क्या राघव बिंदल पर होगी कार्यवाही
अनूपपुर। जैतहरी नगर के मुख्य बाजार स्थित नजूल की भूमि में जहां वारिशदारो ने अपने बारिशों का नाम बदलकर लाखों रुपए की जमीन बेच डाली यह संपत्ति उनकी खुद की नहीं बल्कि पड़ोस में रह रहे पड़ोसी की थी। तो वहीं दूसरी तरफ धारणाधिकार के तहत अपने आपको भूमिहीन बताने वाला व्यापारी लाखों रुपए की जमीन अपने नाम खरीद चुका है।
जानकारी के अनुसार वार्ड क्रमांक 5 में रहने वाले आनंद अग्रवाल पिता मोहनलाल अग्रवाल के द्वारा कोतमा में रहने वाले आशा सराफ पति भीखम सराफ राघव बिंदल से 12 अक्टूबर 2020 को एक विक्रय पत्र पर हस्ताक्षर कराया गया जिसमें जमीन की कीमत 28 लाख बताई गई, लेकिन बाजारू कीमत 85 लाख से भी ज्यादा की बताई जा रही है। यह जमीन नजूल भूमि है जो आराजी खसरा क्रमांक 733 की 2784 वर्ग फुट जमीन कोतमा के ही रहने वाले लक्ष्मीनारायण के नाम पर दर्ज है इस जमीन को फर्जी तरीके से भीखम सराफ के बारिशो ने अपने दादा का नाम बदलकर दूसरे की जमीन को लाखों रुपए में बिक्री कर दी।
प्रशासन में पकड़ और राजनीतिक रसूख के बदौलत आज राघव बिंदल ने अपनी फर्जी संपत्ति बताकर आनंद अग्रवाल को बेच दी इस खरीद-फरोख्त में राघव बिंदल ने अपने पड़ोस में रहने वाले लक्ष्मीनारायण की संपत्ति को लाखों रुपए में बेच डाला।
भूमिहीन ने खरीदी 85 लाख की जमीन
इसका खरीदार भी कोई आम आदमी नहीं बल्कि भूमिहीन धारणा अधिकार के तहत आवेदन करने वाला जैतहरी नगर का आनंद अग्रवाल ही है, सूत्र बताते है कि जो वर्ष 2020 में 85 लाख रुपए की जमीन अपने नाम रजिस्ट्री कराता है तो वहीं वर्ष 2023 में धारणाधिकार के तहत शासन को आवेदन करके कब्जे की भूमि में अपना नाम दर्ज कराने के लिए आवेदन करता है हालांकि इस मामले में तो वह असफल हो जाता है लेकिन सरकारी जमीन आज भी उसके कब्जा में बना हुआ है।
असल भू स्वामी के हाथ आज भी खाली
इस जमीन को आशा सराफ ,राघव बिंदल अपनी भूमि बता रहे हैं दरअसल वह भूमि पड़ोस में ही रहने वाले लक्ष्मी नारायण और उनके वंशज अनूप, संजय, अजय की बताई जा रही है जिस पर राघव बिंदल के द्वारा किए गए फर्जीवाड़े के चलते अब अनूप संजय और अजय लगातार इस मामले में शिकायत करके न्याय की आस में लगे हुए हैं कि उनके पूर्वजों की संपत्ति उन्हें वापस मिल सके। दूसरी तरफ वर्ष 2010 में नत्थू लाल सराफ ने अपने पिता का नाम बृजमोहन से बदलकर लक्ष्मीनारायण कर दिया इससे सीधा फायदा नत्थू लाल सराफ् व उनके परिवार में मौजूद आशा सराफ व भीकम सराफ को पहुंचा हालांकि कुछ समय बाद भीखम सराफ की भी मौत हो गई और वंशावली में नाम दर्ज कराकर राघव बिंदल ने इस जमीन का वर्ष 2020 में विक्रय कर दिया।
मृत्यु प्रमाण पत्र भी खड़े हो रहे सवाल
जिस तरह से कोतमा नगर पालिका के द्वारा वर्ष 2010 में अनुक्रमांक 240 दिनांक 12:04 2010 को जावक क्रमांक 150 दिनांक 20 अप्रैल 2010 को एक मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया गया। जिसमें कोतमा के रहने वाले स्वर्गीय भीखम सराफ ने अपने पिता का नाम स्वर्गीय लक्ष्मी नारायण बताया गया जिसके चलते मृत्यु प्रमाण पत्र के जारी दिनांक और दर्ज नामों पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या अपने दादा का नाम बदल देने पर कही न कही नगर पालिका पर भी सवाल खड़े हो रहें है।
सार्वजनिक शौचालय और सरकारी कुएं पर कब्जा
जिस जमीन पर धारणाधिकार के तहत जैतहरी के रहने वाले व्यापारी आनंद अग्रवाल के द्वारा जिला प्रशासन को धारण अधिकार के तहत आवेदन किया गया था कि उसे भूमि उपलब्ध कराई जाए ताकि वह अपना जीवन यापन कर सके तो वही जिस जमीन को लेकर यह आवेदन लगाया गया था वहां पर पहले से सरकारी कुआं व सार्वजनिक शौचालय मौजूद था लेकिन आनंद अग्रवाल के द्वारा अपने रसूख के वजूद पर दोनों संपत्तियों को अपने पैसे के बूते पर जमींदोज कर दिया गया।
