राजस्व अधिकारियों की मौन स्वीकृति बनी संजीवनी
अलग-अलग हैं प्रतिवेदन, फिर भी हो रहा नामांतरण
जिले की बेस कीमती भूमि पर इन दिनों दलाल की खाल ओढ़े भू-माफियाओं का कब्जा है। यही कारण है कि आम आदमी आज अनुपपुर में मकान बनाने के लिए जमीन खरीदने से भी डरता है। क्योंकि आए दिन भू माफियाओं का फर्जी खरीदी-विक्रय करने का मामला सुर्खियों में बना रहता है। मजे की बात तो यह है कि लगातार सूचना के बाद भी प्रशासन इन पर लगाम कसने के लिए कोई सार्थक प्रयास नहीं कर रहा है।
अनूपपुर –
जिला मुख्यालय के साथ-साथ मुख्यालय से लगी कृषि योग्य भूमि को खुर्द-बुर्द कर प्लाटिंग का खेल खेला जा रहा है। जमीन से जुड़े कारोबारी ग्रामीणों की कृषि योग्य भूमि की खरीद फरोख्त कर बिना अनुमति और डायवर्सन के ही प्लाटिंग कर उसे बेंचने में लगे हुए है। इधर अधिकारियों की मौन स्वीकृति ने इन कारोबारियों को संजीवनी प्रदान कर दी है। जिला मुख्यालय सहित इससे लगे लगभग आधा दर्जन गांवो में बड़े स्तर पर कृषि योग्य भूमि की प्लाटिंग व भवन निर्माण का कार्य बड़ी तेजी से चल रहा है। स्थानीय स्तर पर कारोबारी सांठ-गांठ कर बड़े स्तर पर शासन के राजस्व आय पर चपत लगाने के साथ ही नियम निर्देशों का भी माखौल उड़ा रहे हैं। यही स्थिति रही तो शहर से ज्यादा आस-पास के ग्रामीण अंचलो में कॉलोनियां बस जाएंगी।
सिर्फ नोटिस तक सीमित कार्यवाही –
कृषि योग्य भूमि को खुद-बुर्द करने वाले इन कारोबारियों के विरुद्ध कार्यवाही के नाम पर प्रशासन सिर्फ नोटिस तक सिमट कर रह गया है। लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व भी कृषि योग्य भूमि को बिना अनुमति टुकड़े-टुकड़े में बेचने के मामले में राजस्व विभाग द्वारा नोटिस जारी किया था। जिसके बाद से लेकर मामला अभी तक ठंडे बस्ते में पड़ा है। उधर पॉलिटेक्निक कॉलेज क्षेत्र के साथ-साथ बरबसपुर में भी अवैध तरीके से प्लाटिंग की जा रही है। यहां पर रसूखदार भू-माफिया कई परिवारों की भूमि की खरीदी बिक्री करा रहे हैं। वही भूमाफिया के द्वारा अधिकारियों के नाम पर रजिस्ट्री और भूमि खरीदी की बिक्री में परमिशन के नाम पर भी जमकर राशि वसूली जाती है।
कृषि कार्य बताकर बेचते हैं प्लाट –
जिले मे किसी प्रकार की भूमि क्रय विक्रय के लिए जिला प्रशासन की अनुमति अनिवार्य है, लेकिन कृषि कार्य हेतु भूमि के क्रय विक्रय की पाबंदी नही है। जिसके बाद से ये माफिया बिना प्रशासन से वैध अनुमति लिए 20 बाई 50 और 40 बाई 60 का प्लाट खेती करने हेतु क्रय विक्रय कर रहे हैं। हद तो तब हो जाती है जब इन छोटे छोटे भू-खण्डो पर भी प्रशासन रजिस्ट्री करने मे रोक टोक नही करता। आज तक आम जनता यह नही समझ पाई की आखिर इतने छोटे से प्लाट में खेती किसकी की जाएगी.? इसी कारण प्रशासनिक अमला भी कृषि योग्य भूमि दिखाकर भूखण्डों की रजिस्ट्री गुलाबी और पीले कागजों के नजराने के एवज में कर रहा है।
पटवारी ने दिए अलग-अलग प्रतिवेदन –
जिला मुख्यालय के वार्ड नंबर 02 में इस समय बड़े पैमाने पर प्लाटिंग का खेल चल रहा है। यहां पर भू-माफिया के द्वारा भूमि विक्रय के लिए किसी भी प्रकार से प्रशासन से कोई अनुमति नही ली गई है और उसे टुकड़ों में विक्रय कर रहे हैं। इतना ही नहीं, राजस्व विभाग इस पर अपनी सहमति भी प्रदान कर रहा है। ताजा मामला वार्ड 02 का है जहां पर तहसील अनूपपुर के राजस्व प्रकरण क्रमांक 0295/आ6 2023-24 क्रेता मिथिलेश द्विवेदी तथा मामला क्रमांक 2023/आ6 2022-23 में क्रेता मो. रियाज खसरा नंबर 2/11/1/1 का है जहां पर पटवारी ने अलग-अलग प्रतिवेदन दिया है। एक मामले में तो पटवारी कह रहे हैं कि जमीन ठीक है व विक्रय योग्य है। वही उसी खसरे में दूसरे विक्रय के लिए जमीन में बटांक होने के साथ-साथ अवैध प्लाटिंग की बात भी लिख रहे हैं। इसके बाबजूद राजस्व अधिकारी जमीनों का नामांतरण लगातार कर रहे हैं।
जिम्मेदार के बोल –
हमारे द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों को वस्तुस्थिति से लगातार अवगत कराया गया है। कार्यवाही करना न करना अधिकारियों पर निर्भर करता है।
रूप नारायण प्रजापति
पटवारी अनूपपुर