अदानी पावर की पर्यावरण लोक सुनवाई में हंगामा

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विवादों के बीच हुई लोक सुनवाई
तो क्या पुनः आयोजित होगी लोक सुनवाई?

अनूपपुर। जिले में अदानी पावर प्लांट के लिए आयोजित पर्यावरण लोक सुनवाई में जमकर हंगामा हुआ। ग्रामीणों ने प्लांट के विरोध में जमकर नारेबाजी की और प्रशासन के खिलाफ आक्रोश व्यक्त किया।
ग्रामीणों का आरोप है कि अदानी पावर प्लांट के लिए उनकी जमीन का अधिग्रहण किया गया था, लेकिन उन्हें न तो नौकरी मिली और न ही अन्य सुविधाएं दी गईं। ग्रामीणों ने मांग की है कि उनकी जमीन वापस की जाए और प्लांट के लिए नए सिरे से सर्वे किया जाए।

*प्रशासन की भूमिका*

प्रशासन ने ग्रामीणों को समझाने की कोशिश की, लेकिन ग्रामीणों ने उनकी बात नहीं मानी। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, वे प्लांट के विरोध में आंदोलन जारी रखेंगे।इसी बीच भारी हंगामे के दौरान अतिरिक्त कलेक्टर दिलीप पांडे ने सुनवाई समाप्त करने की घोषणा कर दी वही अगले तीन महीने के अंदर पुनः सुनवाई का आश्वासन उनके द्वारा दिया गया किन्तु बाहर निकलते ही उनके स्वर बदल गए मीडिया से बात करते हुए जनसुनवाई सफल होने की बात कही

*अदानी पावर की योजना*

अदानी पावर प्लांट के लिए 2011 में 1300 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था। प्लांट की क्षमता 3200 मेगावाट है, लेकिन अभी तक इसका संचालन शुरू नहीं हो पाया है। ग्रामीणों का आरोप है कि अदानी पावर ने जमीन का अधिग्रहण करने के बाद वादा खिलाफी की है और उन्हें कोई सुविधा नहीं दी गई है।

*आंदोलन की चेतावनी*

ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, तो वे उग्र आंदोलन करेंगे। ग्रामीणों का कहना है कि वे अपनी जमीन और अधिकारों के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।
ई आई ए रिपोर्ट को लेकर उठते सवाल

जनसुनवाई में पहुंचे पीड़ितों ने बताया कि पर्यावरण की सुनवाई के पहले रिपोर्ट जिला प्रशासन के साथ साथ ग्राम पंचायत में भी अवलोकन हेतु रखा जाना चाहिए था किंतु कंपनी के द्वारा ऐसा नहीं किया जाना भी कई सवाल खड़ा करता है वही सरपंच चंदा ने बताया कि हमे सिर्फ सुनवाई में उपस्थित भुने की सूचना मात्र दी गई थी कोई भी रिपोर्ट हमे उपलब्ध नहीं कराई गई
जिला प्रशासन एवं पर्यावरण विभाग के देख रख में आयोजित हुई जनसुनवाई में माहौल काफी गहमागहमी भरा रहा जहां पीड़ित किसानों ने अपनी बात रखनी चाही किंतु विवाद होने के कारण जिला प्रशासन द्वारा कार्यक्रम समय से पूर्व समाप्त कर दिया गया साथ ही पर्यावरण विभाग के जिम्मेदार ने भी मौके से निकल जाना ही उचित समझा
सवाल उठता है कि ऐसे में पीड़ित किसानों की बात कौन सुनेगा उनकी पीड़ा प्रशासन तक कैसे पहुंचेगी ऐसे कई सवाल हैं जो अपने जवाब ढूंढ रहे हैं बहरहाल जिले में कई स्थापित प्लांट की सुनवाई की तरह कही यह सुनवाई भी कागजों में संपन्न न हो जाए इसे प्रशासन को देखना होगा पीड़ित किसानों को उनका हक मिले यह जनप्रतिनिधियों को देखना होगा फिलहाल प्रभावित क्षेत्र से प्रदेश में मंत्री भी है अब देखना होगा कि वह किसानों की आवाज बनते है या फिर कंपनी के आगे नतमस्तक होते हे।