड़ कृषि योग्य भूमि अधिग्रहित की गयी है,जिसे लेकर ग्रामीणों में आक्रोश व्याप्त है,ग्रामीण किसानो का कहना है कि यह भूमि उनकी रोज़ी-रोटी का मुख्य आधार है,और केवल आश्वासन के दम पर वे इसे छोड़ने को तैयार नहीं हैं।
किसानो की पांच प्रमुख मांगे
कंपनी के अनुबंध के अनुसार 01अप्रैल वर्ष 2021 से अब तक का भत्ता भुगतान,अधिग्रहित भूमि के अनुपात में स्थाई रोजगार,मासिक वेतन,निःशुल्क स्वास्थ्य सेवाएं, क्लिनिक की स्थापना,निःशुल्क शिक्षा छात्रवृत्ति योजना आदि का लाभ किसानों को नही मिल रहा है, इसकी पूरी भरपाई की जाय और बकाया उक्त राशि का भुगतान किया जाय।
कंपनी के प्रस्ताव को ग्रामीणों ने किया खारिज
कंपनी के प्रतिनिधियों ने भत्ता भुगतान की शुरुआत 01 जनवरी 2025 से करने की बात कही,साथ ही जब तक कम्पनी का उत्पादन शुरू नही हो जाता तब तक केवल 17 कार्य दिवस की उपस्थिति के आधार पर भत्ता प्रदान करने कि बात कही गयी। साथ उन्होंने रोजगार, स्वास्थ्य और शिक्षा संबंधी अन्य मांगों पर कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया, जिसे ग्रामीणों ने सिरे से नकार दिया।
मंत्री की अपील का भी नहीं पड़ा असर
जनसुनवाई में पहुंचे प्रदेश सरकार के कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्री दिलीप जायसवाल ने ग्रामीणों को परियोजना के संभावित लाभ समझाने का भरपूर प्रयास किया, लेकिन ग्रामीण किसानो की स्पष्ट प्रतिक्रिया थी जब तक हमें लिखित में हमारी सभी मांगें पूरी नहीं की जातीं,हम न जमीन देंगे और न ही कंपनी की कोई बात सुनेंगे।
शासन-प्रशासन का दुरुपयोग कर रही है कंपनी
जनसुनवाई के दौरान ग्रामीणों का गुस्सा सिर्फ शर्तों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उन्होंने कंपनी की मंशा और प्रशासन के व्यवहार पर भी सवाल खड़े किए। ग्रामीणों ने दो टूक कहा अडानी ग्रुप देश का सबसे बड़ा औद्योगिक समूह है, इसलिए उसके कर्मचारी शासन-प्रशासन का दुरुपयोग कर हम पर दबाव बना रहे हैं,लेकिन हम डरने वाले नहीं हैं,हमारी जमीन हमारी मां है,उसका सौदा किसी कीमत पर नहीं होगा,उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि प्रशासनिक मशीनरी ने कंपनी का पक्ष लिया,तो वे सड़क से लेकर संसद तक आंदोलन करेंगे।
कंपनी प्रबंधन का किसानों ने किया विरोध
जनसुनवाई समाप्त होते ही आक्रोशित ग्रामीणों ने थर्मल पावर एनर्जी ग्रुप ऑफ मध्यप्रदेश के कर्मचारियों को घेर लिया और जमकर विरोध जताया। मौके पर मौजूद पुलिस बल ने स्थिति को नियंत्रित किया, लेकिन गुस्साए ग्रामीण किसानो ने चेताया कि यदि मांगें नहीं मानी गईं,तो वे अपनी जमीनों पर फिर से खेती शुरू कर देंगे।
बीते माह भी आयोजित हुई थी जनसुनवाई
पिछले माह 15 मई 2025 को आयोजित पहली जनसुनवाई भी असफल रही,दो बार की असफलताओं के बाद परियोजना को लेकर प्रशासन और कंपनी की रणनीति पर सवाल उठ रहे हैं, ग्रामवासियों की चेतावनी और एकता संकेत है कि यदि किसानो की मांगो को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो यह मुद्दा भविष्य में और विकराल रूप ले सकता है,परियोजना से प्रभावित ग्राम मझौली, उमरदा,छतई के सैकड़ों किसानो ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी वह किसी भी कीमत पर अपनी जमीन नहीं देंगेऔर नहीं कोई समझौता करेंगे। किसान संघर्ष समिति के सदस्यों ने बताया कि इस मुद्दे को लेकर आगे की रणनीति बनाई जा रही है।