लोंगो को लालच देकर लाभ दिलाने की कह रहा बात
अनूपपुर। जमीन दलाली में फर्जीवाड़ा करने वाला एक बार फिर लोगों को ठगने की फिराक में है। जमीन दलाली का मास्टरमाइंड लक्ष्मीकांत द्विवेदी के ऊपर कोतवाली अंतर्गत अपराध क्रमांक 329/ 2019 में पुलिस के द्वारा भारतीय दंड संहिता की धारा 420,467,468, 471, 181 के तहत अनूपपुर वार्ड क्रमांक 10 में रहने वाले लक्ष्मीकांत पिता चंद्रशेखर द्विवेदी पर जमीन के लेनदेन को लेकर लाखों रुपए की रकम बारा न्यारा करने का आरोप लगा था जिस पर फरियादी ने वर्ष 2019 में थाने में शिकायत दी थी जिस पर पुलिस ने जांच करते हुए इस मामले में अपराध दर्ज किया और आरोपी लक्ष्मीकांत द्विवेदी को 29 सितंबर 2019 से 13 अक्टूबर 2019 की न्यायिक हिरासत में भेजने का काम किया। ट्रस्ट की जमीन पर फर्जी अनुबंध दिखाकर लोगों को बरगला रहा था जिस पर संस्था के प्रमुख ने दैनिक समाचार पत्रों का सहारा लेकर इस बात का प्रकाशन किया था कि लोक कल्याण ट्रस्ट की जमीन से लक्ष्मीकांत द्विवेदी पिता चंद्रशेखर द्विवेदी का किसी भी तरह का कोई अनुबंध वर्तमान समय में जीवित नहीं है जिस अनुबंध का हवाला लक्ष्मीकांत द्विवेदी दे रहा था वह पूर्व के दिनों में निरस्त हो चुका है दैनिक समाचार पत्रों ने शीर्षक “लोक कल्याण ट्रस्ट के सदस्यों ने जमीन बिक्री से किया इनकार” के समाचार का प्रकाशन किया था। इस प्रशासन के बाद से यह माना जा रहा था कि भोले भाले लोगों को ठगी से बचाया जा सके लेकिन इस बार जमीन का यह ठग अलग अलग गांव के लोगों को लालच देकर उनकी जमीन का अधिक अधिक से अधिक लाभ दिलाने की बात कह रहा है जो ख्याली पुलाव के जैसा प्रतीत हो रहा है।
जिला मुख्यालय के स्थित कोतवाली में ऐसी दर्जनों शिकायतें प्राप्त है जिसमें यह जमीन का दलाल लक्ष्मीकांत द्विवेदी अपने शातिर अंदाज में लोगों को ठगी का शिकार बनाता है और उनसे मोटी रकम लेकर रकम का वारा न्यारा करने में माहिर नजर आता है ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिसमें यह लोगों को अपना शिकार बन चुका है जिसमें ग्राम पंचायत डिडवापानी की जमीन को फर्जी तरीक़े से अनिल शर्मा की जगह किसी और को खड़ा कर बलवीर सिंह गिल निवासी छत्तीसगढ़ को बेच दिया गया। जिस पर स्थानीय निवासी नारायण चतुर्वेदी के द्वारा थाने में शिकायत दी गई। इतना ही नहीं फर्जीवाड़ी में माहिर लक्ष्मीकांत द्विवेदी के द्वारा दिल्ली की निवासी शीला यादव के नाम का मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाकर अपने करीबी प्रवीण सिंह यादव के नाम पर फर्जी पंचशाला बनाकर जमा कराया गया है और जमीन को खुर्द बुर्द कर रहा है जबकि मृत्यु प्रमाण पत्र और सरिता देवी के लेटर पैड का इस्तेमाल लक्ष्मीकांत द्विवेदी और उसके सहयोगियो द्वारा किया गया है। दस्तावेजों को देखने के पर यह सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह फर्जीवाड़ा करने वाला व्यक्ति किसी गिरोह का सरगना नजर आ रहा है जो मध्य प्रदेश के साथ-साथ बिहार से अपनी फर्जी कंपनी चलाकर लोगों को ऐठने का काम कर रहा है। गौरतलब है कि जो लोग इसकी ठगी का शिकार हुए हैं वह आज भी पीड़ित है वहीं दूसरी ओर जिन लोगों के साथ इनके द्वारा फर्जीबाड़ा किया गया है उन लोगों का कहना है कि किसी भी तरह के लेनदेन करने के पहले दस्तावेजों की उचित जांच कर ही किसी भी मामले में आगे बढ़ने का काम करना चाहिए । जानकारों की माने तो किसी भी तरह की खरीद फरोक्त के मामले में खुद के विवेक का इस्तेमाल कर आदमी इस तरह के ठगी से बचा जा सकता है तभी यह ठग अपनी बिछाई गई शतरंज की चाल पर पीट सकते हैं और लोग अपनी जमीन के साथ-साथ उनकी रकम भी सुरक्षित रह पाएगी।