शिवपुरी के युवक की थाने में मारपीट, पुलिस ने कहा- 15 दिन की अवधि में ऑटोमेटेकली फुटेज नष्ट हो गए है, अब सूचना आयोग ने कहा- अब सीसीटीवी फुटेज रखने होंगे सुरक्षित
– सर्वोच्च न्यायालय के दिशा निर्देशों के उल्लंघन पर सूचना आयुक्त ने चिंता जताई
शिवपुरी। रंजीत गुप्ता। मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने शिवपुरी के युवक की पिटाई संबंधी आरोप के बाद उसे थाने से सीसीटीवी फुटेज न मिलने के बाद अब थानों में लगे सीसीटीवी को लेकर एक महत्वपूर्ण आदेश पारित किया है। मप्र राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने प्रदेश के डीजीपी को निर्देशित किया है कि सभी थानों में लगे सीसीटीवी फुटेज के लिए आरटीआई आवेदन दायर होते ही उक्त सीसीटीवी फुटेज को सुरक्षित रखने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। वही थानों में सीसीटीवी को लेकर सर्वोच्च न्यायालय के दिशा निर्देशों के उल्लंघन पर सूचना आयुक्त ने चिंता जताई है।
शिवपुरी के युवक ने मांगे थे फुटेज नहीं दिए तो की थी अपील-
दरअसल शिवपुरी में एक युवक शिशुपाल जाटव ने अक्टूबर 2021 मे थाने में लगी सीसीटीवी फुटेज की जानकारी मांगी थी। लोग सूचना अधिकारी एडिशनल एसपी ने शिशुपाल को लिखित में सूचित किया गया कि सीसीटीवी फुटेज नहीं दिया जा सकता है क्योंकि 15 दिन की अवधि में ऑटोमेटेकली फुटेज नष्ट हो गए है। युवक ने आयोग में शिकायत कि सीसीटीवी फुटेज को जानबूझकर नष्ट होने दिया गया क्योंकि थाने में उसके साथ मारपीट की गई थी और सीसीटीवी फुटेज सामने आने से वहां के घटनाक्रम का सबूत सामने आ जाता। आयोग ने तत्कालीन एडिशनल एसपी, वर्तमान में एडिशनल एसपी जबलपुर कमल मौर्य से जवाब तलब किया। आयोग की जांच में ही साफ हुआ कि सीसीटीवी फुटेज पर एडिशनल एसपी ने 5 दिन की देरी से निर्णय लिया और अंतिम जिस दिन कार्रवाई की उसके एक दिन पहले ही सीसीटीवी फुटेज नष्ट हो गए। सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि प्रकरण की पृष्ठभूमि को देखते हुए इस आवेदन के निराकरण में विलंब से कार्रवाई की लापरवाही से प्रतीत होता है कि जानबूझकर सीसीटीवी फुटेज को नष्ट करने की नीयत से देरी की गई है, क्योंकि सीसीटीवी की रिकॉर्डिंग नष्ट होने से कथित मारपीट के आरोपी पुलिस कर्मियों को ही सीधा फायदा मिला है।
नष्ट होने का बहाना नहीं चलेगा- सूचना आयोग
सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने आयोग में भविष्य में सीसीटीवी के आरटीआई अपील आवेदन के निराकरण की व्यवस्था को स्पष्ट करते हुए कहा कि आयोग के इस आदेश के बाद के बाद भविष्य में अगर कोई लोक सूचना अधिकारी सीसीटीवी फुटेज के संबंध में यह दलील देता है कि विलंब से क्रञ्जढ्ढ आवेदन का निराकरण किया गया और इसी वजह से सीसीटीवी फुटेज नष्ट हो गए हैं तो ऐसी स्थिति में लापरवाही के लिए लोक सूचना अधिकारी की ही जवाबदेही तय होगी जो कि अधिनियम के धारा 20 के तहत दंडनीय होगा।
सुप्रिम कोर्ट के आदेश की अनदेखी चिंताजनक- सूचना आयोग
मध्य प्रदेश सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के दो लैंडमार्क आदेशों हवाला दिया है। सूचना आयुक्त ने सर्वोच्च न्यायालय के परमजीत सिंह सैनी वर्सेस बलजीत सिंह आदेश का हवाल देते हुए कहा कि इसमें 6 महीने तक सीसीटीवी फुटेज को संधारित करने का निर्देश जारी किया गया था। वही एक अन्य मामले डीके बसु वर्सिज स्टेट ऑफ़ वेस्ट बंगाल में सर्वोच्च न्यायालय ने थाने और जेल में लगे सभी सीसीटीवी फुटेज का स्वतंत्र कमेटी के द्वारा समय-समय पर अध्ययन के आदेश भी जारी किए गए थे। सिंह ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के इन दो प्रमुख आदेशों के बावजूद थाने स्तर पर राज्य में हो रही लापरवाही से सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की प्रासंगिकता पर ही सवालिया निशान लग जाता है।