सावन में आस्था के अजब रंग: पानी पर निकली कांवड़ यात्रा, कांवड़ियों में दिखा जबरदस्त जोश
गणगोर घाट से भीमकुंड तक पानी तैराकी कर भीम कुंड महादेव का जलाभिषेक किया
लहरों के राजा ग्रुप द्वारा निकाली गई अनोखी कावड़ यात्रा
जलाभिषेक में शामिल होकर शहर, राज्य व देश के सुख-समृद्धि की कामना की
खंडवा। मनीष गुप्ता। देशभर में सावन महीने में जगह-जगह कावड़ यात्रा निकाली जाती है , भगवान भोलेनाथ की आराधना के पवित्र माह सावन में आस्था के अजब-गजब रंग देखने को मिल रहे हैं।
गणगौर घाट पर लहरों के राजा ग्रुप द्वारा सावन के महीने में सोमवार के दिन विशेष कावड़ यात्रा निकाली गई यह कावड़ यात्रा ना तो पैदल चलकर थी नाही हाथी घोड़े पर यह कावड़ यात्रा आस्था और भक्ति के साथ पानी पर तैरते हुए गणगोर घाट से प्राचीन भीमकुंड महादेव मंदिर पहुंची, लहरों के राजा ग्रुप के तैराकी के समस्त सदस्यों द्वारा भगवान भीमकुंड महादेव का देश भर की विभिन्न नदियों का जल लेकर भीम कुंड महादेव का जलाभिषेक किया गया , इस कावड़ यात्रा में महिलाएं बच्चे और युवा सम्मिलित हुए , लहरों के राजा ग्रुप के राजकुमार सिसोदिया ने बताया कि उसे लहरों के राजा ग्रुप द्वारा कई वर्षों से गणगौर गंगौर घाट पर तैराकी की
प्रैक्टिस की जा रही है , पूर्व में पानी पर तिरंगा यात्रा, यात्रा को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट कर सदस्यों को बधाई दी थी, फिर हमारे द्वारा योग दिवस पर पानी योग किया गया और अब उसके बाद सभी सभी सदस्यों ने मिलकर पानी पर तेराकी कर प्राचीन भीमकुंड पहुंचकर भीम कुंड महादेव का जलाभिषेक किया यह ऐसी कावड़ यात्रा थी जो पानी पर तैर कर भीम कुंड महादेव पहुंची जहां सभी सदस्यों ने भगवान शिव का जलाभिषेक किया और
बोल बम के जयकारा के साथ भक्त इस जलाभिषेक में शामिल होकर शहर, राज्य व देश के सुख-समृद्धि की कामना की।
इस जल पर कांवड़ यात्रा में भीमकुंड महादेव मंदिर पर मंदिर पर सभी भक्तों द्वारा भगवान भोले के जयकारों के जयघोष के साथ भक्ति का अनोखा संगम देखने को मिला. पानी पर निकाली गई कांवड़ यात्रा जो कि बेहद कठिन मानी जाती हैं। यात्रा पहली बार खंडवा में निकाली गई संजय शर्मा कहा कि सावन महीने में सोमवारी का अपना ही एक अलग महत्व है। भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक कर शहर राज्य देश की सुख समृद्धि की कामना उनके द्वारा की गई। हमने कहा कि ईश्वर से प्रार्थना कर सभी भक्त जनों की सुख समृद्धि की कामना की गई।
इस यात्रा में लहरों के राजा ग्रुप के सदस्य अरविंदर सचदेव,रणजीत जागिडं,अनिल रघुवंशी,रोहित बाथम,पंकज पांडे,रविश मोर्य,
करण सिसोदिया,प्रकश पटेल
पवन नायक,भूपेंद्र बारंगे, नितिन चौरसिया ,मन्नान रंगवाला (ताऊ) द्वारा संजय शर्मा, lयुसुफ राजा, बबन गंगराड़े रूपाली गगंराडे, मनीष गुप्ता,राजेश सिकलिगर,राजेश पटेल,पवन नायक, कोहोजिम अली, भरत जगताप,अमित पसारी, हेमंत मुंदड़ा अभिषेक जायसवाल गजेन्द्र मालवे, क्रिश मालवे, संजीव सोनी, प्राची सोनी ,राजेश माणिक, जितेंद्र दुबे ,आरव दुबे, रितिक सावनेर ,आनंद अव्हाड, मनीष गुप्ता, वेदांत गुप्ता, सुनिल जायसवाल, लता सिसोदिया, कान्ह पांडे ,हीर सचदेव, रीत सचदेव, आरू राहुल ,संस्कृति चौहान, लक्की डेंडवाल, विनोद मेहना ,दीपक प्रजापति, आदि साथी इस गंगौर घाट से भीमकुंड जल यात्रा में सम्मिलित हुए
दो नदियों के संगम पर बने इस मंदिर में भीम ने की थी शिव की पूजा
शहर से करीब 3 किलोमीटर दूर आबना नदी के टापू पर स्थित है प्राचीन भीमकुंड शिव मंदिर। चारों तरफ से पानी से घिरे इस मंदिर पर पहुंचने के लिए पक्का रास्ता नहीं है, मंदिर तक पहुंचने के लिए गणगौर घाट से आपको नदी पार करना होगी, तेरकर मंदिर जाना होगा। भोले बाबा के दर्शन के लिए लहरों के राजा ग्रुप के सदस्यों द्वारा प्रति सोमवार के दिन नदी में तेरकर का मंदिर पहुंचते हैं और भोले बाबा के दर्शन करते हैं विशाल बरगद के पेड़ के नीचे भीमकुंड मंदिर में विराजे हैं भोले बाबा। चारों तरफ हरियाली, पेड़ों पर चहचहाते पक्षी और पास ही बहती आबना नदी, यह नजारा बेहद ही सुकून देने वाला है। कहते है कि महाभारत काल के समय पांडव अज्ञातवास के समय इस धरती पर पहुंचे थे और भीमकुंड जहां स्थापित है वहां भीम ने तपस्या के लिए शिवलिंग की स्थापना की थी। यहां छोटी और बड़ी आबना नदी का संगम भी है।