सिंधिया समर्थकों को लग रहा है कि भाजपा में उनका नंबर आने वाला नहीं
– संगठन स्तर पर हो इस डैमेज को कंट्रोल करने की कवायद
शिवपुरी। रंजीत गुप्ता। मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में पार्टी छोड़ने वाले नेताओं का सिलसिला जारी है। खासकर शिवपुरी जिले में दो महीने में ही चार पार्टी नेताओं ने भाजपा छोड़ दी है। आने वाले विधानसभा चुनाव में यह नेता भाजपा की मुसीबत बढ़ा सकते हैं। कोलारस में ही देखा जाए तो बीते एक महीने में यहां पर दो सिंधिया समर्थक नेताओं ने पार्टी से नाता तोड़ लिया है। इनमें एक बैजनाथ सिंह यादव जो पूर्व में भूमि विकास बैंक के अध्यक्ष रह चुके हैं और इनकी पत्नी कमला यादव जिला पंचायत की अध्यक्ष रह चुकी हंै। एक और सिंधिया समर्थक जो कोलारस विधानसभा सीट से आते हैं रघुराज धाकड़ वह भी कोलारस में जिला पंचायत के सदस्य रह चुके हैं। सिंधिया के साथ वह भी भाजपा में गए थे लेकिन वहां पर इनकी कोई पूछपरख नहीं हुई अब पार्टी से नाता तोड़ लिया है। इनकी कोलारस विधानसभा क्षेत्र में धाकड़ बाहुल्य वोटों पर अच्छी पकड़ है। इसके अलावा शिवपुरी विधानसभा सीट पर देखा जाए तो सिंधिया समर्थक नेता राकेश गुप्ता जो पूर्व कांग्रेस के जिला अध्यक्ष रह चुके थे सिंधिया के साथ भाजपा में चले गए थे लेकिन वहां पर पूछपरख नहीं हुई तो इनकी कांग्रेस में घर वापसी हो गई है। इन सब नेताओं के द्वारा कांग्रेस भाजपा छोड़ जाने के बाद निश्चित तौर पर आने वाले विधानसभा चुनाव में इसका असर संबंधित सीटों पर पड़ेगा क्योंकि जिन नेताओं ने पार्टी छोड़ी है उनका कुछ ना कुछ प्रभाव अपने विधानसभा सीट पर है।
लग रहा है कि नंबर आने वाला नहीं-
शिवपुरी जिले में पांच विधानसभा सीट आती हैं। वर्ष 2020 में प्रदेश में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद के ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कई सिंधिया समर्थक नेता भी भाजपा में आए। पांच विधानसभा सीटों पर देखा जाए तो इस समय हालत है कि भाजपा में एक टिकट के लिए 5 से 6 प्रमुख दावेदार हैं। हर प्रमुख दावेदार अपने आप को जिताऊ उम्मीदवार बता रहा है। सिंधिया समर्थक नेताओं के पार्टी में आने के बाद भाजपा में टिकट चाहने वालों की यह लाइन और लंबी हो गई। ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए नेताओं को अब लगने लगा है कि भाजपा में पहले से ज्यादा नेता हैं और उनका नंबर वहां पर लगने वाला नहीं है इसलिए अब भाजपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम रहे हैं। उदाहरण के लिए कोलारस विधानसभा सीट ही देखी जाए तो यहां पर सिंधिया समर्थक नेता बैजनाथ सिंह यादव, रघुराज धाकड़ ने पार्टी छोड़ दी। इसके अलावा शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र से सिंधियानिष्ठ राकेश गुप्ता ने भी सिंधिया को छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया।
भाजपा का वोट काट सकते हैं यह नेता-
पिछले कुछ दिनों से देखा जा रहा है कि जिले में लगातार भाजपा के कुछ नेता पार्टी छोड़ रहे हैं। इस डैमेज को कंट्रोल करने के लिए वरिष्ठ भाजपा नेता भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अगर इन असंतुष्ट नेताआ के कारण आने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा को नुकसान हो सकता है। बागी नेताओं का अपनी-अपनी विधानसभा सीट पर इतना असर तो है कि एक नेता पांच से दस हजार तक वोट प्रभावित कर सकता है। सीधे मुकाबले में इसका नुकसान पार्टी को होना तय है इसलिए अभी से बड़े स्तर पर डैमेज कंट्रोल की कवायद संगठन स्तर पर होना चाहिए।