दिव्यांग जनों की कमियों से रूबरू हुए जिले के अधिकारी
अनूपपुर। शारीरिक विकलांगता का दंश झेल रहे दिव्यांग जनों कोलाभ पहुंचाने के लिए सरकारें तो बराबर काम कर रही हैं लेकिन इनके लिए बना कार्यालय आज भी इनके लिए उदासीन नजर आ रहा है चौखट तक पहुंचने के लिए विकलांगों को रैंप तक की भी सुविधा कार्यालय नहीं दे पा रहा है ऐसे में भला यह कहना गलत नहीं होगा कि उनके खुद के कार्यालयों ने दिव्यांग जनों से मुंह फेरने का काम किया है।
जिले में आदर्श विकास सेवा संघ के पदाधिकारियों द्वारा दिव्यांग जनों के कल्याण और उनको हो रही समस्याओं को लेकर एक बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में कलेक्टर को समस्याओं से अवगत कराने का प्रयास संगठन के माध्यम से किया गया है संगठन का कहना था कि जिले में विकलांगों के साथ सौतेला व्यवहार हो रहा है।
जिले के कई कार्यालय की चौखट रैंप विहीन
आदर्श आदर्श दिव्यांग सेवा संघ के सदस्य शैलेश कुमार मिश्रा ने बातचीत के दौरान बताया कि जिले में दिव्यांगजन के लिए ऐसा कोई कार्यालय, कोई संस्था नहीं है जहां पर उन्हें सीधे तौर पर लाभ मिल सके दिव्यांग जनों की सेवा के लिए बैठा सहायक आयुक्त और जिला शिक्षा अधिकारी का कार्यालय भी रैंप विहीन है इतना ही नहीं सहायक आयुक्त के कार्यालय जाने के लिए दिव्यांग जनों के लिए ऊची सीढ़ी समस्या का काम करती हैं।
दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2017 का नही हो रहा पालन
दिव्यांग जनों को बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने के लिए मध्यप्रदेश सरकार के द्वारा दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2017 के अनुसार शासकीय व अशासकीय स्कूलों में 1 से लेकर 12 तक की पढ़ाई निशुल्क होनी चाहिए, लेकिन अनूपपुर जिले में एक भी दिव्यांग जनों के लिए स्कूल मौजूद नहीं है वहीं निजी स्कूलों में भी उन्हें किसी भी तरह की छूट नहीं दी जा रही है जिसके चलते आर्थिक तौर पर भी दिव्यांगजन शिक्षा से वंचित हो रहे हैं सबसे जरूरी भर्ती अभियानों में सीधे तौर पर दिव्यांग जनों को कोई भी लाभ सरकार के द्वारा नहीं दिया जा रहा है या फिर पिछले 2 सालों में ऐसी कोई भी भर्ती नहीं निकाली गई है। जिससे दिव्यांग जनों को रोजगार का लाभ मिल सके।
दिव्यांकजन के लिए नहीं है जिले में मेडिकल बोर्ड
चिकित्सा जैसे मामले में भी मेडिकल बोर्ड परेशान करने का काम काम करती है दस्तावेजों को पूरा करने के लिए मेडिकल बोर्ड का कोई टाइम टेबल निर्धारित नहीं है इतना ही नहीं बौद्धिक एवं प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए जिले में कोई मेडिकल बोर्ड मौजूद नहीं है डॉक्टर के द्वारा उन्हें पड़ोसी जिले में रेफर किया जाता है जिसके चलते काफी सफर कर रहे हैं।
अन्य संस्थाओं में सुविधाएं न के बराबर
शासकीय भवनों में कई ऐसे कार्यालय हैं जिसमें केंद्र और राज्य सरकार का सीधा दखल है मगर कई ऐसे कार्यालय जिले में आज भी चल रहे हैं जहां पर दिव्यांग जनों के लिए कोई सुविधा नहीं है मसलन रैंप के अलावा ऐसा कोई काउंटर नहीं है। जिसमें दिव्यांगजन आसानी से पहुंचकर अपना काम करा सके जिसमें सबसे प्रमुख बैंकिंग सेक्टर बताया जा रहा है इतना ही नहीं पैसे के लेनदेन के लिए लगाए गए कई एटीएम ऐसे हैं जहां पर रैम्प की सुविधा उपलब्ध नहीं है जिसके चलते भी दिव्यांग जनों का आर्थिक शोषण हो रहा है।
दिव्यांगजन योजनाओं से हो रहे वंचित
विकलांगों के योजनाओं का संचालन करने वाला विभाग के ऐसे कई जिले में कार्यालय संचालित है। जहां पर सीधे तौर पर विकलांगों को जाना पड़ता है लेकिन ऊंची सीढ़ियां से हो रही असुविधा से वह विकलांग जन योजनाओं से लगातार वंचित हो जा रहे हैं ऐसे में कलेक्टर से इस मामले में उचित कार्रवाई करने की बात कही गई है।
तो फिर कैसे होगे मुख्य धारा में दिव्यांक शामिल
जिले के अलग-अलग विभागों में विकलांग जनों के लिए की बात तो कही जाती है लेकिन भौतिक स्थिति कुछ और ही बयां कर रही है संगठन के इस दौरे से इस बात की जानकारी निकल कर आई है कि कार्यालयों में विकलांगों के लिए कोई भी सुविधा नहीं है।
जिले में यह है दिव्यांग जनों की स्थिति
अकेले अनूपपुर जिले में दिव्यांग जनों की काफी संख्या मौजूद है जो अनूपपुर के चारों जनपदों में रहकर अपना जीवन यापन व्यवसाय नौकरी कर रहे हैं जिसमें आंकड़े बता रहे हैं जिले में 73000 लोग विकलांगता की श्रेणी में रहकर योजना के लाभ पाने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन नहीं मिल पा रही है। वहीं सहायक आयुक्त और जिला शिक्षा अधिकारी सर्व शिक्षा अभियान के अलावा सामाजिक निशक्तजन निशक्तजन कल्याण विभाग भी इन विकलांगों की सेवा की बात जरूर करता है लेकिन हकीकत में दरवाजे की चौखट पर योजना और विकलांग आकर दम तोड़ती नजर आ रहे हैं ऐसे में क्या यह विभाग भी विकलांगों के साथ कदम ताल मिलाने का काम करेंगे ताकि समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का काम किया जा सके।
दिव्यांग जनों के लिए विकलांगता बन रही अभिशाप
समाज में रह रहे लोगों को दिव्यांग जनों के प्रति सहानुभूति नजर आनी चाहिए लेकिन ऐसा होता जिला मुख्यालय में नहीं दिखता है लीगल गार्जियनशिप कैंप लगाकर भी विकलांग लोगों को कानूनी संबंधी जानकारी भी उपलब्ध कराई जानी चाहिए ताकि समाज में जागरूकता बढ़ सके और दिव्यांग भी अपने मौलिक अधिकारों के प्रति सजग रह सके। मगर इस तरह का कोई भी कैंप का आयोजन विधि विभाग के द्वारा भी आयोजित नहीं किया जाता है।
दिव्यांग जनों के लिए स्पेशल टीचर कि वह नियुक्ति
आदर्श विकलांग सेवा संघ के द्वारा बैठक में यह बात पर भी जोर दिया गया है कि शिक्षा से जुड़े जो भी संस्थान जिले में संचालित हो रहे हैं उनमें विकलांगों के लिए सभी स्कूलों में स्पेशल टीचर की नियुक्ति की जानी चाहिए ताकि विकलांग भी शिक्षा से वंचित न रह सके निजी संस्थानों के द्वारा करने पर उनकी मान्यता को भी रद्द कर देना चाहिए।