पाली में निकली भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा, रिमझिम फुहारों में डूबा नगर भक्ति में

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उमरिया। डी के यादव।  पाली नगर में इस वर्ष भी परंपरागत श्रद्धा, भक्ति और उत्साह के साथ भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली गई। रिमझिम बारिश की फुहारों के बीच निकली यह दिव्य यात्रा नगरवासियों के लिए आस्था का केन्द्र बन गई। शाम के समय मां बिरासिनी मंदिर प्रांगण स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर से यात्रा का शुभारंभ हुआ, जिसमें हजारों श्रद्धालु शामिल हुए,रथयात्रा नगर के प्रमुख मार्गों प्रकाश चौक, बस स्टैंड तिराहा, बाबू लाइन कॉलोनी, मीना द्वार, थाना रोड से होते हुए नगर के वरिष्ठ समाजसेवी प्रकाश पालीवाल के निवास स्थान पर संपन्न हुई। यह स्थान रथयात्रा के विश्राम स्थल के रूप में प्रतिष्ठित है, जिसे पौराणिक मान्यताओं के आधार पर भगवान जगन्नाथ के मौसी के घर ‘गुंडिचा मंदिर’ के रूप में माना जाता है,श्रद्धालुओं का मानना है कि जब श्रीकृष्ण मथुरा से द्वारका गए थे, तब उन्होंने व्रजवासियों और राधारानी से यह वादा किया था कि वे हर वर्ष एक बार मिलने अवश्य आएंगे। रथयात्रा इसी प्रेम, वचन और भक्ति की प्रतीक है, जब भगवान जगन्नाथ अपने भक्तों से मिलने नगर भ्रमण पर निकलते हैं।विश्राम स्थल पर भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को विशेष खिचड़ी का भोग अर्पित किया गया, जिसे मौसी के प्रेम और आतिथ्य का प्रतीक माना जाता है। समाजसेवी प्रकाश पालीवाल और उनके परिजनों द्वारा तीन दिनों तक भगवान की सेवा-आराधना की जाती है, जिसमें नगर के लोग भी सहभागी बनते हैं,रथयात्रा के साथ-साथ पूरे नगर में भजन-कीर्तन, अखंड मानस पाठ और धार्मिक आयोजनों की ध्वनि गूंजती रही। संगीतमय वातावरण में श्रद्धालु झूमते, गाते और जयकारे लगाते नजर आए। महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में थाल सजाकर भगवान का स्वागत करती दिखीं, तो युवा रथ खींचने में जुटे रहे,बारिश की बूंदों ने यात्रा को और भी पावन बना दिया। “जय जगन्नाथ” के नारों से नगर गूंज उठा। जगह-जगह फूलों की वर्षा, आरती और प्रसाद वितरण ने वातावरण को भक्तिमय कर दिया। इस भव्य आयोजन ने यह साबित कर दिया कि पाली में रथयात्रा न केवल एक धार्मिक परंपरा है, बल्कि यह समाज को जोड़ने वाला उत्सव भी है।