कहो तो कह दूं -पं अजय मिश्र
न डोली न कहार, दुल्हन चलने को तैयार
इन दिनों कांग्रेस में बुजुर्गों की यह लोकोक्ति चर्चा का विषय बनी हुई है। दरअसल कांग्रेस एक बार पुनः सत्ता में वापिसी के लिए दम भर रही है। लेकिन जिन पर जिला कांग्रेस को आगे ले जाने की जिम्मेदारी है उनकी स्वीकार्यता पार्टी नेताओं में ही नजर नहीं आती है। हालात यह हैं कि संगठन के अगुवा को जब पार्टी ही स्वीकार नहीं कर रही है तो फिर जनता कैसे करेगी.? यह सवाल कांग्रेस के एक खेमे द्वारा जिला कांग्रेस चीफ को भावी विधायक के तौर पर प्रोजेक्ट किया गया तो इसकी तीखी प्रतिक्रिया हुई। जिला संगठन के कई शीर्ष नेताओं ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह संगठन तय करेगा। इस पर कई वरिष्ठ कांग्रेसियों ने कटाक्ष भी किए कि पहले पार्टी को उस स्थिति तक तो पहुंचाइए जिस तक पहुंचने से कुर्सी हाथ लगनी है। इन नेताओं का कहना है कि जेसीसी चीफ के समर्थकों की यह कवायद ‘न डोली न कहार, दुल्हन चलने को तैयार’ जैसी है। क्योंकि अभी न तो मुखिया ने जिला कमेटी का गठन किया है और आंतरिक मुड़फोर के चलते फिलहाल ऐसा माहौल भी नजर नहीं आ रहा है कि कांग्रेस उस तक पहुंचने के लिए फिक्रमंद भी है। बावजूद इसके प्रोजेक्शन शुरू हो गया। जाहिर है कि चीफ को विधायक के तौर पर प्रोजेक्ट करना कांग्रेस के कई नेताओं को रास नहीं आया है। काश कांग्रेस के शीर्ष नेता राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के बाद अब अनुपपुर में पार्टी जोड़ो यात्रा भी निकाल लेते तो शायद पार्टी का ज्यादा भला हो सकता।