डेढ़ वर्ष बाद भी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सा सुविधाओं डाक्टरों का अभाव।

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डेढ़ वर्ष बाद भी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सा सुविधाओं डाक्टरों का अभाव।
ग्रामीण मरीजों को नहीं मिल रही राहत।
अनुपपुर। जिले के कोतमा जनपद अंतर्गत ग्राम पंचायत कोठी में ग्रामीण क्षेत्र वासियों की सुविधाओं,बेहतर उपचार के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र वर्ष 2024 में प्रारंभ किया गया,इसमें छोटे बड़े 16 ग्राम जुड़े हुए हैं,अस्पताल शुरू हुए लगभग 02 वर्ष पूरे होने को है,लेकिन वर्तमान में अस्पताल चिकित्सा सुविधाओं से कोसों दूर है,अस्पताल में मरीजो के लिए किसी प्रकार की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है,सिर्फ बड़ी इमारत ही दिखाई दे रही है,आसपास के ग्रामीण तथा स्थानीय मरीजों को जिला अस्पताल अनूपपुर या फिर 100 किलोमीटर दूर शहडोल मेडिकल कॉलेज उपचार के लिए जाना पड़ता है,यह अस्पताल केवल रेफर सेंटर बनकर रह गया है। राजनीतिक तथा प्रशासनिक उपेक्षा के चलते यहां पर ऐसे हालात उत्पन्न हुए हैं।जबकि क्षेत्रीय विधायक, जिला कलेक्टर, जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी यहां की समस्या से अवगत है।

पुरुष, महिला चिकित्सक की कमी।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कोठी में केवल एक ही पुरुष चिकित्सक स्थाई रूप से पदस्थ है,यहां चार स्टाफ नर्स समेत लगभग 18 लोगो का स्टाफ है, जिसमें महिला चिकित्सक, लैब टेक्नीशियन नहीं है,जानकारी के अनुसार स्टाफ नर्स व चिकित्सक की आए दिन कहीं न कहीं अनूपपुर ,कोतमा अन्य जगह ड्यूटी लगा दी जाती है, जिससे यहां पर सन्नाटा पसरा रहता है, डा की अनुपस्थिति में कोई भी रिलीवर चिकित्सक उपलब्ध नहीं रहता।दूर दराज से आए महिला, पुरुष, बुजुर्ग, बच्चे अन्य मरीज बिना उपचार के वापस चले जाते हैं।पूरे कोतमा ब्लॉक में केवल एक ही महिला चिकित्सक है वह भी कोतमा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ हैं।

एम्बुलेंस की कमी से मरीज परेशान।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अंतर्गत लगभग 16 गांव जुड़े हुए हैं, प्रशासनिक लापरवाही के कारण यहां पर एक भी एंबुलेंस स्थाई रूप से आबंटित नहीं है,आवश्यकता पड़ने पर एम्बुलेंस को कोतमा,बिजुरी,अनूपपुर के अस्पतालों से फोन कर मंगाया जाता है,यदि कोई आपातकाल स्थिति निर्मित हो जाती है तो एंबुलेंस को आने में 1 से 2 घंटे का समय लग जाता हैं,ऐसी हालत में मरीज का क्या होगा सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है, इमरजेंसी के लिए कोई भी संसाधन उपलब्ध नहीं है।

एक्स-रे मशीन,पैथोलॉजी नहीं हुई प्रारंभ।
एक्सरे मशीन,पैथोलॉजी,व अन्य सुविधाएं नहीं है,अस्पताल खुलने के डेढ़ वर्ष बाद भी पैथोलॉजी, एक्स-रे यूनिट शुरू नहीं हुई,सुविधाओं के अभाव में ग्रामीण मरीज निजी मंहगा या यहां वहां झोलाछाप डॉ के चक्कर में फंसकर स्वास्थ्य एवं आर्थिक रूप से परेशान होते देखे जाते हैं।

बरसात में मरीज नहीं पहुंच पाते अस्पताल।
ग्राम कोठी से करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर जंगल में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र संचालित है,वहां जाने के लिए लगभग डेढ़ किलोमीटर कच्ची सड़क निर्मित है,बरसात के मौसम में कच्ची,कीचड़ युक्त सड़क से अधिकांस ग्रामीण मरीज अस्पताल तक नहीं पहुंच पाते। कई बार ऑटो अन्य साधन से जाते समय मरीज दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं।

सुरक्षा के अभाव में बाहर के चिकित्सक यहां नहीं आना चाहते।
सूत्रों ने बताया कि कोठी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में किसी प्रकार की सुविधा नहीं है और ना ही सुरक्षा है,अभी तक सीसी कैमरे भी नहीं लगे हैं,पूरा स्टाफ सुरक्षा के अभाव परिवार सहित रह रहा है,लगभग 02 वर्षों के अंतराल में अस्पताल में तीन चिकित्सकों की पदस्थापना हो चुकी है जिसमें सभी चिकित्सक स्थानीय,कोतमा जनपद के निवासी है,जिससे यहां कार्यरत है,और बाहरी चिकित्सक यहां आना नहीं चाहते।

कौन सुनेगा ग्रामीणों का दर्द।
ग्राम पंचायत कोठी के तमाम ग्रामीणों ने स्टार समाचार संवाददाता को बातचीत में बताया कि जब से यह अस्पताल खुला है यहां पर कोई भी डॉ स्थाई रूप से नहीं रहता रिकार्ड में तो स्थाई रूप से पदस्थापना हुई है, लेकिन नियमित रहते नहीं है,स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि अस्पताल की समस्याओं से कई बार कोतमा क्षेत्रीय विधायक, कलेक्टर को मौखिक लिखित रूप से अवगत कराया गया फिर भी पदस्थ चिकित्सक नियमित रूप से अस्पताल में समय नहीं देते किसके कारण क्षेत्र के मरीजों को निजी चिकित्सा व झोला छाप फर्जी डाक्टरों से उपचार कराना मजबूरी बन गई है, जब भी मरीज उपचार हेतु अस्पताल जाते हैं ,डॉ नदारत रहते हैं पूछने पर कहा जाता है कि कहीं गए है, ऐसे में बिजुरी, कोतमा, अनूपपुर उपचार के लिए जाना पड़ता है, यदि कोई सीरियस मामला फंस जाता है तो उक्त सभी अस्पतालों में भी सुविधा उपलब्ध नहीं रहती और चिकित्सक भी उपचार नहीं करना चाहते, डिलीवरी या इमरजेंसी केश को सीधे जिला मुख्यालय अनूपपुर, शहडोल सौ किलोमीटर दूर रेफर कर चिकित्सक छुटकारा पा लेते हैं, क्षेत्र के अधिकांश डॉ अस्पताल में दिलचस्पी नहीं रखते अपने निजी क्लीनिक में बैठकर उपचार करते रहते हैं,मरीज को अपने निजी क्लीनिक बुलाकर उपचार करते हैं, उल्लेखनीय है कि ग्राम कोठी व आसपास के अधिकांस ग्रामीण मरीज दैनिक मजदूरी, किसान वर्ग खेती कर अपना जीवन यापन करते हैं और आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण महंगा इलाज नहीं करा पाते, ग्रामीणों ने कहा कि शासन,सरकार कोठी में अस्पताल संचालित कराकर निश्चित तौर पर नेक कार्य किया है, लेकिन जब कोई सुविधाये,चिकित्सको की कमी है तो केवल अस्पताल की बिल्डिंग का क्या करे।

बर्जन
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कोठी में काफी समस्याएं हैं, स्टाफ नर्स व हमारी ड्यूटी अक्सर बिजुरी, कोतमा में लगा दी जाती है, जिसके कारण हम यहां पर कम समय दे पाते हैं,एक्स-रे पैथोलॉजी तथा सुरक्षा,सड़क की कमी है,विभागीय उच्च अधिकारियों को अवगत कराया गया है।

डॉ राजेंद्र सिंह
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कोठी।